समाजवादी पार्टी के लिए मैनपुरी लोकसभा का उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव इस सीट पर जीत दर्ज करने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं। वहीं, भाजपा भी सपा की इस परंपरागत सीट को छीनने के लिए दम लगा रही है।
समाजवादी पार्टी की तरफ से अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव प्रत्याशी हैं, वहीं भाजपा ने एक समय शिवपाल सिंह यादव के करीबी रहे रघुराज सिंह शाक्य को टिकट दिया है। रघुराज शाक्य सपा के टिकट पर सांसद और विधायक रह चुके हैं।
इस बीच कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहीं हैं। ये तस्वीरें सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव की हैं। ये खास इसलिए है क्योंकि पिछले पांच साल से दोनों के बीच काफी मतभेद रहे हैं। शिवपाल ने सपा छोड़कर अपनी नई पार्टी तक का गठन कर लिया। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले दोनों साथ तो आए लेकिन, दूरियां कम नहीं हुईं।
अब मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश और शिवपाल के बीच बढ़ती नजदीकियां चर्चा का विषय बन चकी हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या दोनों के बीच सारे गिले-शिकवे दूर हो चुके हैं? क्या अब पूरी तरह से शिवपाल की सपा में वापसी होगी? इन सब सवालों के जवाब देते हुए हम उन तस्वीरों को भी दिखाएंगे, जिन्होंने सियासी गलियारे में हलचल बढ़ा दी है।
क्या शिवपाल और अखिलेश की दूरियां खत्म हो चुकी हैं?
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, ‘मैनपुरी का उपचुनाव यादव परिवार के लिए प्रतिष्ठा की बात है। 1989 से ये सीट मुलायम सिंह यादव और उनके करीबियों के पास ही रही है। ऐसे में अब उनके न रहने पर अगर ये सीट सपा हारती है तो इसका बड़ा सियासी संदेश जाएगा। अखिलेश यादव के नेतृत्व पर भी सवाल खड़े होंगे। यही कारण है कि वह किसी भी हालत में ये उपचुनाव जीतना चाहते हैं।’
प्रमोद आगे कहते हैं, ‘अखिलेश जानते हैं कि अब तक पिता मुलायम सिंह यादव ने ही पूरे परिवार को एकजुट रखा। भले ही परिवार में खटपट हुई और कुछ लोगों ने अलग रास्ता भी पकड़ लिया, लेकिन मुलायम के नाम पर पूरा परिवार हमेशा एकजुट रहा। शिवपाल सिंह यादव भी मुलायम का ही सम्मान करते थे। अब उनके न रहने पर अखिलेश को कोई ऐसा शख्स चाहिए तो परिवार को एकजुट रख सके। ये काम शिवपाल सिंह यादव के अलावा कोई नहीं कर सकता है। यही कारण है कि मुलायम सिंह यादव के निधन पर अखिलेश और शिवपाल के बीच दूरियां खत्म होते दिखाई दी हैं।’
प्रमोद कहते हैं, ‘कुछ ऐसा ही इस बार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भी देखने को मिला था। तब शिवपाल को अखिलेश ने गठबंधन में शामिल किया था। हालांकि, तब अखिलेश ने शिवपाल के अलावा उनकी पार्टी से किसी और को टिकट नहीं दिया था। चुनाव के बाद अखिलेश और शिवपाल में तल्खी भी बढ़ गई थी। ऐसे में ये भी संभव है कि केवल मैनपुरी उपचुनाव के लिए अखिलेश ने शिवपाल के साथ दूरियां कम की हों और बाद में फिर से दोनों के बीच रिश्ते खराब हो सकते हैं।’
प्रमोद के अनुसार, ‘शिवपाल सिंह यादव तभी सपा में वापस आएंगे, जब उन्हें सम्मानजनक स्थिति लगेगी। शिवपाल खुद इसके बारे में कई बार बोल चुके हैं। इसकी तस्वीर काफी हद तक इस उपचुनाव के बाद साफ हो जाएगी। ये भी पता चल जाएगा कि शिवपाल वापस सपा में शामिल होंगे या फिर अखिलेश से उनकी लड़ाई और तेज हो जाएगी। हालांकि, अभी वह अखिलेश यादव के करीब जरूर दिख रहे हैं। शिवपाल ने एक ट्विट के जरिए इसे जाहिर करने की कोशिश भी की है। उन्होंने अखिलेश के साथ खुद की एक फोटो शेयर करते हुए लिखा था कि हम सबमें हैं नेताजी, लो सब हो गए एक…।’