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– फोटो : अमर उजाला।
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मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (एमएमएमयूटी) में बीटेक प्रवेश फर्जीवाड़ा मामले में छात्रों के प्रत्यावेदन की जांच रिपोर्ट को विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है। अब आगे की कार्रवाई हाईकोर्ट के निर्देश पर होगी।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच के बाद 40 छात्रों का प्रवेश निरस्त कर दिया था। इसके बाद 35 छात्रों ने हाईकोर्ट की शरण ले ली। हाईकोर्ट के निर्देश पर 31 जनवरी तक छात्रों को साक्ष्य उपलब्ध कराने का समय दिया गया। 31 छात्रों ने साक्ष्य उपलब्ध करा दिए। विवि की जांच समिति ने साक्ष्यों का परीक्षण कराया और उसे विद्या परिषद के समक्ष रखा गया।
विद्या परिषद की मंजूरी के बाद मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई के पूर्व विवि प्रशासन के अधिवक्ता ने जांच रिपोर्ट को प्रस्तुत कर दिया। कुलसचिव डॉ जयप्रकाश ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देश पर आगे की कार्रवाई विवि सुनिश्चित करेगा।
हाईकोर्ट गए थे 35 छात्र
विश्वविद्यालय में दो अलग-अलग सत्रों में 40 छात्रों ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे प्रवेश ले लिया। 2020-21 में 22 तथा 2021-22 में 18 छात्रों का प्रवेश विवि ने निरस्त कर दिया। विवि के प्रबंध बोर्ड ने नौ जनवरी 2023 को इन सभी छात्रों का प्रवेश निरस्त करते हुए जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी। इस निर्णय के खिलाफ 35 छात्रों ने हाईकोर्ट की शरण ली और सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने छात्रों को राहत देते हुए 31 जनवरी तक निर्दोष साबित करने के लिए दस्तावेज उपलब्ध कराने का समय दे दिया। कुल 31 छात्रों ने विवि को साक्ष्य उपलब्ध कराए थे। विवि द्वारा गठित जांच समिति ने साक्ष्यों का परीक्षण कराया है।
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