लखनऊ। नेपाल के पहाड़ों पर हो रही बारिश का प्रभाव पूर्वी उत्तर प्रदेश में दिखाई दे रहा है। पहाड़ों पर हो रही बारिश से खासकर गोरखपुर में बहने वाली नदियों का रौद्र रूप नजर आ रहा है। अगर नदियों का जलस्तर ऐसे ही तेजी से बढ़ता रहा तो सैकड़ों गांव अगले दो-तीन दिन में बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं।
दरअसल, पूर्वी उप्र. के तराई इलाकों में भी नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। इस कड़ी में घाघरा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। वहीं, राप्ती केवल 82 सेंटीमीटर और रोहिन नदी खतरे के निशान से मात्र 4 सेंटीमीटर नीचे बह रही हैं। राप्ती-रोहिन और घाघरा नदी के उफान पर होने के कारण इन नदियों के किनारे बसे गांवों पर बाढ़ का खतरा है।
गांवों के जलमग्न होने से आने वाले दिनों में धान की खड़ी फसलों को भी काफी नुकसान पहुंच सकता है। एक ओर किसान फसलों के कटने का इंतजार कर रहे हैं, वहीं मानसून की वापसी से पहले बाढ़ की आशंका से किसान चिंतित हो रहे हैं।
राप्ती नदी बर्डघाट पर खतरे के निशान 74.98 से महज 0.82 सेंटीमीटर नीचे 74.160 आरएल मीटर पर बह रही है. बीते 24 घंटे में राप्ती नदी 0.35 सेंटीमीटर बढ़ी है. राप्ती नदी लगातार बढ़ रही है. ऐसे में नदी के किनारे बसे गांव इससे प्रभावित हो सकते हैं. घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने से अयोध्या पुल पर खतरा मंडराएगा क्योंकि अयोध्या पुल पर घाघरा लगातार चढ़ान पर है।
मौसम विभाग के मुताबिक अगले पांच दिनों में भारी बारिश का सिलसिला थमेगा। इसके बाद प्रदेशवासियों को पुन: गर्मी और उमस का सामना करना पड़ सकता है। इस बीच 19 सितंबर को पश्चिमी उप्र. के कुछ इलाकों और पूर्वी राज्य के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश हो सकती है।