Mathura: 361 किमी में विकसित होगा ब्रज 84 कोस परिक्रमा मार्ग, श्रद्धालुओं को दिखेगी कृष्ण लीलाओं की झलक

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अयोध्या की तर्ज पर मथुरा में ब्रज 84 कोस परिक्रमा मार्ग 361 किलोमीटर में विकसित किया जाएगा। इसमें 315 किलोमीटर का दायरा उत्तर प्रदेश का है, जबकि 46 किलोमीटर राजस्थान और हरियाणा के अंतर्गत रहेगा। नेशनल हाईवे प्राधिकरण ने इस प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के लिए टेंडर मांगे हैं। नेशनल हाईवे की योजना ब्रज 84 कोस परिक्रमा को मुख्य विरासत वाले मार्ग के रूप में विकसित करने की है।

उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के प्रस्ताव पर नेशनल हाईवे प्राधिकरण ब्रज 84 कोस परिक्रमा मार्ग को मुख्य विरासत वाला मार्ग बनाने जा रहा है। 361 किलोमीटर में फैला यह मार्ग भगवान श्रीकृष्ण की जन्म और प्रमुख लीला स्थलियों से श्रद्धालुओं को जोडे़गा। इस दायरे में शामिल आठ प्रमुख तीर्थ स्थल, 13 वन, 24 पौराणिक उपवन, 20 ऐतिहासिक कुंडों का सांस्कृतिक परिदृष्य श्रद्धालुओं को देखने को मिलेगा। उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के साथ राजस्थान और हरियाणा से गुजरने वाला यह ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग चार स्थानों पर यमुना और चार स्थानों पर नेशनल हाईवे से गुजरेगा। 

ये होगा परिक्रमा का नवीन स्वरूप

उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के प्रस्ताव के मुताबिक ब्रज 84 कोस परिक्रमा मार्ग को छह मीटर चौड़ा पक्का और 7.5 मीटर कच्चा मार्ग तैयार किया जाएगा। कच्चे मार्ग पर घास पैदल यात्रियों के लिए लगाई जाएगी। इसके साथ ही दोनों ओर वृक्ष होंगे, जिसमें कृष्णकालीन वृक्षों की अधिकता रहेगी। संपूर्ण परिक्रमा में 87 नहर, दो नदी और सात रेलवे क्रासिंग आ रहे हैं। रेलवे क्रॉसिंग पर एलिवेटिड क्रॉसिंग बनाए जाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा संपूर्ण मार्ग में साइनेज प्रणाली रहेगी। परिक्रमार्थियों की पर्याप्त सुरक्षा के लिए बोलार्ड, रेट्रो रिफलेक्टिव तत्व के अलावा आश्रम, शौचालय, पीने के लिए पानी, स्टॉल सहित बुनियादी सुविधाएं का भी प्रावधान किया गया है।

पड़ाव स्थल बनेंगे आकर्षण

नेशनल हाईवे प्राधिकरण द्वारा विकसित किए जाने वाले ब्रज 84 कोस परिक्रमा में 36 पड़ाव स्थल हैं। इसमें 28 पड़ाव स्थल यूपी, सात राजस्थान और एक हरियाणा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। इन पड़ाव स्थलों को धार्मिक महत्व के अनुरूप विकसित किया जाएगा। इन स्थलों पर पार्किंग, टेंट आवास, डाइनिंग हॉल, कथा स्थल के रूप में बुनियादी जरूरतें उपलब्ध कराई जाएगीं। यह स्थल 200 से 1000 यात्रियों के पड़ाव के मुताबिक 1.25 से छह एकड़ क्षेत्र में विकसित होंगे।

ब्रज 84 कोस परिक्रमा 

– 361 किलोमीटर में विकसित होगा परिक्रमा मार्ग।
– 08 प्रमुख तीर्थ स्थल, 13 वन, 24 पौराणिक उपवन, 20 ऐतिहासिक कुंडों।
– 04 स्थानों पर यमुना और 04 स्थानों पर नेशनल हाईवे से गुजरेगी। 
– संपूर्ण परिक्रमा में 87 नहर, 02 नदी और 07 रेलवे क्रॉसिंग।
– 36 पड़ाव स्थल, 28 पड़ाव, 07 राजस्थान और 01 हरियाणा क्षेत्र। 

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उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के शैलजाकांत मिश्रा ने बताया कि नेशनल हाईवे प्राधिकरण ने जानकारी दी है कि ब्रज 84 कोस परिक्रमा के विकास की डीपीआर के टेंडर मांगे गए हैं। जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद डीपीआर पर काम शुरू कर दिया जाएगा। यह प्रोजेक्ट ब्रज में पर्यटन की दिशा बदल देगा। स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के साधन बढे़गें। यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में बड़ा इजाफा होगा।

विस्तार

अयोध्या की तर्ज पर मथुरा में ब्रज 84 कोस परिक्रमा मार्ग 361 किलोमीटर में विकसित किया जाएगा। इसमें 315 किलोमीटर का दायरा उत्तर प्रदेश का है, जबकि 46 किलोमीटर राजस्थान और हरियाणा के अंतर्गत रहेगा। नेशनल हाईवे प्राधिकरण ने इस प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के लिए टेंडर मांगे हैं। नेशनल हाईवे की योजना ब्रज 84 कोस परिक्रमा को मुख्य विरासत वाले मार्ग के रूप में विकसित करने की है।

उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के प्रस्ताव पर नेशनल हाईवे प्राधिकरण ब्रज 84 कोस परिक्रमा मार्ग को मुख्य विरासत वाला मार्ग बनाने जा रहा है। 361 किलोमीटर में फैला यह मार्ग भगवान श्रीकृष्ण की जन्म और प्रमुख लीला स्थलियों से श्रद्धालुओं को जोडे़गा। इस दायरे में शामिल आठ प्रमुख तीर्थ स्थल, 13 वन, 24 पौराणिक उपवन, 20 ऐतिहासिक कुंडों का सांस्कृतिक परिदृष्य श्रद्धालुओं को देखने को मिलेगा। उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के साथ राजस्थान और हरियाणा से गुजरने वाला यह ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग चार स्थानों पर यमुना और चार स्थानों पर नेशनल हाईवे से गुजरेगा। 

ये होगा परिक्रमा का नवीन स्वरूप

उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के प्रस्ताव के मुताबिक ब्रज 84 कोस परिक्रमा मार्ग को छह मीटर चौड़ा पक्का और 7.5 मीटर कच्चा मार्ग तैयार किया जाएगा। कच्चे मार्ग पर घास पैदल यात्रियों के लिए लगाई जाएगी। इसके साथ ही दोनों ओर वृक्ष होंगे, जिसमें कृष्णकालीन वृक्षों की अधिकता रहेगी। संपूर्ण परिक्रमा में 87 नहर, दो नदी और सात रेलवे क्रासिंग आ रहे हैं। रेलवे क्रॉसिंग पर एलिवेटिड क्रॉसिंग बनाए जाने का प्रस्ताव है। इसके अलावा संपूर्ण मार्ग में साइनेज प्रणाली रहेगी। परिक्रमार्थियों की पर्याप्त सुरक्षा के लिए बोलार्ड, रेट्रो रिफलेक्टिव तत्व के अलावा आश्रम, शौचालय, पीने के लिए पानी, स्टॉल सहित बुनियादी सुविधाएं का भी प्रावधान किया गया है।

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