उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में हुए बहुचर्चित तंजील अहमद हत्याकांड में दोषी पाए गए दो आरोपियों मुनीर व रैय्यान को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। दो अप्रैल 2016 की रात मुनीर ने अपने साथी रैय्यान के संग मिलकर एनआईए अफसर और उनकी पत्नी को गोली बरसाकर मार डाला था। हत्याकांड के 86 दिन बाद मुनीर की गिरफ्तारी नोएडा में की गई थी। मामला कोर्ट में चला तो दोषी ठहराने जाने तक 159 तारीख लगीं। 19 गवाहों ने कोर्ट में बयान दिए। इस न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने में 73 महीने 18 दिन का वक्त लगा।
शुक्रवार को कोर्ट ने गैंगस्टर मुनीर और रैय्यान को दोहरे हत्याकांड का दोषी करार दिया है। आज दोनों आरोपियों को फांसी की सजा मुकर्रर हुई। बता दें कि सजा सुनाए जाने तक पूरी प्रक्रिया में छह साल एक महीना 18 दिन का वक्त लगा है। जिसमें 52 हाजिरी तारीख और 107 साक्ष्य हाजिरी तारीख लगी हैं। 19 गवाहों ने अपनी गवाही देकर केस को अंजाम तक पहुंचाने में कोर्ट का सहयोग दिया। आगे विस्तार से जानें इस खौफनाक हत्याकांड की अब तक की पूरी कार्रवाई :-
बनाए गए थे 44 गवाह
हत्याकांड के आरोप पत्र में 44 गवाह बनाए गए थे। जिसमें 19 गवाह कोर्ट में पेश हुए। जिनकी गवाही के आधार पर ही दोषी ठहराया जा सका। सरकारी पक्ष की ओर से वादी मृतक तंजील अहमद के भाई रागिब मसूद, मोहम्म्द हसीब, इनामुल हक, सिपाही मुन्ना बाबू, दरोगा मनोज कुमार, मृतक की बेटी, डॉ. राजेंद्र, डॉ. सुनील, डॉ. समीक्षा, डॉ. सुधीर, दरोगा रूप सिंह, मोहम्मद आजम, डॉ. आदर्श, निरीक्षक राजकुमार शर्मा, एसआई सतीश कुमार, एसआई संदीप राज, सिपाही रोहित शर्मा, दरोगा कमलेश यादव ने अपने बयान दर्ज कराए।
छावनी में तब्दील रहा जजी परिसर
एनआईए अफसर हत्याकांड में सजा सुनाए जाने को लेकर शुक्रवार की सुबह से ही जजी परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया था। एएसपी देहात राम अर्ज, सीओ सिटी कुुलदीप गुप्ता समेत तीन सीओ और छह निरीक्षक तथा पुलिस और पीएसी के जवान तैनात किए गए थे। परिसर में आने वाले लोगों की तलाशी लेकर ही अंदर जाने दिया गया। वहीं गेट पर मेटल डिडेक्टर से होकर गुजरना पड़ा। सर्विलांस और स्वाट की टीम भी जजी परिसर में होने वाली गतिविधियों पर नजर बनाए रही।
मुनीर पर अलीगढ़ में दर्ज हैं 12 केस
मुनीर पर लूट और हत्या के 33 मुकदमें दर्ज हैं। अलीगढ़ में ही 12 से अधिक केस दर्ज हैं। एनआईए अफसर की हत्या हुई तो मुनीर को गिरफ्तार किया गया। तब कहीं जाकर अपराध की दुनिया में उसके शातिराना अंदाज का पर्दाफाश हुआ। जजी परिसर में सुरक्षा ड्यूटी कर रहे सीओ सिटी कुलदीप गुप्ता ने बताया कि जैसे ही मुनीर को पता लगा कि उसे सजा होने वाली और दोषी ठहराया जा चुका है। इसके तुरंत बाद ही मुनीर के चेहरे के भाव बदल गए। सीओ सिटी ने बताया कि वह अचानक शांत हो गया और चेहरे पर डर के भाव नजर आए।
ऐसे दिया था वारदात को अंजाम
बिजनौर में दो अप्रैल 2016 की रात को राष्ट्रीय जांच एजेंसी में डिप्टी एसपी रहे तंजील अहमद को हत्यारों ने गोलियां बरसाकर छलनी कर दिया था। तंजील अहमद के शरीर में गोली के घुसने और निकलने के 33 घाव थे, जबकि उनकी पत्नी के शरीर में गोली लगने के छह घाव मिले थे। अत्याधुनिक हथियारों से गोली चलाकर इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। डिप्टी एसपी के बेटे शाहबाज और बेटी जिमनिश ने सीट के नीचे घुसकर जान बचाई थी। पूरे हत्याकांड को दो मिनट में ही अंजाम दे दिया गया था।