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1. मुस्लिम वोटर्स के लिए सपा से जंग : मायावती को यह मालूम है कि उनका कोर दलित वोटर्स भले ही खिसक कर भाजपा में चला गया है, लेकिन वह जब चाहेंगी वापस सब उनके पास आ जाएंगे। ऐसे में वापस राजनीति में मजबूत होने के लिए उन्हें दलितों के साथ-साथ अन्य वर्ग का साथ भी चाहिए होगा। 2022 के चुनाव में मायावती ने ब्राह्मण वोटर्स को रिझाने की कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। यही कारण है कि अब एक बार फिर से मायावती दलित-मुसलमान गठजोड़ बनाना चाहती हैं। इसके लिए वह लगातार प्रयास कर रहीं हैं। यूपी में मुसलमान वोटर्स का साथ खुलकर समाजवादी पार्टी को मिलता है। ऐसे में मायावती को अगर मुसलमानों का वोट चाहिए तो उन्हें सपा से दूर करना होगा। मायावती यही करने की कोशिश कर रहीं हैं। वह चाहती हैं कि मुसलमान एक बार फिर से उनके साथ आ जाएं, ताकि वह दलित-मुसलमान गठजोड़ फिर से बना सकें।
2. भाजपा का क्या? : मायावती दो बार भाजपा की मदद से ही प्रदेश की मुख्यमंत्री रहीं हैं। भाजपा को लेकर उनके बयान भी काफी सॉफ्ट रहते हैं। हालांकि, मायावती यह चाहती हैं कि एक बार मुसलमान उनके साथ आ जाएं तो भाजपा को वह पीछे कर सकती हैं। इसलिए मायावती की सबसे ज्यादा लड़ाई भाजपा की बजाय समाजवादी पार्टी से दिख रही है। मंगलवार को भाजपा विधायक को लेकर किया गया उनका ट्वीट भाजपा पर निशाने से ज्यादा मुस्लिम मतदाताओं को साधने के लिए।
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