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जीएलए के प्रति कुलपति प्रोफेसर अनूप कुमार गुप्ता ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी लीलाओं की सांझी कला के संरक्षण और संवर्धन के लिए विश्वविद्यालय और ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने बीड़ा उठाया है। इसके तहत सांझी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि स्मारक मित्र के तहत जब से जीएलए ने रसखान समाधि और ताज बीवी स्मारक को गोद लिया है, तब से अब तक काफी संरक्षण हुआ है। आने वाले श्रद्धालुओं के रसखान के बारे में जानकारी देने के लिए स्मारक इंचार्ज की तैनाती की गई है।
ब्रज तीर्थ विकास परिषद के डिप्टी सीईओ पंकज वर्मा ने बताया कि सांझी महोत्सव को भव्य रूप मनाया जाएगा। सांझी कलाकार और सहयोगियों के साथ बैठक हो चुकी है। उन्होंने बताया कि आठ दिवसीय महोत्सव में ब्रज के कलाकार ही प्रतिभाग करेंगे। सभी प्रतिभागियों को सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया जायेगा।
श्राद्ध पक्ष में जब कोई उत्सव नहीं होते, तब ब्रज में सांझी उत्सव मनाया जाता है। शहरी इलाकों में रंग व फूल, जल की सांझी बनाई जाती है। ग्रामीण अंचलों में गोबर से सांझी बनाकर महोत्सव मनाया जाता है। ब्रज के मंदिरों, कुंज और आश्रमों में मिट्टी के ऊंचे अठपहलू धरातल पर रखकर छोटी-छोटी पोटलियों में सूखे रंग भर कर इस कला का चित्रण किया जाता है।
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