Unnao News: आईटीआई में अनुदेशक ही नहीं तो कैसे दक्ष होंगे युवा

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बीघापुर। आईटीआई में अनुदेशक न होने से प्रशिक्षुओं भविष्य अंधकार में है। हालत यह है कि 12 अनुदेशकों के सापेक्ष केवल पांच की तैनाती है। अनुदेशक न होने से प्रवेश के लिए आने वाले युवा निराश होकर लौट रहे हैं। प्रधानाचार्य का कहना है कि अनुदेशकों की नियुक्ति के लिए कई बार निदेशक को पत्र भेजे लेकिन अभी तैनाती नहीं हो पाई है।

इंटरमीडिएट पास करने के बाद युवा तकनीकी कोर्स कर कमाई का जरिया तलाशते हैं। इसके लिए वह आईटीआई में अपनी रुचि के अनुसार ट्रेड का चयन कर प्रशिक्षण के लिए प्रवेश लेते हैं। लेकिन उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए अनुदेशक न होने से दूसरी ट्रेड के अनुदेशकों को काम चलाऊ प्रशिक्षण देना पड़ रहा है। बीघापुर राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान का यही हाल है। यहां फिटर प्रशिक्षण के लिए 12, इलेक्ट्रीशियन में 16, पेंटर जनरल में 10, इलेक्ट्रिक मैकेनिक में 16, टर्नर में 12, कोपा में 40, ड्रेस मेंकिंग में 15, स्विंग टेक्नोलॉजी में 25, ड्राफ्टमैन में 15, डीजल मैकेनिक में 20, वेल्डर में 24, रेफ्रिजरेशन एवं एयर कंडीशनिंग में 20 प्रशिक्षु पंजीकृत हैं। लेकिन इसमें से केवल फिटर, टर्नर, ड्रेस मेकिंग, डीजल मैकेनिक और वेल्डर ट्रेड में ही अनुदेशक हैं। अन्य सात ट्रेडों के अनुदेशकों के पद खाली हैं। इससे अब यहां प्रशिक्षण के लिए आने वाले युवा अपने पसंदीदा ट्रेड में अनुदेशक न होने से बिना पंजीकरण कराए लौट रहे हैं।

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चतुर्थश्रेणी कर्मी भी नहीं, फैली रही गंदगी

आईटीआई में एक भी चतुर्थश्रेणी कर्मचारी की तैनाती नहीं है। इससे गंदगी का अंबार है। लिपिक हिमांशु के मुताबिक पहले आउट सोर्सिंग से चतुर्थश्रेणी कर्मचारियों की तैनाती कर दी जाती थी। लेकिन वह भी नहीं हो पा रही। इससे यह भी पद खाली है। इसी के चलते संस्थान में गंदगी रहती है।

अनुदेशक न होने से नहीं लिया प्रवेश

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नगर पंचायत कस्बा निवासी अभिनव अग्निहोत्री कहते हैं कि जब अनुदेशक ही नहीं होंगे तो उन्हें शिक्षा कौन देगा। इसलिए प्रवेश नहीं लिया।

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बीघापुर नगर पंचायत कस्बा निवासी प्रियम बाजपेई ने बताया कि वह रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग ट्रेड में प्रवेश लेने गए थे। लेकिन अनुदेशक न होने से प्रवेश नहीं लिया।

क्या बोले प्रधानाचार्य

प्रधानाचार्य जगदीश सिंह ने बताया कि कॉलेज में 250 छात्र पंजीकृत हैं। संस्थान पर उपलब्ध संसाधनों के आधार पर बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है। खाली पदों के लिए हर साल शासन को अधियाचन भेजा जाता है। लेकिन कोई हल नहीं निकला।

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