Mathura: लैप्रोस्कोप तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान के जरिए बकरी ने जन्मा मेमना, वैज्ञानिकों ने नाम रखा अजायश

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केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक

केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक
– फोटो : अमर उजाला

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मथुरा के फरह स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बकरी में हैमीकृत (फ्रोजन) वीर्य का उपयोग कर लैप्रोस्कोप तकनीक द्वारा कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से बकरी के बच्चे (नर मेमना) को जन्म देने में सफलता प्राप्त की है। संस्थान के वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तरह की यह पहली सफलता है। मेमना और उसे जन्म देने वाली बकरी पूरी तरह स्वस्थ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक से बकरी पालन में विकास होगा। 

कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि लैप्रोस्कोप तकनीक से बकरी में छह जुलाई 2022 को सीमेंस गर्भाधान किया गया था। बकरी ने दो दिसंबर को मेमने को जन्म दिया। यह प्रयोग सफलता पूर्वक किया गया। दिसंबर माह में जन्मे नर मेमने का नाम संस्थान निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली ने ‘अजायश’ रखा है। 

परियोजना प्रभारी डॉ. योगेश कुमार सोनी ने बताया कि दूरबीन तकनीक द्वारा कृत्रिम गर्भाधान तकनीक भेड़ एवं बकरियों में प्रयोग होने वाली नई पद्धति है। इसके द्वारा उच्च गर्भधारण दर के साथ-साथ उच्च कोटि के नर बकरों के वीर्य का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे बकरी पालन और भी समृद्ध होगा। संस्थान के निदेशक डॉ. मनीष कुमार ने वैज्ञानिकों की सराहना की। शोध टीम में डॉ. एसडी खर्चे, डॉ. योगेश कुमार सोनी, डॉ. एसपी सिंह, डॉ. रवि रंजन एवं डॉ. आर पुरुषोत्मन शामिल रहे। 

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मथुरा के फरह स्थित केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने बकरी में हैमीकृत (फ्रोजन) वीर्य का उपयोग कर लैप्रोस्कोप तकनीक द्वारा कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से बकरी के बच्चे (नर मेमना) को जन्म देने में सफलता प्राप्त की है। संस्थान के वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तरह की यह पहली सफलता है। मेमना और उसे जन्म देने वाली बकरी पूरी तरह स्वस्थ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तकनीक से बकरी पालन में विकास होगा। 

कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि लैप्रोस्कोप तकनीक से बकरी में छह जुलाई 2022 को सीमेंस गर्भाधान किया गया था। बकरी ने दो दिसंबर को मेमने को जन्म दिया। यह प्रयोग सफलता पूर्वक किया गया। दिसंबर माह में जन्मे नर मेमने का नाम संस्थान निदेशक डॉ. मनीष कुमार चेटली ने ‘अजायश’ रखा है। 

परियोजना प्रभारी डॉ. योगेश कुमार सोनी ने बताया कि दूरबीन तकनीक द्वारा कृत्रिम गर्भाधान तकनीक भेड़ एवं बकरियों में प्रयोग होने वाली नई पद्धति है। इसके द्वारा उच्च गर्भधारण दर के साथ-साथ उच्च कोटि के नर बकरों के वीर्य का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे बकरी पालन और भी समृद्ध होगा। संस्थान के निदेशक डॉ. मनीष कुमार ने वैज्ञानिकों की सराहना की। शोध टीम में डॉ. एसडी खर्चे, डॉ. योगेश कुमार सोनी, डॉ. एसपी सिंह, डॉ. रवि रंजन एवं डॉ. आर पुरुषोत्मन शामिल रहे। 



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