Prayagraj Violence : एआईएमआईएम के जिला अध्यक्ष मोहम्मद शाह आलम सहित दो की अग्रिम जमानत अर्जी निरस्त

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जुमे की नमाज के बाद हुए हिंसा और बवाल मामले में आरोपित ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादउल मुस्लिमीन के जिलाध्यक्ष मोहम्मद शाह आलम और उमर खालिद की अग्रिम जमानत अर्जी जिला न्यायालय ने खारिज कर दिया है। उमर खालिद की जमानत अर्जी को जिला जज नलिन कुमार श्रीवास्तव ने खारिज किया, जबकि मोहम्मद शाह आलम की अग्रिम जमानत अर्जी को अपर सत्र न्यायाधीश रत्नेश कुमार श्रीवास्तव ने खारिज की।

अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अखिलेश सिंह बिसेन के विस्तृत तर्कों को सुनने एवं पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए कागजातों का अवलोकन करने के बाद जमानत अर्जी निरस्त कर दिया।

अभियोजन द्वारा बताया गया कि आरोपित का अपराधिक इतिहास भी है। अदालत ने कहा कि मामला राहगीरों पुलिस बल पर पथराव करने गोलियों और बमों से हमला करने का है। अतिरिक्त बल का प्रयोग कर नियंत्रित किया गया है। तमाम लोग घायल हुए। संपत्ति को आग लगाकर नष्ट किया गया है। ऐसी स्थिति में जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार की जाने का कोई आधार पर्याप्त नही है।

करेली थाने पर रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि 10 जून 2022 को हजारों की भीड़ करीब दो बजे अटाला मोहल्ले की तरफ से आई और पथराव करने लगी। पथराव छत से भी होने लगे। उपद्रवी गोली और बम भी चलाने लगे। इससे राहगीरों एवं पुलिस बल में लगे तमाम लोगों को चोटे आईं। मोबाइल छीनने लगे। शस्त्र लूटने का प्रयास करने लगे। गाड़ियों में आग लगा दिए, छोटे बच्चों से खतरनाक कार्य कराया गया। ऐसा कार्य करने के लिए उनको उकसाया गया। अतिरिक्त बल का प्रयोग कर उन्हें नियंत्रित किया गया। इसी मामले में एक अन्य आरोपित उमर खालिद की भी अग्रिम जमानत अर्जी न्यायालय द्वारा निरस्त कर दी गई।

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विस्तार

जुमे की नमाज के बाद हुए हिंसा और बवाल मामले में आरोपित ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादउल मुस्लिमीन के जिलाध्यक्ष मोहम्मद शाह आलम और उमर खालिद की अग्रिम जमानत अर्जी जिला न्यायालय ने खारिज कर दिया है। उमर खालिद की जमानत अर्जी को जिला जज नलिन कुमार श्रीवास्तव ने खारिज किया, जबकि मोहम्मद शाह आलम की अग्रिम जमानत अर्जी को अपर सत्र न्यायाधीश रत्नेश कुमार श्रीवास्तव ने खारिज की।

अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी अखिलेश सिंह बिसेन के विस्तृत तर्कों को सुनने एवं पुलिस द्वारा प्रस्तुत किए गए कागजातों का अवलोकन करने के बाद जमानत अर्जी निरस्त कर दिया।

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