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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से रविवार को द्वारिका-शारदा एवं ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य को सनातनधर्म के सबसे बड़े ध्वज वाहक के रूप में नमन किया गया। बाघंबरी गद्दी मठ में महंत नरेंद्र गिरि की प्रथम पुण्यतिथि पर जुटे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, महामंत्री और अन्य पदाधिकारियों ने शंकराचार्य के ब्रह्मलीन होने पर मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के धर्म प्रचार के कार्यों, आंदोलनों पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने विस्तार से रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य के जाने से सनातन धर्म के बड़े आंदोलनों को झटका लगा है। साधु-संतों की आपात बैठक में उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में जगद्गुरु शंकराचार्य को ही भगवान का दर्जा दिया गया है। उनके ब्रह्मलीन होने से अपूरणीय क्षति हुई है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि शंकराचार्य ने सनातन धर्म की ध्वजा को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अपना समूचा जीवन लगा दिया।
वह आखिरी सांस तक सनातन धर्म के का संरक्षण, संवर्धन के लिए संघर्ष करते रहे। चाहे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन रहा हो या फिर शिरडी साईं मंदिर और ईस्कान मंदिर विवाद, वह हमेशा सनातनी हिंदू समाज के विकास और रक्षा के लिए संघर्षरत रहे। उन्होंने देश में हिंदू सनातन धर्म को बढ़ाने के लिए सैकड़ों आंदोलन भी किए। उनके ब्रह्मलीन होने से संत समाज में बहुत गहरी रिक्तता आ गई है।
अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री और पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक महंत हरि गिरि ने कहा कि जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के आंदोलनों को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने हिंदू धर्म के प्रति श्रद्धालु भक्तों को जागरूक करते हुए सनातन परंपरा को बढ़ाने के लिए अनेक बड़े धार्मिक आयोजन और कार्यशालाएं आयोजित कीं। उन्होंने विश्व विख्यात महाकुंभ में देश-विदेश के संतों-भक्तों के बीच सनातन धर्म की धर्म ध्वजा को ऊंचा उठाते हुए मार्गदर्शन किया। इस मौके पर जूना अखाड़े के संत नारायण गिरि, निरंजनी अखाड़े के सचिव ओंकार गिरि, बाघंबरी गद्दी के महंत बलवीर गिरि समेत कई संतों ने शंकराचार्य को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से रविवार को द्वारिका-शारदा एवं ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य को सनातनधर्म के सबसे बड़े ध्वज वाहक के रूप में नमन किया गया। बाघंबरी गद्दी मठ में महंत नरेंद्र गिरि की प्रथम पुण्यतिथि पर जुटे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष, महामंत्री और अन्य पदाधिकारियों ने शंकराचार्य के ब्रह्मलीन होने पर मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के धर्म प्रचार के कार्यों, आंदोलनों पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज ने विस्तार से रोशनी डाली। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य के जाने से सनातन धर्म के बड़े आंदोलनों को झटका लगा है। साधु-संतों की आपात बैठक में उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में जगद्गुरु शंकराचार्य को ही भगवान का दर्जा दिया गया है। उनके ब्रह्मलीन होने से अपूरणीय क्षति हुई है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि शंकराचार्य ने सनातन धर्म की ध्वजा को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अपना समूचा जीवन लगा दिया।
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