MNNIT : तैयार होगी ऐसी किट, जो हर कार को बना देगी चालक रहित, पहले चरण का सफल परीक्षण

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Prayagraj News :  एमएनएनआईटी में मानव रहित कार का परीक्षण किया गया।

Prayagraj News : एमएनएनआईटी में मानव रहित कार का परीक्षण किया गया।
– फोटो : अमर उजाला।

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मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) में बीटेक के छात्र और शिक्षक एक ऐसी किट तैयार कर रहे हैं, जिसे किसी भी कार में लगाए जाने के बाद ड्राइवर की जरूरत नहीं पड़ेगी। कार चालक रहित होगी और उसमें ऐसे सेंसर लगे होंगे, जो दुर्घटना से बचाएंगे। हालांकि, यह अभी टेस्टिंग फेज में हैं। शनिवार को एमएनएनआईटी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान गोल्फ कार्ट में इस किट को लगाकर पहले चरण का परीक्षण किया गया। 1995 बैच के छात्रों से मिले आर्थिक सहयोग से इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। अभी इसे कई चरणों में अपग्रेड किया जाएगा और एमएनएनआईटी में होने वाले आगामी तकनीकी महोत्सव में इसका प्रदर्शन किया जाएगा।

इस प्रोजेक्ट पर प्रो. समीर सरस्वती और प्रो. जितेंद्र नारायण गंगवार के नेतृत्व में बीटेक अंतिम वर्ष के छात्र देवाशीष सिंह तोमर, गौरव शर्मा एवं अमित गुप्ता की टीम काम का रही है। गोल्फ कार्ट में ‘योलो-3’ सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया, जिसकी मदद से इसे चालक रहित बनाया जा सका है। टीम का लक्ष्य है कि सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का इस्तेमाल कर एक ऐसी किट बनाई जाए, जो किसी भी कार में फिर की जा सके और कार बिना ड्राइवर के चल सके।

टीम के सदस्य बीटेक अंतिम वर्ष के छात्र गौरव शर्मा बताते हैं कि अभी तो शोध की शुरुआत हुई है। इस पर काम होता रहेगा। 15 वर्ष से अधिक पुरानी कारें अमूमन अनुपयोगी हो जाती हैं। हम ऐसी कारों में किट का इस्तेमाल कर कई चरणों में परीक्षण करेंगे। जैसे-जैसे सफलता मिलेगी, उसी के अनुरूप किट को भी अपग्रेड किया जाएगा। अभी तो बैटरी चालित गोल्फ कार्ट पर परीक्षण हुआ है। आगे के चरणों में किसी भी ईंधन से चलने वाली कार पर परीक्षण किया जाएगा।

अभी सेंसर से आगे-पीछे ही जा सकती है कार
शुरुआती चरण में गोल्फ कार्ट में जिस सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है, वह कार को सिर्फ आगे और पीछे ले जाने में ही सक्षम है। पांच से नौ मीटर की दूरी में अगर कोई मौजूद हैं, तो इसमें लगा सेंसर दुर्घटना से बचने के लिए इसकी जानकारी दे देता है और अपने आप रुक जाती है। शोध के अगले चरणों में कार को इधर-उधर मोड़ने और गंतव्य तक पहुंचाने पर काम होगा। 

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नेटवर्क कमजोर होने पर हुई दिक्कत
चालक रहित गोल्फ कार्ट के प्रदर्शन के दौरान सेंसर के जरिये इसे चलाने में कुछ दिक्कतें भी आईं। बीच-बीच में सेंसर काम करना बंद कर दे रहा था। ऐसे में गोल्फ कार्ट की अगली सीट पर बैठे व्यक्ति को अलग से ब्रेक लगाना पड़ा। टीम के सदस्यों ने बताया कि नेटवर्क कमजोर होने के कारण कभी-कभी ऐसा होता है। शोध का यह शुरुआती चरण है। अभी इस पर काफी काम होना बाकी है।

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मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआईटी) में बीटेक के छात्र और शिक्षक एक ऐसी किट तैयार कर रहे हैं, जिसे किसी भी कार में लगाए जाने के बाद ड्राइवर की जरूरत नहीं पड़ेगी। कार चालक रहित होगी और उसमें ऐसे सेंसर लगे होंगे, जो दुर्घटना से बचाएंगे। हालांकि, यह अभी टेस्टिंग फेज में हैं। शनिवार को एमएनएनआईटी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान गोल्फ कार्ट में इस किट को लगाकर पहले चरण का परीक्षण किया गया। 1995 बैच के छात्रों से मिले आर्थिक सहयोग से इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। अभी इसे कई चरणों में अपग्रेड किया जाएगा और एमएनएनआईटी में होने वाले आगामी तकनीकी महोत्सव में इसका प्रदर्शन किया जाएगा।

इस प्रोजेक्ट पर प्रो. समीर सरस्वती और प्रो. जितेंद्र नारायण गंगवार के नेतृत्व में बीटेक अंतिम वर्ष के छात्र देवाशीष सिंह तोमर, गौरव शर्मा एवं अमित गुप्ता की टीम काम का रही है। गोल्फ कार्ट में ‘योलो-3’ सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया, जिसकी मदद से इसे चालक रहित बनाया जा सका है। टीम का लक्ष्य है कि सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का इस्तेमाल कर एक ऐसी किट बनाई जाए, जो किसी भी कार में फिर की जा सके और कार बिना ड्राइवर के चल सके।



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