Taj Mahal: ‘रोजी-रोटी’ बचाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगे ताजगंज के हजारों लोग, सभा कर बनाई रणनीति

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वर्ष 1996 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ताजगंज के लोग जिस डर और असमंजस में थे, ठीक वही माहौल 26 साल बाद फिर है। ताजमहल के 500 मीटर दायरे में व्यावसायिक गतिविधियों को बंद करने के आदेश से लोगों को रोजी-रोटी छिन जाने का खतरा हो गया है। बुधवार शाम को दक्षिणी गेट स्थित कुत्ता पार्क के चौक पर सभा कर कहा गया कि लड़ेंगे, जूझेंगे और जीतेंगे, लेकिन कारोबार नहीं बंद होने देंगे। सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे और कोर्ट के सामने एडीए की करतूत और सही तथ्यों को रखेंगे।

बुधवार शाम को ताजमहल पूर्वी गेट, पश्चिमी गेट और दक्षिणी गेट के दुकानदार और क्षेत्रीय लोग एकजुट हुए। सभा में होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश चौहान ने कहा कि 1996 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का गलत अर्थ निकालकर प्रशासन ने उत्पीड़न किया था। जिस पर ताजगंज के लोग कोर्ट में अपना पक्ष रखने गए थे। ठीक वही अब करना होगा, लेकिन इससे पहले प्रशासनिक कार्रवाई के खिलाफ कमिश्नर, डीएम और मंत्रियों के पास जाएंगे। कोर्ट के आदेश की मनमानी व्याख्या अगर अफसर करेंगे तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। 

दक्षिणी गेट निवासी ताहिरुद्दीन ताहिर ने कहा कि क्षेत्रीय विधायक, प्रदेश सरकार के मंत्री और केंद्रीय राज्य मंत्री से मिलकर कोर्ट में अपना पक्ष रखा जाए। याचिकाकर्ता ने केवल पश्चिमी गेट पर एडीए की ओर से बनाए गए अवैध मार्केट और दुकानों को हटाने की मांग की थी। इस आदेश पर उन्हीं अवैध दुकानों पर कार्रवाई की जाए।

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विधायक बोले, मुख्यमंत्री से मिलेंगे

आगरा छावनी से भाजपा विधायक डॉ. जीएस धर्मेश ने कहा कि लोगों की रोजी रोटी बचाने का प्रयास होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर सही तथ्य रखे जाएंगे और जरूरत पड़ी तो कोर्ट में पैरवी कराई जाएगी। दुकानों, होटल, व्यावसायिक गतिविधियों से ताज को कोई खतरा नहीं है।

 

कोर्ट के सामने सही तथ्य पेश करें

ताजगंज के पार्षद शोभाराम राठौर ने कहा कि याचिकाकर्ता ने केवल पश्चिमी गेट पर एडीए की ओर से अवैध दुकानों को हटाने की मांग की है, पर आदेश पूरे क्षेत्र के लिए हुआ है। कोर्ट के सामने सही तथ्य पेश किए जाएं। मुगल काल से दक्षिणी गेट पर बाजार है।

भीड़ व बंदरों पर नियंत्रण जरूरी

आईटीएचएम के डायरेक्टर लवकुश मिश्रा ने कहा कि दुनिया के कई देशों में स्मारकों के पास दुकानें हैं। खुद कोर्ट की ओर से बनाई महाजन कमेटी ने ताजगंज को लाइव हेरिटेज माना है। दुकानों से ज्यादा जरूरी भीड़ नियंत्रण, बंदरों, कुत्तों से पर्यटकों को बचाने की जरूरत है। प्रशासन पहले यह काम करे।

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