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वृंदावन के ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर हादसे की जांच आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री द्वारा गठित की गई जांच समिति के अध्यक्ष पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बुधवार को एक बार फिर बांकेबिहारी मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने मंदिर में जांच की और सेवायत गोस्वामियों से जानकारी एकत्रित की। जांच अधिकारी ने हादसे के कारणों को जानने का प्रयास किया, वहीं अधिकारियों की चूक के तथ्य जुटाए। मंदिर परिसर में बने कंट्रोल रूम में जाकर सीसीटीवी फुटेज भी देखे हैं।
बुधवार को प्रशासनिक अमला के साथ पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर परिसर पहुंचे। सेवायत गोस्वामी के साथ मंदिर प्रबंधन से भी हादसे की जानकारी ली। राजभोग आरती से लगभग 20 मिनट पूर्व 11:45 बजे वृंदावन पहुंचे जांच समिति के अध्यक्ष ने दायरा बढ़ाया। उन्होंने पुन: मंदिर के प्रवेश और निकासी द्वार से सटी गलियों का गहनता से निरीक्षण किया। मंदिर के प्रवेश करने के लिए घोषित गेट नंबर दो और तीन के साथ ही निकास गेट एक और चार के अलावा आरक्षित गेट नंबर पांच का निरीक्षण किया।
मंदिर में भीड़ का किया आकलन
जांच के दौरान मंदिर में राजभोग आरती शुरू हो गई। सुलखान सिंह ने पहले ठाकुरजी की राजभोग आरती के दर्शन किए। मंदिर चौक में खड़े होकर आरती के बाद निकलने वाली भीड़ से हादसे का आंकलन का अध्ययन किया। निकासी गेट से लोगों के निकलने में कितना समय लगा, मंदिर के ऊपरी मंजिल पर उस गलियारे से मंदिर के चौक का बारीकी से निरीक्षण किया, जहां पर अधिकारी भीड़ का वीडियो बना रहे थे। यहां से निरीक्षण करने बाद वह मंदिर में स्थापित कंट्रोल रूम जाकर सीसीटीवी फुटेजों को खंगाला। अधिकारियों और मंदिर कर्मचारियों को बाहर कर दिया।
सेवायतों ने बताई सच्चाई
जांच अधिकारी ने बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत शैलेंद्र गोस्वामी, बालकिशन गोस्वामी, ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी और रजत गोस्वामी से हादसे से संबंधित वार्ता की। सेवायतों ने सच्चाई बताते हुए कहा कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात मंदिर में पहले से ही भारी भीड़ एकत्रित थी। मंगला आरती से ठीक पहले एक साथ पांचों दरवाजों को खोलने से जहां भीड़ का दबाव मंदिर प्रांगण में प्रवेश कर गया। भीड़ को नियंत्रित कर मंदिर में प्रवेश न कराया जाना दुर्घटना का प्रमुख कारण रहा। सेवायतों ने अधिकारियों की शिथिल कार्यप्रणाली से भी जांच अधिकारी को अवगत कराया। बांकेबिहारी मंदिर प्रबंधक मुनीष शर्मा भी थे।
क्या था मामला
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर मंगला आरती के दौरान ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में भगदड़ के बाद दो श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और 70 से अधिक लोग घायल हो गए थे, जिनमें सात लोग गंभीर रूप से घायल होने के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सीएम ने घटना की जांच के लिए रिटायर्ड डीजीपी सुलखान सिंह के नेतृत्व में जांच टीम गठित की थी। टीम से 15 दिन में रिपोर्ट भी मांगी है।
विस्तार
वृंदावन के ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर हादसे की जांच आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री द्वारा गठित की गई जांच समिति के अध्यक्ष पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह बुधवार को एक बार फिर बांकेबिहारी मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने मंदिर में जांच की और सेवायत गोस्वामियों से जानकारी एकत्रित की। जांच अधिकारी ने हादसे के कारणों को जानने का प्रयास किया, वहीं अधिकारियों की चूक के तथ्य जुटाए। मंदिर परिसर में बने कंट्रोल रूम में जाकर सीसीटीवी फुटेज भी देखे हैं।
बुधवार को प्रशासनिक अमला के साथ पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर परिसर पहुंचे। सेवायत गोस्वामी के साथ मंदिर प्रबंधन से भी हादसे की जानकारी ली। राजभोग आरती से लगभग 20 मिनट पूर्व 11:45 बजे वृंदावन पहुंचे जांच समिति के अध्यक्ष ने दायरा बढ़ाया। उन्होंने पुन: मंदिर के प्रवेश और निकासी द्वार से सटी गलियों का गहनता से निरीक्षण किया। मंदिर के प्रवेश करने के लिए घोषित गेट नंबर दो और तीन के साथ ही निकास गेट एक और चार के अलावा आरक्षित गेट नंबर पांच का निरीक्षण किया।
मंदिर में भीड़ का किया आकलन
जांच के दौरान मंदिर में राजभोग आरती शुरू हो गई। सुलखान सिंह ने पहले ठाकुरजी की राजभोग आरती के दर्शन किए। मंदिर चौक में खड़े होकर आरती के बाद निकलने वाली भीड़ से हादसे का आंकलन का अध्ययन किया। निकासी गेट से लोगों के निकलने में कितना समय लगा, मंदिर के ऊपरी मंजिल पर उस गलियारे से मंदिर के चौक का बारीकी से निरीक्षण किया, जहां पर अधिकारी भीड़ का वीडियो बना रहे थे। यहां से निरीक्षण करने बाद वह मंदिर में स्थापित कंट्रोल रूम जाकर सीसीटीवी फुटेजों को खंगाला। अधिकारियों और मंदिर कर्मचारियों को बाहर कर दिया।
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