Unnao News: अस्पताल से छुट्टी पर मरीज को दिया जाएगा बिल, बायोमैट्रिक से पुष्टि

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आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए शासन ने की शुरुआत

अभी तक केवल भर्ती होने के समय ही लगवाया जाता था अंगूठा

संवाद न्यूज एजेंसी

उन्नाव। आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए बायोमैट्रिक के जरिए पुष्टि करने की व्यवस्था शुरू की गई है। अभी तक मरीजों को भर्ती होने के समय ही बायोमैट्रिक मशीन पर अंगूठा लगवाया जाता था। लेकिन अब डिस्चार्ज के समय भी अंगूठा लगाना अनिवार्य होगा। ऐसा न होने पर मरीज के इलाज पर हुए खर्च का भुगतान अस्पताल को नहीं किया जाएगा।

सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल आयुष्मान योजना के तहत मरीजों का 5,00,000 रुपये तक का इलाज किया जाता है। अभी तक योजना में चयनित अस्पतालों में मरीज जब भर्ती होता था उस समय अस्पताल प्रशासन मरीज की बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज कराता था। इलाज के बाद डिस्चार्ज के समय यह व्यवस्था नहीं थी। इससे अस्पताल संचालक मरीजों को इलाज का मनमाना पर्चा बनाकर थमा देते थे और डिस्चार्ज कर घर भेज देते थे। मरीज कुछ बोल भी नहीं पाता था और अस्पताल को सरकार भुगतान कर देती थी। अब इसमें बदलाव किया गया है। डिस्चार्ज के समय मरीज किए गए इलाज का पर्चा देखेगा। संतुष्ट होने के बाद ही वह डिस्चार्ज के समय का अंगूठा लगाएगा तभी अस्पताल का भुगतान किया जाएगा।

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सीएमओ डॉ. सत्यप्रकाश ने बताया कि योजना का लाभ लाभार्थियों को दिया जा रहा है। इसमें थोड़ा बदलाव हुआ है। अब डिस्चार्ज के बाद भी मरीज की बायोमैट्रिक करानी होगी। उसके बाद ही अस्पताल को भुगतान किया जाएगा।

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से चयनित परिवार- 4,05,512

चयनित परिवार के कुल लाभार्थियों की संख्या- 17,37,986

जिले में बने कुल आयुष्मान कार्ड- 4,86,822

योजना के तहत लाभान्वित लाभार्थियों की संख्या- 18,528

एक जनवरी 2023 से 14 फरवरी 2023 तक भर्ती मरीज-1142

लगातार लगे कैंप, नहीं हो पाया लक्ष्य पूरा

कार्ड की प्रगति बढ़ाने के लिए लगातार कैंप लगे। लेकिन लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। सितंबर 2022 में आयुष्मान पखवाड़े का आयोजन हुआ। आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी, पंचायत सचिव, कोटेदार और आरोग्य मित्रों का सहयोग लिया गया। जिले में कुल 960 और रोजाना 64 कैंप लगाएं गए। विभाग की ओर से पखवाड़े मेंं कार्ड विहीन परिवारों के शत प्रतिशत कार्ड बनाने का लक्ष्य भी रखा गया था। लेकिन वो भी अधूरा ही रहा। जिले में अभी केवल 50 फीसदी परिवारों के कार्ड बन पाएं हैं।

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