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जेलर को धमकी देने के मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में सरकार की ओर से पेश वकीलों का तर्क था कि मुख्तार प्रदेश में सबसे बड़ा बाहुबली है। उसके नाम से आम लोगों के साथ सरकारी लोग भी भय खाते हैं। जेलर एस के अवस्थी से पहले रहे जेलर आरके तिवारी की हत्या भी कथित रूप से इसी वजह से हुई थी, क्योंकि वहां जेल में मुख्तार को रोक-टोक पसंद नहीं थी। वहीं, हाईकोर्ट ने पाया कि वादी तत्कालीन जेलर एसके अवस्थी ने अपने पहले बयान में मुख्तार द्वारा उन्हें धमकी देने और उनके सिर पर रिवॉल्वर लगाने की बात कही, लेकिन बाद के बयान में वह मुकर गए। न्यायालय ने कहा कि गवाह के पहले बयान के दस साल बाद दूसरा बयान दर्ज कराया था। तब जब वह रिटायर हो चुका था और तब उसके मुकरने का कारण मुख्तार के आपराधिक इतिहास से समझा जा सकता है।
यह है मामला
2003 में मुख्तार लखनऊ की जिला जेल में निरुद्ध था। उससे मिलने तमाम लोग आया करते थे। 23 अप्रैल, 2003 को मुख्तार के कुछ लोग सुबह उससे मिलने आए, तब जेलर एसके अवस्थी जेल के अंदर ही अपने ऑफिस में मौजूद थे।
उस पर 55 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें 40 उसके गृह जनपद गाजीपुर के एक ही थाने में दर्ज है। मुख्तार पर भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के अलावा दंगा भड़काने, हत्या, डकैती, रंगदारी, अपहरण जैसे कई संगीन मामले दर्ज हैं। अधिकांश मुकदमों में ट्रायल चल रहा है।
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