Ramzan 2023: मुकद्दस रमजान के पहले अशरे में बरसेगी रहमत, होते हैं तीन अशरे; हर अशरे का है अलग महत्व

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रमजान

रमजान
– फोटो : अमर उजाला

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रमजान का महीना हर मुसलमान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसमें 30 दिनों तक रोजे रखे जाते हैं।  मुकद्दस रमजान का महीना चांद दिखने पर बुधवार या बृहस्पतिवार से शुरू होगा। रहमत के पहले अशरे से आगाज होगा। रमजान शुरू होते ही मस्जिदों में तरावीह शुरू हो जाएंगी। इसके लिए दूरदराज से हाफिज भी मस्जिदों में पहुंच गए हैं। रमजान के महीने में अब महज दो दिन बचे हैं। ऐसे में मस्जिदों में पूरे माह रातभर इबादत के लिए साफ-सफाई व पुताई कराई जा चुकी है। तरावीह के लिए हाफिज तैनात कर दिए गए हैं। कहीं आठ तो कहीं 10 दिन की तरावीह होंगी।

 

रमजान के तीन अशरे और उनका महत्व

नायब काजी मौलाना मोहम्मद उजैर आलम ने बताया कि रमजान में पहला अशरा रहमत का होता है। इस अशरे में अल्लाहताला अपनी रहमतों की बारिश करते हैं। दूसरा अशरा बरकत और तीसरा मगफिरत का होता है। हर मुसलमान पर रोजे फर्ज किए गए हैं। इसी माह में जकात और खैरात बांटने से शबाब मिलता है। रमजान में अल्लाहताला ने रोजे फर्ज किए हैं। जिस शख्स ने इस माह में छोटा सा भी नेकी का काम किया, उसने अन्य महीनों के फर्ज के बराबर नेकी प्राप्त कर ली। यह महीना लोगों के साथ हमदर्दी व सब्र का है। तीसरे अशरे में शब-ए-कद्र की रात आती है, यह रात हजारों रातों से बेहतर होती है। रोजेदारों को अब रमजान के चांद के दीदार का इंतजार है।

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शहर मुफ्ती करेंगे चांद का एलान

बुधवार को शाही जामा मस्जिद में होने वाली हिलाल कमेटी की बैठक में शहर मुफ्ती चांद का एलान करेंगे। हिंदुस्तानी बिरादरी के अध्यक्ष डॉ. सिराज कुरैशी बताते हैं कि चांद बुधवार को नहीं होगा तो बृहस्पतिवार से रमजान शुरू हो जाएंगे। उसी दिन से तरावीह भी शुरू होंगी। उन्होंने बताया कि शहर में बिहार, मुजफ्फरनगर, मेरठ, बदायूं, देवबंद तक से हाफिज तरावीह कराने पहुंचते हैं। शहर के युवा भी तरावीह पढ़ते हैं। रमजान में इफ्तारी और सहरी के लिए पकवान बनाने भी शुरू हो गए हैं।

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