MEERUT: नेपाली नौकर ने गार्ड को खिलाया खीर-परांठा, फिर साथियों संग दो घंटे में खंगाली बिल्डर की कोठी

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मेरठ के टीपीनगर थानाक्षेत्र के कमला नगर में बिल्डर प्रदीप की कोठी में नेपाली नौकर वीर बहादुर ने गार्ड मनोज को नशीला पदार्थ मिलाकर खीर और परांठा खिलाया। इसके बाद दो घंटे में ही कोठी को खंगाल दिया। शाम 4 बजे वीर बहादुर ने गार्ड मनोज को फोन करके खाना खाने के लिए बुलाया। खाना खाने के कुछ देर बाद ही मनोज बेहोश हो गए।

इसके बाद नौकर ने तीन साथियों को बुलाया था। शाम 6 बजे गार्ड की ड्यूटी बदलनी थी। मनोज की जगह राकेश को आना था, इससे पहले ही नौकर साथियों सहित सामान लेकर भाग गया। बाद में दूसरे गार्ड राकेश पहुंचे तो कोठी का सामान बिखरा मिला, लेकिन उन्होंने किसी को नहीं बताया। करीब डेढ़ घंटे बाद 7:30 बजे गार्ड मनोज को होश आया और अपने परिजनों को बुलाकर उनके साथ चला गया।

एक कैमरे में नजर आया नौकर

चालू मिले एक कैमरे में नेपाली नौकर सहित चार लोग नजर आए हैं। रविवार शाम चार बजे यह कोठी की ओर जाते नजर आए हैं। राकेश पूरी तरह से होश में नहीं था। इसके बावजूद उसने पुलिस को बताया कि शाम चार बजे वीर बहादुर ने फोन कर उसे कोठी में बुलाया था।

खाना खाने के बाद बेहोश वह बेहोश हो गया और इसके बाद का उन्हें कुछ पता नहीं है। पुलिस ने नौकर और गार्ड के मोबाइल की सीडीआर भी निकाली है। फुटेज में नौकर के साथ तीन युवक कॉलोनी से बाहर जाते हुए भी दिख रहे हैं।

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पुलिस का मानना कि यह घटना शाम 4 से 6 बजे के बीच की है। पुलिस ने प्रदीप गुप्ता को गार्ड उपलब्ध करने वाले सरदार सिद्धू को बुलाकर पूछताछ की। सरदार सिद्धू ने बताया कि वह समाजसेवी हैं।

एक सप्ताह पहले ही नौकरी मांगने के लिए वीर बहादुर उनके ऑफिस मेट्रो प्लाजा में आया था। मैंने उनको प्रदीप गुप्ता के पास भेज दिया था। मैंने उसकी आईडी नहीं ली। वह कहां से आया था, इसका मुझे कोई पता नहीं। वह वीर बहादुर है या कोई ओर, मुझे यह भी नहीं पता।

गार्ड ने यह बताया…

गार्ड मनोज: जब मैं कोठी के अंदर खाना खाने गया था, उस वक्त वीर बहादुर कपड़े धो रहा था। खाना खाने के बाद बेहोश हो गया था। परिवार वाले मुझे कोठी से लेकर चले गए। वीर बहादुर ने क्या किया, इसके बारे में मुझे नहीं पता। अभी मेरी हालत ठीक नहीं है। यह सुनते ही पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया दिया।

गार्ड राकेश: मैं प्रदीप गुप्ता के ऑफिस पर रहता हूं। वह दिल्ली जाएंगे, यह बात कहकर मुझे रात में कोठी पर रहने को कहा था। वह शाम छह बजे कोठी पर गए थे। वहां मनोज नहीं मिला। कुछ सामान बिखरा हुआ पड़ा था, लेकिन मैंने सोचा कि जल्दबाजी में सामान ऐसे छोड़ गए होंगे। यह सोचकर किसी को नहीं बताया। डेढ़ घंटे बाद मनोज कोठी में ही मिला। परिवार वाले उसे ले गए थे।



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