[ad_1]
मथुरा के महावन में यमुना किनारे स्थित राधारानी की जन्मस्थली रावल में रविवार को लाडली जी के प्राकट्योत्सव पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। शनिवार की शाम से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। रविवार सुबह साढ़े चार बजे मंगला आरती पर मंदिर परिसर में राधे-राधे के जयघोष गूंजने लगे। सेवायत पुजारी राहुल कल्ला एवं अन्य पुजारियों ने सुबह साढ़े पांच से साढ़े छह बजे तक महाभिषेक किया। पूरा मंदिर परिसर राधारानी के जयकारों से गुंजायमान हो गया। घर-घर में पकवान बनाए गए। पूरे गांव में राधारानी के जन्मोत्सव का उल्लास छाया रहा। आसपास के गांव नगला गोपी, नगला पोला, गढ़ी, नगला देवकरन, सिहोरा, तारापुर, अलीपुर, नगला पापरी, गोकुल, महावन आदि गांवों व कस्बों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों को पहुंचे। हर कोई अपनी इष्टदेवी राधारानी की एक झलक पाने को आतुर था। जैसे ही महाभिषेक के बाद ठकुरानी के दर्शन हुए, मंदिर परिसर जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार राधा का जन्म माता की कोख से नहीं हुआ, बल्कि वो अवतरित हुईं। कहा जाता है कि बरसाना से 50 किमी दूर रावल गांव में राधा अवरित हुई थीं। रावल गांव में राधा का मंदिर है। रावल मंदिर के पुजारी बताते हैं कि करीब पांच हजार साल पहले यहां यमुना बहती थी।
रावल गांव में स्थित राधा मंदिर के सामने प्राचीन बगीचा है। यहां आज भी दो पेड़ ऐसे हैं जो एक-दूसरे में समाहित हैं। इन्हें राधा-कृष्ण का ही रूप बताया जाता है। एक पेड़ पीपल का जबकि दूसरा मोर्छली का है। इनमें से एक का रंग श्वेत है तो दूसरा श्याम रंग का।
एसडीएम निकेत वर्मा एवं सीओ सदर प्रवीण मलिक, बीडीओ राया उमाकांत मुद्गल, प्रभात रंजन शर्मा आदि अधिकारियों ने शनिवार की रात से ही मंदिर में डेरा डाल दिया। सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद रहीं। मंदिर के बाहर बैरिकेडिंग लगाई गई। वाहनों की गांव से बाहर रोकने की व्यवस्था की गई।
रावल राधारानी जन्मोत्सव पर गोवर्धन एवं महावन के गौड़िय मठ से सैकड़ों श्रद्धालु राधे-राधे, श्यामा श्याम का संकीर्तन करते हुए चाव लेकर रावल गांव पहुंचे। विभिन्न प्रकार के आभूषण, खिलौने, मिठाई, वस्त्र चाव में राधारानी को अर्पित किए गए।
[ad_2]
Source link