बेटियों ने दी पिता की चिता को मुखाग्नि – फोटो : अमर उजाला
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बेटा ही पिता की चिता को मुखाग्नि देता है, यह बात अब गुजरे जमाने की हो चुकी है। मथुरा के सौंख में बुधवार को यह रूढ़ीवादी परंपरा बेटियों ने तोड़ी। दो बेटियों ने पिता का अंतिम संस्कार किया। बेटी पिता की अंतिम यात्रा में श्मशान तक साथ आई और वहां उन सभी रीति रिवाजों को निभाया, जो बेटा करता है।
सौंख कस्बा के ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव के कलाकार और चिकित्सक एसोशिएशन के वरिष्ठ सदस्य डॉ. पुष्पेंद्र चतुर्वेदी (52) अपनी बेटी किमी चतुर्वेदी, मिनी चतुर्वेदी समेत पत्नी राधिका चतुर्वेदी और मां शारदा चतुर्वेदी के साथ सीमेंट रोड स्थित आवास पर रहते थे। एक बेटा प्रिंस चतुर्वेदी था, उसकी भी छह वर्ष पूर्व सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी।
बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी
तब से डॉ. पुष्पेंद्र चतुर्वेदी अपनी दोनों बेटियों के सहारा थे। बेटियों ने पिता को बेटे की कभी कमी महसूस नहीं होने दी। पिछले कुछ माह से डॉ.पुष्पेंद्र चतुर्वेदी की तबीयत खराब हो गई। तब बेटियां उन्हें मथुरा, आगरा से लेकर दिल्ली तक इलाज के लिए गई। बेटियों के तमाम प्रयास के बाद तबीयत में सुधार नहीं हुआ।
बेटियों ने दी चिता का मुखाग्नि
बुधवार दोपहर उपचार के दौरान करीब दो बजे उनका निधन हो गया। जानकारी मिलने पर बुधवार को रिश्तेदार, सगे संबंधी, परिचित आ गए। चिता को कौन आग देगा, यह सवाल उठने से पहले ही बेटियों ने स्पष्ट कह दिया कि वह ही अपने पिता का अंतिम संस्कार करेगी। इसके बाद वह पिता की शव यात्रा में शामिल हुई।
सहजुआ थोक स्थित शमशान में देर रात को डॉ.पुष्पेंद्र चतुर्वेदी की चिता को बेटी किमी चतुर्वेदी व मिनी चतुर्वेदी ने मुखाग्नि दी। अंति संस्कार के दौरान चेयरमैन भरत सिंह, पूर्व चेयरमैन शिवशंकर वर्मा, योगेश लंबरदार, रोहिताश्व वर्मा, छेदालाल सिंघल, डॉ.देवी प्रसाद शर्मा, गुड्डू लोहिया, नीरज शर्मा आदि मौजूद रहे।
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बेटा ही पिता की चिता को मुखाग्नि देता है, यह बात अब गुजरे जमाने की हो चुकी है। मथुरा के सौंख में बुधवार को यह रूढ़ीवादी परंपरा बेटियों ने तोड़ी। दो बेटियों ने पिता का अंतिम संस्कार किया। बेटी पिता की अंतिम यात्रा में श्मशान तक साथ आई और वहां उन सभी रीति रिवाजों को निभाया, जो बेटा करता है।
सौंख कस्बा के ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव के कलाकार और चिकित्सक एसोशिएशन के वरिष्ठ सदस्य डॉ. पुष्पेंद्र चतुर्वेदी (52) अपनी बेटी किमी चतुर्वेदी, मिनी चतुर्वेदी समेत पत्नी राधिका चतुर्वेदी और मां शारदा चतुर्वेदी के साथ सीमेंट रोड स्थित आवास पर रहते थे। एक बेटा प्रिंस चतुर्वेदी था, उसकी भी छह वर्ष पूर्व सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी।
बेटे की कमी महसूस नहीं होने दी
तब से डॉ. पुष्पेंद्र चतुर्वेदी अपनी दोनों बेटियों के सहारा थे। बेटियों ने पिता को बेटे की कभी कमी महसूस नहीं होने दी। पिछले कुछ माह से डॉ.पुष्पेंद्र चतुर्वेदी की तबीयत खराब हो गई। तब बेटियां उन्हें मथुरा, आगरा से लेकर दिल्ली तक इलाज के लिए गई। बेटियों के तमाम प्रयास के बाद तबीयत में सुधार नहीं हुआ।