Ramnagar Ki Ramlila: भोर की आरती व श्याम वर्ण दक्षिणमुखी हनुमान को उमड़ा जन सैलाब, देखें तस्वीरें

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वाराणसी के रामनगर में श्रीराम के राज्याभिषेक की भोर की आरती हर किसी को भक्तिभाव से भर गई। विश्व प्रसिद्ध रामलीला की भोर की आरती में शामिल होने के लिए समूची काशी उमड़ पड़ी। आरती के दौरान लगने वाले जयघोष से पूरा माहौल शिव और राममय हो गया। महताबी रोशनी की झांकी की अनुपम छटा हर किसी के मन में उतरती चली गई। अनंत नारायण सिंह ने भी राम राज्याभिषेक की आरती का दर्शन कर परंपरा का निर्वहन किया। 14 वर्ष के वनवास से लौटे श्री राम के राज्याभिषेक की लीला शनिवार शाम को की गई थी।

पूरी रात प्रभु राजसिंहासन पर विराजे। जानकी जी और तीनों भाई भी साथ के आसनों पर सुशोभित रहे। लीला प्रेमियों ने रातभर जागकर उनके दर्शन किए। जैसे-जैसे रात ढलती गई, श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई।  भोर में पांच बजे अयोध्या मैदान पूरी तरह श्रद्धालुओं से पट गया। इससे इतर रामनगर दुर्ग स्थित साल में एक बार खुलने वाले दक्षिणमुखी काले हनुमान जी के मंदिर में दर्शन के लिए रविवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। मान्यता है कि यहां दर्शन करने से असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।

रविवार को भोर में साढ़े पांच बजे आरती के लिए रामनगर दुर्ग से अनंत नारायण सिंह राजपरिवार के सदस्यों व दरबारियों के साथ पैदल चलकर लीला स्थल अयोध्या मैदान पर पहुंचे। लीला प्रेमियों ने हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ उनका स्वागत किया। आरती के बाद पांचों स्वरूपों श्री राम, सीताजी, भरतजी, लक्ष्मणजी और शत्रुघ्नजी को सेवक अपने कंधों पर पैठकर गंगा दर्शन कराने के बाद बलुआ घाट स्थित धर्मशाला में वापस ले गए।

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सुबह 5:39 बजे जैसे ही भगवान भास्कर उदीयमान हुए तो माता कौशल्या ने अयोध्या के सिंहासन पर विराजमान श्रीराम व सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न तथा हनुमान जी की आरती उतारी। आरती के लिए घंटा-घड़ियाल बजने शुरू हुए तो चारों दिशाएं उनकी टंकार से गूंज उठी।

दुर्ग में रविवार की रात्रि में रामलीला के मुख्य पात्रों की कोट विदाई की परंपरा निभाई गई। काशीराज के प्रतिनिधि अनंत नारायण सिंह ने उनको दुर्ग में आमंत्रित कर उनका आतिथ्य सत्कार किया। हाथी गेट के पास आयोजित कोट विदाई की रस्म में उन्होंने पात्रों को आसन पर बैठा कर उनके चरण पखारे। स्वादिष्ट व्यंजन अपने हाथों से परोसा। 

दुर्ग से वापस अयोध्या राम लीला मैदान पहुंचने पर रामायणियों ने उत्तरकांड के शेष बचे दोहों का गायन किया। उसकी समाप्ति के बाद मुख्य पात्रों की आरती के साथ रामलीला का औपचारिक समापन हो गया।



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