Mahashivratri 2023: वनखंडी महादेव मंदिर का शिवलिंग, चुनौती देकर बाहों में नहीं भर सकता कोई

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वनखंडी महादेव मंदिर का चमत्कारी शिवलिंग

वनखंडी महादेव मंदिर का चमत्कारी शिवलिंग
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

सादाबाद क्षेत्र के गांव मिढ़ावली स्थित महादेव मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है। महाशिवरात्रि में जलाभिषेक के लिए यहां दूर-दूर से शिवभक्त पहुंचते हैं। मंदिर पर मुगल शासक औरंगजेब ने हमला किया, उखाड़ने का प्रयास किया, खुदाई भी कराई लेकिन हिला नहीं पाया। शिवलिंग पर कुदाल के निशान आज भी मौजूद हैं।

लगभग छह हजार वर्ष पुरानी वनखंडी महादेव मंदिर तहसील मुख्यालय से 20 किमी दूर गांव मिढ़ावली के जंगल में यमुना किनारे एक टीले पर है। इसके प्रति आसपास के जिलों के लोगों में भी आस्था है। महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर पर विशाल मेला लगता है। दर्शन और अभिषेक के लिए दूर-दजरा से सैकड़ों भक्त पहुंचते हैं। शिवरात्रि के लिए मंदिर को रंगाई-पुताई कर तैयार किया जा रहा है। साढ़े पांच फुट ऊंची और साढ़े चार फुट चौड़ी शिवलिंग की गहराई का आज तक पता नहीं चल सका है। 

 

चुनौती देकर बाहों में नहीं भर सकते

इस मंदिर को चमत्कारी महादेव के नाम से भी पहचाना जाता है। किवदंती यह भी है कि कोई व्यक्ति चुनौती देकर शिवलिंग को अपनी बाहों में नहीं भर सकता। सेवा या पूजा के दौरान ऐसा अचानक संभव हो जाता है।

 

पांडवों ने भी की थी पूजा

वनखंडी महादेव मंदिर से पांडवों का जुड़ाव रहा है। किवदंती के अनुसार अज्ञातवास के दौरान यहां पांडवों ने कुछ वक्त गुजारा। इस दौरान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की थी। मंदिर से एक किमी दूर नारद की तपस्थली मंदौर भी है। वह क्षेत्र मथुरा जिले में पड़ता है। मंदिर के प्राचीन स्वरूप का जिक्र ब्रजमंजरी नामक पुस्तक में दिया गया है। 

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ऐसे हुआ मंदिर का जीर्णोद्धार

शिवलिंग द्वापरयुग का है। यह टीलों में दब गया था। करीब 100 साल पहले आगरा के एक सेठ को सपने में भोलेनाथ ने टीले हटवाकर प्रतिमा को बाहर निकाले की बात कही। उस सेठ ने गाव मिढ़ावली आकर ग्रामीणों को जानकारी दी और टीले हटवाकर शिवलिंग स्थल को साफ किया और मंदिर का निर्माण कराया। अगस्त 1996 में भक्तों ने इस मंदिर का पुन: निर्माण कराया। आज ये मंदिर यमुना एक्सप्रेसवे पर है। शिवरात्रि पर यहां हर साल मेला लगता है। 

बचपन से ही इस मंदिर के बारे में अपने पिताजी से सुनते आया हूं। मंदिर पर औरंगजेब ने भी हमला किया था। शिवलिंग पर आज भी कुदाल से प्रहार के निशान बने हुए हैं। – बाबा मंगलदास,  पुजारी

यहां दूरदराज से लोग आते हैं और शिवलिंग को बाहों में भरकर मनोकामना मांगते। ऐसी मान्यता है कि यहां मनोकामना मांगने पर पूरी होती है। – बाबा लक्ष्मण दास पुजारी 

वर्षों पुराना मंदिर है। यहां दूरदराज से भक्त आते हैं और मनोकामना मांगते हैं। मनोकामना पूरी होने पर यहां घंटा और भंडारे कराते हैं। शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां मेला लगता है। जिसे संभालने के लिए फोर्स भी तैनात रहता है। – बाबा मोहन दास, पुजारी 

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