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टेंट सिटी
– फोटो : अमर उजाला
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की प्रधान पीठ ने सोमवार को गंगा उस पार रेती पर टेंट सिटी बसाने वाली फर्मों मेसर्स प्रवेज और मेसर्स निरान के संचालकों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। संचालक 10 जुलाई को होने वाली सुनवाई में अपना पक्ष रखेंगे। एनजीटी ने पूछा है कि टेंट सिटी बसाने से पहले नेशनल मिशन फाॅर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति क्यों नहीं ली गई? उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से ही नोटिस जारी किया गया है।
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गंगा उस पार रेती पर टेंट सिटी बसाने से संबंधित मामले की सुनवाई सोमवार को एनजीटी की प्रधान पीठ के समक्ष हुई। पीठ का रुख सख्त था। सुनवाई के दौरान प्रधानपीठ ने सरकारी वकील से पूछा कि पहले ये बताइए कि कछुआ सेंचुरी आखिर किस कानून के हिसाब से हटाया गया है। डिनोटिफाइड कर देने भर से ही कछुआ सेंचुरी नहीं हट जाती है। जहां टेंट सिटी है, वहीं पहले कछुआ सेंचुरी बनाया गया था। एनजीटी की दो सदस्यीय पीठ के समक्ष हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता तुषार गोस्वामी की तरफ से उच्च न्यायालय अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने पक्ष रखा। याचिकाकर्ता ने टेंट सिटी को गंगा नदी की पारिस्थितिकी तंत्र और मौजूद जीव जंतुओं के लिए गंभीर खतरा बताते हुए मार्च में याचिका प्रस्तुत की थी। इस मामले की सुनवाई लगातार चल रही है।
संयुक्त जांच समिति ने दी 161 पेज की रिपोर्ट
एनजीटी की तीन सदस्यीय पीठ ने 17 मार्च 2023 को संयुक्त जांच समिति का गठन किया था। इस समिति को टेंट सिटी का स्थलीय निरीक्षण करके रिपोर्ट देनी थी। संयुक्त जांच समिति ने दो मई को टेंट सिटी का स्थलीय निरीक्षण किया था। 24 मई को 161 पृष्ठों की रिपोर्ट एनजीटी की प्रधानपीठ को उपलब्ध कराई गई थी। इस रिपोर्ट में वीडीए की भूमिका पर सवाल उठाए गए। कहा गया कि मनमाने तरीके से टेंट सिटी बनाई गई। टेंट सिटी में सीवेज सिस्टम को भी संतोषजनक नहीं पाया गया था।
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