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सार
यूक्रेन में बार्डर पर स्वदेश वापसी की आस में हजारों छात्र फंसेे हुए हैं। वहीं, सकुशल अपने घर लौटकर आए विद्यार्थी खुश तो हैं, लेकिन अपनी पढ़ाई को लेकर उनके मन में चिंता भी है।
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विस्तार
‘मेरे सामने ही एक नागरिक को रूसी सैनिकों ने गोली मार दी’
हाथरस: यूक्रेन के खारकीव में फंसे हाथरस के आशीष की अभी तक स्वदेश वापसी नहीं हुई है। आशीष ने यूक्रेन का भयावह मंजर बयां किया। वह वहां एक यूनिवर्सिटी में मेडिकल के विद्यार्थी आशीष ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बताया कि उनके सामने ही एक नागरिक को रूसी सैनिकों ने गोली मार दी है। अब यहां सड़कों पर खुलेआम फायरिंग हो रही हैं। अब हम भी दूतावास के किसी जवाब का कोई इंतजार नहीं कर रहे हैं। हम खारकीव से निकल लिए हैं। अब यहां से एक टैक्सी की है। पांच हजार रुपये में टैक्सी हुई है। वह हमें रेलवे प्लेटफॉर्म तक पहुंचाएगी। यहां से हम लवीब में पहुंचेंगे। इसके बाद पोलैंड सीमा पर पहुंच पाएंगे।
हॉस्टल के ऊपर से गुजरते थे एयरक्राफ्ट
एटा: रूस के हमले के बाद हालात अचानक से बिगड़े थे। हॉस्टल के मेस में एक प्लेट में दाल-चावल दिया जाता था। उसमें भी पांच लोगों को खाना होता था। हॉस्टल के ऊपर से अक्सर रूसी सेना के एयरक्राफ्ट (जंगी जहाज) उड़ते थे। जिनकी आवाज से हम लोग सहम उठते थे। यह बातें यूक्रेन से अपने घर लौटे कुठिला रामनगर के अभिषेक लोधी ने बताईं। उनके अलावा पिलुआ कस्बा के रविराज यादव भी यूक्रेन से लौटकर आ गए हैं। दोनों के ही परिवारों में खुशियां हैं। हालांकि आगे की पढ़ाई को लेकर अभिेषेक आशंकित हैं।
यूक्रेन से लौटा छात्र बोला सामने गिरती देखी मिसाइल
बदायूं : शहर के मोहल्ला नाहर खां सराय निवासी एमबीबीएस का छात्र मोहम्मद अयाज अंसारी की सोमवार देर रात यूक्रेन से घर वापसी हो गई। अयाज ने यूक्रेन में न सिर्फ मिसाइल गिरती देखीं बल्कि वतन वापसी के लिए परेशानी उठाईं। अयाज ने बताया कि जिस दिन रूस ने यूक्रेन पर हमला किया उस दिन वह कमरे पर था। उसने खिड़की से झांककर देखा तो धुआं ही धुआं नजर आया। एक मिसाइल को उसने अपनी आंखों के सामने गिरते देखा।
घर पहुंची तो परिजनों से लिपटकर रोई शिवानी
हाथरस: यूक्रेन में फंसी हाथरस की शिवानी गुप्ता निवासी जलेसर रोड मंगलवार सुबह घर पहुंच गई। जैसे ही वह घर पहुंची तो मां से गले मिलकर खूब रोई। शिवानी वहां मेडिकल की पांचवें वर्ष की छात्रा है। वह उजहोरोड यूनीवर्सिटी में पढ़ती है। जब से वहां युद्ध जैसे हालात बनने शुरू हुए, तभी से उसने स्वदेश वापसी की कोशिश शुरू कर दी थी।
27 घंटे के इंतजार के बाद हंगरी बॉर्डर क्रॉस कर पाया गिर्राज
कासगंज : गंगागढ़ निवासी छोटे लाल का पुत्र गिर्राज खारकीव से हंगरी बॉर्डर के लिए निजी बस से रवाना हुआ था। सोमवार को ट्रैफिक जाम में फंसा रहा, लेकिन 27 घंटे लंबे इंतजार के बाद हंगरी बॉर्डर पर गिर्राज का प्रवेश हो सका है। हंगरी बॉर्डर पर प्रवेश मिलने के बाद अब राहत मिली है।
भारतीय दूतावास का मिला साथ तो परिजनों के बीच पहुंचे शुभम
दुर्गागंज (भदोही) : यूक्रेन से सुरक्षित लौटने वालों में भदोही जिले के नेवादा गांव निवासी मेडिकल छात्र शुभम कुमार दुबे भी हैं। उन्होंने सुरक्षित घर वापसी के लिए भारतीय दूतावास को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि युद्ध शुरू होने से हम परेशान थे। किंतु भारतीय दूतावास से हम लोगों को काफी मदद मिली।
स्वदेश लौटे तो धरती को चूम लगाए भारत माता जय के नारे
बरहज (देवरिया) : यूक्रेन से बरहज निवासी मेडिकल छात्र ऋषि मंगलवार को साथियों के साथ दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचा। वहां सभी ने वतन वापसी पर खुशी जाहिर की। हालांकि यूक्रेन में युद्ध में गोली लगने से कर्नाटक निवासी नवीन की मौत और विद्यार्थियों की अधर में लटकी पढ़ाई को लेकर वे गमजदा थे। बरहज के पटेल नगर मध्य निवासी नेहरू लाल निषाद के पुत्र ऋषि, 290 लोगों के साथ बुद्धक्रेस्ट एयरपोर्ट से दिल्ली पहुंचे। दिल्ली आने पर सभी ने धरती को चूमते हुए ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए।
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