लखनऊ, 29 जुलाई । पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में ऑक्सीजन की कमी के प्रबंधन के लिए ऑक्सीजन थेरेपी पर दो दिवसीय “प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण“ कार्यक्रम स्थानीय एक होटल में आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम स्वास्थ्य महानिदेशालय, स्वास्थ्य मंत्रालय (एमएच), स्वयंसेवी संस्था पाथ और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के समन्वय से आयोजित हुआ।
ऑक्सीजन की कमी बच्चों में एक गंभीर समस्या पैदा करती है। देश के सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए इस विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ को ऑक्सीजन थेरेपी के ज्ञान और कौशल को बढ़ाने तथा बाल मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से किया गया।
कार्यक्रम में प्रदेश के प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पार्थ सारथी सेन शर्मा, डॉ. रेनू श्रीवास्तव वर्मा- डीजी-एमएच, केजीएमयू के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त, डॉ. पियाली भट्टाचार्य, डॉ. माला कुमार, एनएचएम के बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के महाप्रबन्धक डॉ. वेद प्रकाश, डॉ. सुधीर मकनिकर, निदेशक, फैमली हेल्थ (दक्षिण एशिया), डॉ. कोविद शर्मा-पाथ, डॉ. शालिनी त्रिपाठी, डॉ. अंकित कुमार एवं 40 अन्य चिकित्सकों एवं नर्सिंग स्टाफ ने प्रतिभाग किया। डॉ. सुधीर मकनिकर, निदेशक, फैमली हेल्थ (दक्षिण एशिया) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सभी भारतीय राज्यों में एक मजबूत ऑक्सीजन पारिस्थितिकी तंत्र सुनिश्चित किया जाये।
प्रशिक्षण के दौरान केजीएमयू और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों ने ऑक्सीजन थेरेपी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। डॉ. सूर्यकान्त ने ऑक्सीजन वितरण और निगरानी के लिए उपयोग किए जाने वाले विभिन्न स्रोतों और उपकरणों के बारे में जानकारी प्रदान की। डॉ. कोविद शर्मा ने हाइपोक्सिमिया का पता लगाने के संकेतों और तरीकों पर चर्चा की। डॉ. माला कुमार और डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने बच्चों में प्रीटर्म स्मॉल बेबी इलनेस और निमोनिया की पहचान और प्रबंधन पर चर्चा की। डॉ. शालिनी त्रिपाठी ने प्रशिक्षण में नवजात शिशु पुनर्जीवन और डॉ. अंकित कुमार ने निरन्तर सकारात्मक वायुमार्ग दबाव के उपयोग के बारे में और चिकित्सालयों में संक्रमण को रोकने के लिए किये जाने वाले प्रयास एवं प्रभावी तरीकों के बारे में जानकारी प्रदान की।
इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों और संगठनों के डॉक्टरों, नर्सों और विशेषज्ञों ने उत्साहपूर्ण भागीदारी की। “प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण“ कार्यक्रम का सफल समापन एक कुशल कार्यबल के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है जो जरूरतमंद बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली ऑक्सीजन थेरेपी प्रदान करने में सक्षम होगा, जिससे राज्य भर के बाल स्वास्थ्य में सुधार हो सकेगा।