[ad_1]
55 करोड़ रुपये की है रेस्क्यू सेंटर योजना
बंदरों की नसबंदी पर वन विभाग के लखनऊ स्थित अधिकारियों के सवाल खड़े करने के बाद वर्ष 2019 में कीठम में मंकी रेस्क्यू सेंटर बनाने की योजना बनाई गई थी। तीन साल से इस योजना को मंजूरी नहीं मिली। कीठम में भालू संरक्षण केंद्र और चुरमुरा में हाथी संरक्षण केंद्र चला रहे वाइल्ड लाइफ एसओएस ने रेस्क्यू सेंटर की योजना बनाई थी, जिस पर 55 करोड़ रुपये खर्च होने थे। एसओएस ने ही एसएन मेडिकल कॉलेज के बंदरों को पकड़कर नसबंदी की थी।
अल्फा बंदर पकड़ें तो आतंक होगा कम
पूर्व डीएफओ आनंद कुमार ने बताया कि बंदरों की टोली में सबसे खतरनाक अल्फा बंदर होता है। वहीं टोली का नेतृत्व करता है। सबसे पहले उसी को पकड़ना होगा, तभी टोेली का आतंक कम होगा। नया अल्फा बंदर तैयार होने में वक्त लगेगा, तब तक बाकी जगह नसबंदी कर सकेंगे। ताजनगरी में 35 से 40 हजार बंदर हैं जो पहले पुराने शहर में ही थे। अब नवविकसित कालोनियों और आउटर एरिया में भी खाने की तलाश में पहुंच रहे हैं।
दशहरा घाट मंदिर की ओर से हर दिन सुबह और शाम को खाने की तलाश में बंदरों का बड़ा झुंड ताजमहल में पहुंचता है। ये बंदर पर्यटकों पर हमलावर हो जाते हैं। विदेशी पर्यटक भी बंदरों के हमले से जख्मी हो चुके हैं। वहीं स्थानीय लोगों भी इन बंदरों से परेशान हैं।
रावतपाड़ा, बेलनगंज, जीवनी मंडी, कमला नगर, बल्केश्वर, जयपुर हाउस, भरतपुर हाउस सहित आधे से ज्यादा शहर में बंदरों का इतना डर है कि हजारों लोगों ने घरों के ऊपर लोहे का जाल लगवा लिया है। स्थिति यह है कि पार्कों पर बंदरों का कब्जा है, जिसके चलते बच्चे घरों में कैद होकर रह गए हैं।
[ad_2]
Source link