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ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार राधा का जन्म माता की कोख से नहीं हुआ, बल्कि वो अवतरित हुईं। कहा जाता है कि बरसाना से 50 किमी दूर रावल गांव में राधा अवरित हुई थीं। रावल गांव में राधा का मंदिर है। रावल मंदिर के पुजारी बताते हैं कि करीब पांच हजार साल पहले यहां यमुना बहती थी।
रावल गांव में स्थित राधा मंदिर के सामने प्राचीन बगीचा है। यहां आज भी दो पेड़ ऐसे हैं जो एक-दूसरे में समाहित हैं। इन्हें राधा-कृष्ण का ही रूप बताया जाता है। एक पेड़ पीपल का जबकि दूसरा मोर्छली का है। इनमें से एक का रंग श्वेत है तो दूसरा श्याम रंग का।
एसडीएम निकेत वर्मा एवं सीओ सदर प्रवीण मलिक, बीडीओ राया उमाकांत मुद्गल, प्रभात रंजन शर्मा आदि अधिकारियों ने शनिवार की रात से ही मंदिर में डेरा डाल दिया। सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रहीं। मंदिर के बाहर बैरिकेडिंग लगाई गई। वाहनों की गांव से बाहर रोकने की व्यवस्था की गई।
रावल राधारानी जन्मोत्सव पर गोवर्धन एवं महावन के गौड़िय मठ से सैकड़ों श्रद्धालु राधे-राधे, श्यामा श्याम का संकीर्तन करते हुए चाव लेकर रावल गांव पहुंचे। विभिन्न प्रकार के आभूषण, खिलौने, मिठाई, वस्त्र चाव में राधारानी को अर्पित किए गए।
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