Nikay Chunav: मेयर व निकाय अध्यक्षों के पद पर आरक्षण को लेकर नहीं बनी सहमति, सत्तारूढ़ दल में उठे विरोध के सुर

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प्रतीकात्मक तस्वीर

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महापौर और पालिका व पंचायत अध्यक्षों के पद पर आरक्षण को लेकर सत्तारूढ़ दल में विरोध के सुर उठने लगे हैं। इसके चलते शनिवार को इन पदों पर चुनाव के लिए आरक्षण जारी नहीं हुआ। अब सरकार व संगठन में आरक्षण को लेकर एक राय होने के बाद भी इसकी घोषणा की जाएगी।

सूत्रों का कहना था कि विभाग की ओर से चक्रानुक्रम से तैयार आरक्षण के प्रस्ताव पर सत्तारूढ़ दल में सहमति नहीं बनी है। कुछ निकायों में महापौर व अध्यक्ष पद सामान्य के लिए आरक्षित किया गया है, जबकि सत्तारूढ़ दल 2024 के सामाजिक समीकरण के तहत वहां ओबीसी आरक्षण चाहता है।

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इसी प्रकार जहां सीट ओबीसी के लिए आरक्षित की गई है वहां पार्टी सीट को सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित कराना चाहती है। आरक्षण को लेकर शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस स्थगित होने पर नगर विकास व ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा के कहा कि आरक्षण पर आपत्ति की कोई बात नहीं है। बिजली कर्मचारियों के साथ वार्ता में व्यस्त होने के कारण ऐसा हुआ।

सत्तारूढ़ भाजपा निकाय चुनाव में पंचायत चुनाव वाली चूक दोहराना नहीं चाहती है। इसीलिए महापौर और नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर आरक्षण की घोषणा नहीं हो सकी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अप्रैल-मई 2021 में हुए पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य एवं अध्यक्ष, क्षेत्र पंचायत सदस्य और अध्यक्ष के आरक्षण को लेकर जिला से लेकर प्रदेश तक विरोध हुआ था।

जिला पंचायत सदस्य और क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव में पार्टी की हार क लिए आरक्षण के गलत निर्धारण को भी जिम्मेदार ठहराया गया था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी उस समय पंचायती राज मंत्री थे। पार्टी सूत्रों का कहना था कि नेतृत्व पंचायत चुनाव में हुई चूक को निकाय चुनाव में नहीं दोहराना चाहता है लिहाजा प्रमुख निकायों में एक-एक कदम सोच-समझकर आगे बढ़ाया जा रहा है।

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शर्मा को पहले से किया था आगाह
निकाय चुनाव के लिए पिछले महीने भाजपा प्रदेश मुख्यालय में आयोजित बैठक में नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा को आरक्षण निर्धारण को लेकर आगाह किया गया था। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री संगठन की मौजूदगी में पदाधिकारियों ने साफ कहा था कि आरक्षण का निर्धारण पार्टी की मंशा के अनुरूप होना चाहिए। हालांकि शर्मा ने बैठक में भी कहा था कि आरक्षण नियमानुसार चक्रानुक्रम में ही तय होगा, संगठन उस पर आपत्ति भी कर सकता है।

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महापौर और पालिका व पंचायत अध्यक्षों के पद पर आरक्षण को लेकर सत्तारूढ़ दल में विरोध के सुर उठने लगे हैं। इसके चलते शनिवार को इन पदों पर चुनाव के लिए आरक्षण जारी नहीं हुआ। अब सरकार व संगठन में आरक्षण को लेकर एक राय होने के बाद भी इसकी घोषणा की जाएगी।

सूत्रों का कहना था कि विभाग की ओर से चक्रानुक्रम से तैयार आरक्षण के प्रस्ताव पर सत्तारूढ़ दल में सहमति नहीं बनी है। कुछ निकायों में महापौर व अध्यक्ष पद सामान्य के लिए आरक्षित किया गया है, जबकि सत्तारूढ़ दल 2024 के सामाजिक समीकरण के तहत वहां ओबीसी आरक्षण चाहता है।

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इसी प्रकार जहां सीट ओबीसी के लिए आरक्षित की गई है वहां पार्टी सीट को सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित कराना चाहती है। आरक्षण को लेकर शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस स्थगित होने पर नगर विकास व ऊर्जा मंत्री अरविंद शर्मा के कहा कि आरक्षण पर आपत्ति की कोई बात नहीं है। बिजली कर्मचारियों के साथ वार्ता में व्यस्त होने के कारण ऐसा हुआ।



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