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वारदात को अंजाम देने के लिए दोनों भाईयों के दिल में कितनी नफरत भरी हुई थी, इसका अंदाजा मृतकों के शवों की हालत देखकर लगाया जा सकता है। पूछताछ में सामने आया कि आरोपी दुर्गेश ढाई माह से भूपेंद्र की हत्या की फिराक में लगा हुआ था। एक अक्तूबर को मौका मिलने पर उसने अपने सिपाही भाई के साथ मिलकर योजना बनाई और भूपेंद्र व उसके भाई जगदीश को पहले रॉड से सिर पर हमला कर घायल किया, बाद में बोरे में बंद कर संभल ले जाकर दोनों का बेहोशी की हालत में एक-एक कर सिर धड़ से अलग कर दिया। पुलिस की पूछताछ के दौरान आरोपी दुर्गेश ने बताया कि उसके पिता की करीब सात वर्ष पूर्व मौत हो गई थी। वह दिल्ली पुलिस में तैनात थे। उनकी मौत के बाद बड़े भाई तुषार की उनकी जगह दिल्ली पुलिस में मृतक आश्रित में नौकरी लग गई। वर्तमान में वह दिल्ली मालवीय नगर थाने में तैनात है।
नशे में होते ही आरोपियों ने दोनों युवकों के सिर पर लोहे की रॉड से हमला कर घायल कर दिया। इस दौरान उनकी मां लता भी वहां मौजूद थी। इसके बाद तीनों आरोपियों ने मिलकर दोनों युवकों के हाथ पैरों को टेप से बांधा कर अलग-अलग बोरे में बंद कर दिय। साथ ही तुषार की गाड़ी में डाल लिया। गांव से ही आरोपियों ने अपने एक साथी मुकुल को भी गाड़ी में बैठा लिया और संभल के लिए रवाना हो गए।
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