MDM SCAM : कौशांबी के मिड-डे-मील जिला समन्वयक समेत सात की संविदा समाप्त, एफआईआर दर्ज

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Kaushambi :  बीएसए दफ्तर कौशांबी।

Kaushambi : बीएसए दफ्तर कौशांबी।
– फोटो : अमर उजाला।

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मिड-डे-मील योजना में एक बड़े फर्जीबाड़े का खुलासा हुआ है। बीएसए कार्यालय में तैनात एमडीएम के जिला समन्वयक समेत सात कर्मचारी फर्जी रसोइयां बन खुद व रिश्तेदारों के खाते में मानदेय का 7.42 लाख रुपया भेजकर खा गए। जांच में खुलासा होने के बाद डीएम सुजीत कुमार ने सातों कर्मचारियों की संविदा समाप्त करने के साथ ही पांच के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है। इसके अलावा पर्यवेक्षण में लापरवाही बरतने वाले छह खंड शिक्षाधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए महानिदेशक स्कूल शिक्षा को संस्तुति कर दी गई। एकमुश्त इतनी बड़ी कार्रवाई से बेसिक शिक्षा विभाग में खलबली है।

पिछले दिनों रसोइयों को मानदेय मुहैया कराने के लिए शासन से बजट आवंटित हुआ तो बीएसए ने सभी खंड शिक्षाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी। खंड शिक्षाधिकारी सिराथू सुरेंद्र पटेल ने हाजिरी सत्यापन कराने के लिए रसोइयों की सूची व्हाट्सएप ग्रुप पर डालकर स्कूलों के प्रधानाचार्यों से जानकारी मांगी। इस दौरान कुछ विद्यालयों से जानकारी मिली कि सूची में दर्ज रसोइयां उनके यहां नियुक्ति ही नहीं हैं।

बीएसए की जांच में हुआ खुलासा
एबीएसए ने इसकी जानकारी बीएसए प्रकाश सिंह को दी। मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में आया तो उन्होंने बीएसए के साथ ही वित्त एवं लेखाधिकारी विनय प्रजापति की दो सदस्यीय टीम गठित कर प्रकरण की जांच करने का निर्देश दिया। अफसरों ने अभिलेखों को खंगाला तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। बीएसए ने बताया कि वर्ष 2019 से 22 के बीच 45 फर्जी रसोइयों के नाम से कार्यालय में तैनात जिला समन्वयक एमडीएम पंकज जायसवाल समेत पांच कर्मचारी अपने व अपने रिश्तेदारों के खाते में मानदेय भेज रहे थे।

अब तक इन लोगों ने 7.42 लाख रुपये की धनराशि का गबन किया है। इस कार्यालय में दो अन्य कर्मचारी भी सहयोग करते थे। इसके अलावा संबंधित खंड शिक्षाधिकारियों ने भी पर्यवेक्षण में लापरवाही की। जांच रिपोर्ट के आधार पर डीएम ने बुधवार को सभी सातों कर्मचारियों की संविदा समाप्त करते हुए जिन पांच कर्मचारियों के खाते में धनराशि जा रही थी उनके खिलाफ एफआईआर कराने का निर्देश दिया। इंस्पेक्टर विनोद सिंह ने बताया कि देर रात सभी पांचों कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

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इनकी हुई संविदा समाप्त
पंकज कुमार जायसवाल-जिला समन्वयक एमडीएम 
विनय कुमार गुप्ता, तत्कालीन कम्प्यूटर ऑपरेटर/एमडीएम पटल प्रभारी सिराथू (वर्तमान तैनाती कम्प्यूटर ऑपरेटर सरसवां ब्लॉक)
राजकुमार चौरसिया, तत्कालीन कम्प्यूटर ऑपरेटर/एमडीएम पटल प्रभारी मूरतगंज (वर्तनाम तैनाती कम्प्यूटर ऑपरेटर कड़ा  ब्लॉक)
मो. नाशिद, अनुदेशक उच्च प्राथमिक विद्यालय पिंडरा/एमडीएमपटल प्रभारी मंझनपुर ब्लॉक
नीरज जायसवाल, कम्प्यूटर ऑपरेटर-एमडीएम 
प्रदीप सिंह, कम्प्यूटर ऑपरेटर सरसवां
आलेप कुमार कंप्यूटर आपरेटर सिराथू

इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए शासन को भेजा गया पत्र
राजेश कुमार, तत्कालीन एबीएस सिराथू (वर्तमान तैनाती एबीएसए जनपद चित्रकूट) 
जवाहर लाल यादव, तत्कालीन एबीएसए सिराथू (वर्तमान तैनाती एबीएसए मुख्यालय कौशाम्बी) 
चंद्रमोहन सिंह, एबीएसए मंझनपुर 
किरन पांडेय, तत्कालीन एबीएसए मूरतगंज (वर्तमान तैनाती एबीएसए कड़ा)
मुकेश नारायण मिश्र, तत्कालीन एबीएसए मूरतगंज (वर्तमान निलम्बित एबीएसए सम्बद्ध डायट मंझनपुर) 
मिथिलेश कुमार, तत्कालीन एबीएसए सरसवां (वर्तमान तैनाती एबीएसए जनपद चित्रकूट) 

फर्जी रसोइयों के नाम पर मानदेय आहरित करने के आरोप में सात कर्मचारियों की संविदा समाप्त करने के साथ ही एमडीएम समन्वयक समेत पांच के खिलाफ एफआई दर्ज करा दी गई है। साथ ही पर्यवेक्षण में लापरवाही बरतने वाले छह खंड शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए महानिदेशक को संस्तुति की गई है। – सुजीत कुमार, जिलाधिकारी कौशांबी।

विस्तार

मिड-डे-मील योजना में एक बड़े फर्जीबाड़े का खुलासा हुआ है। बीएसए कार्यालय में तैनात एमडीएम के जिला समन्वयक समेत सात कर्मचारी फर्जी रसोइयां बन खुद व रिश्तेदारों के खाते में मानदेय का 7.42 लाख रुपया भेजकर खा गए। जांच में खुलासा होने के बाद डीएम सुजीत कुमार ने सातों कर्मचारियों की संविदा समाप्त करने के साथ ही पांच के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है। इसके अलावा पर्यवेक्षण में लापरवाही बरतने वाले छह खंड शिक्षाधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए महानिदेशक स्कूल शिक्षा को संस्तुति कर दी गई। एकमुश्त इतनी बड़ी कार्रवाई से बेसिक शिक्षा विभाग में खलबली है।

पिछले दिनों रसोइयों को मानदेय मुहैया कराने के लिए शासन से बजट आवंटित हुआ तो बीएसए ने सभी खंड शिक्षाधिकारियों से रिपोर्ट मांगी। खंड शिक्षाधिकारी सिराथू सुरेंद्र पटेल ने हाजिरी सत्यापन कराने के लिए रसोइयों की सूची व्हाट्सएप ग्रुप पर डालकर स्कूलों के प्रधानाचार्यों से जानकारी मांगी। इस दौरान कुछ विद्यालयों से जानकारी मिली कि सूची में दर्ज रसोइयां उनके यहां नियुक्ति ही नहीं हैं।



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