Ramveer Upadhyay: रामवीर उपाध्याय ने यूपी में रखी थी बिजली के निजीकरण की नींव, आगरा बना था पहला जिला

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में कद्दावर ब्राह्मण चेहरा रहे पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय को बिजली के निजीकरण का श्रेय जाता है। विद्युत ढांचे में सुधार के लिए उन्होंने 2009 में फ्रेंचाइजी का पीपीपी मॉडल अपनाया। 2010 में 20 साल के लिए टोरंट से करार हुआ। प्रदेश में आगरा पहला जिला बना, जहां टोरंट को वितरण की कमान मिली। कानपुर और लखनऊ में भी उनका प्रस्ताव था। शुक्रवार रात को पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय का निधन हो गया। इसकी खबर मिलते ही आगरा में शोक की लहर दौड़ गई। 

25 वर्षों तक रामवीर उपाध्याय के राजनीतिक सहयोगी रहे बसपा के पूर्व मंडल कॉर्डिनेट, पूर्व एमएलसी एवं वर्तमान में आजाद समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील चित्तौड़ बताते हैं कि रामवीर उपाध्याय ने आगरा और कानपुर में बिजली का पीपीपी मॉडल लांच किया। वह बसपा में कद्दावर नेता थे। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नवरत्नों में शुमार थे। 2007 में बसपा की सरकार बनी तो उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में ऊर्जा विभाग मिला था। 

बसपा सरकार में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय ने दो बड़े काम किए। एक आगरा, हाथरस में बड़े पैमाने पर बिजली घर खुलवाए। दूसरा बड़ी संख्या में किसानों के नलकूप लगवाए। सुनील चित्तौड़ ने बताया कि वह दबंग नेता थे, लेकिन कार्यकर्ता के दिलों में रहते थे। कार्यकर्ता को हाथ पकड़ कर अपनी डायनिंग टेबिल पर खाना खिलाते थे।

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बसपा सरकार में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय ने दो बड़े काम किए। एक आगरा, हाथरस में बड़े पैमाने पर बिजली घर खुलवाए। दूसरा बड़ी संख्या में किसानों के नलकूप लगवाए। सुनील चित्तौड़ ने बताया कि वह दबंग नेता थे, लेकिन कार्यकर्ता के दिलों में रहते थे। कार्यकर्ता को हाथ पकड़ कर अपनी डायनिंग टेबिल पर खाना खिलाते थे।

पूर्व मेयर प्रत्याशी व भाजपा नेता दिगंबर सिंह धाकरे कहते हैं कि दुश्मनों का दिल जीतने का रामवीर उपाध्याय के पास हुनर था। उन्होंने खुद अपनी राजनीतिक जमीन बनाई। उनका अधिकारियों से काम कराने का अंदाज भी निराला था। 

रामवीर उपाध्याय अधिकारी से कहते थे ये काम करना और फिर मुझे बताना। तर्क संगत बात करते थे। प्रखर राजनीतिज्ञ थे। पांच बार विधायक बने। चार बार मंत्री रहे। पहली बार जब वह परिवहन मंत्री बने तो उन्होंने कस्बों में डिपो खुलवाई। उनके पिता रोडवेज में चतुर्थ श्रेणी कर्मी थे। 

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