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ग्रहण का स्पर्श भारतीय मानक समयानुसार सायं काल 4:22 से तथा ग्रहण का मोक्ष सूर्यास्त के बाद हो रहा है। अत: इसे ग्रस्तास्त सूर्यग्रहण की संज्ञा से जाना जाएगा। सूर्य ग्रहण के आरंभ होने के 12 घंटे पूर्व ही सूर्य ग्रहण का सूतक आरंभ हो जाता है।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की परंपरा में ग्रहणारंभ काल से एक या 1:30 घंटे पूर्व मंदिर का कपाट बंद करने की परंपरा रही है। 26 अक्तूबर को प्रात: 6:02 पर मंदिर का कपाट खोलकर पुन: भगवान का पूजन आरती भोग इत्यादि संपन्न करना चाहिए।
दीपावली के अगले दिन 25 अक्तूबर की दोपहर 12 से अगले दिन सुबह 6.02 बजे तक बीएचयू विश्वनाथ मंदिर बंद रहेगा। श्री विश्वनाथ मंदिर के मानित व्यवस्थापक प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि मंदिर की साफ-सफाई के बाद उसे दर्शनार्थियों के दर्शन-पूजन के लिए 26 अक्तूबर सुबह सात बजे खोला जाएगा।
संकटमोचन मंदिर के विनय पांडेय ने बताया कि 25 अक्तूबर को सूर्यग्रहण के कारण भोर में मंगला आरती के बाद मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। शाम को मोक्ष के बाद फिर से कपाट खुलेंगे।
दीपावली के अगले दिन सूर्यग्रहण और देवदीपावली पर भी चंद्रग्रहण लग रहा है। पखवाड़े के भीतर दो ग्रहण की खगोलीय घटना के प्रभाव पर विमर्श के लिए वैदिक बीते दिनों एजुकेशनल रिसर्च सोसायटी की ओर से आयोजित परिचर्चा में विद्वानों ने कहा कि पखवाड़े में दो ग्रहण विश्व के लिए शुभ नहीं है। महाभारत काल में भी 15 दिन में दो सूर्यग्रहण लगा था।
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