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मौरावां में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय। संवाद
– फोटो : UNNAO
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उन्नाव। जिले के दस कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों के सुंदरीकरण और कायाकल्प कराने में अफसरों ने नियमों को दरकिनार कर दिया। नियम है कि क्षेत्र पंचायत की ओर से प्रस्तावित कार्य की लागत दस लाख रुपये से अधिक है तो डीपीआरओ के माध्यम से प्रस्ताव और डीएम की स्वीकृति पर ई-टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाए। कई विद्यालयों के कायाकल्प पर पच्चीस से तीस लाख रुपये के काम के लिए नियमानुसार प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। अफसरों ने एक ही स्कूल में होने वाले कामों को कई भागों में विभाजित कर दिया।
जिलाधिकारी के निर्देश पर जिले के 13 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के सुंदरीकरण और कायाकल्प शुरू कराया गया है। इसके लिए क्षेत्र पंचायतें अपने-अपने क्षेत्र के विद्यालय में बजट खर्च कर रही हैं। जिले के अधिकारियों के निर्देश पर बीडीओ (खंड विकास अधिकारियों) ने आरईएस के माध्यम से इस्टीमेट तैयार कराए तो एक-एक विद्यालय के कायाकल्प पर 25 से 30 लाख रुपये खर्च का इस्टीमेट तैयार हुआ।
कई बीडीओ ने अपनी कलम फंसते देख डीएम को पत्र भेजकर नियमावली का हवाला देते हुए कार्य की लागत दस लाख से अधिक होने के कारण जिला पंचायतराज अधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी की संस्तुति आवश्यक बताई।
इसके बाद भी नियमित प्रक्रिया पर अमल के बजाए एक ही काम को कागजों में अलग-अलग विभाजित कर ठेका दे दिया गया। उदाहरण के लिए पुरवा क्षेत्र पंचायत ने 26.51 लाख से होने वाले काम को तीन भागों में बांट दिया। जबकि स्कूल और बिल्डिंग एक ही है। यही हाल बांगरमऊ, हसनंगज, नवाबगंज, सिकंदरपुर कर्ण, सुमेरपुर, सफीपुर, बिछिया आदि ब्लाकों का है।
इस्टीमेट में ऐसे किया खेल
पुरवा ब्लाक के कस्तूरबा विद्यालय के कायाकल्प पर कुल 26.51 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। एक ही काम के लिए तीन अलग-अलग भागों में इस्टीमेट बनाए गए हैं। इनमें से एक इस्टीमेट तो 10 लाख से महज 1000 रुपये कम, यानी 9.99 लाख का है, जबकि दो इस्टीमेट 6.80 लाख और 9.72 लाख के हैं।
पुरवा विधायक ने की मुख्यमंत्री से शिकायत
पुरवा विधायक अनिल सिंह ने बताया कि क्षेत्र पंचायत में विकास कार्यों में वित्तीय अनियमितता की लिखित शिकायत उन्होंने अधिकारियों से की थी पर कुछ नहीं हुआ। विधायक के अनुसार, हमारा काम है भ्रष्टाचार को रोकना और जानकारी होने पर अधिकारियों तक उसे पहुंचाना है। सुनवाई न होने पर मुख्यमंत्री से भी विकास के नाम पर हो रहे घालमेल की शिकायत की है। मोहान विधायक बृजेश रावत ने बताया कि उन्होंने भी अधिकारियों से इस प्रक्रिया पर सवाल किए थे पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला। बताया कि वह सोमवार पांच दिसंबर से विधानसभा सत्र शुरू हो रहा है। उसमें भी मुद्दे को रखेंगे।
सीडीओ ने बीएसए से मांगी सूचना
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) के तहत सीडीओ से कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में कराए जा रहे कार्यों के इस्टीमेट और टेंडर प्रक्रिया की प्रमाणित फोटो कॉपी मांगी है। सीडीओ ऋषिराज ने बेसिक शिक्षाधिकारी को सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
उन्नाव। जिले के दस कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों के सुंदरीकरण और कायाकल्प कराने में अफसरों ने नियमों को दरकिनार कर दिया। नियम है कि क्षेत्र पंचायत की ओर से प्रस्तावित कार्य की लागत दस लाख रुपये से अधिक है तो डीपीआरओ के माध्यम से प्रस्ताव और डीएम की स्वीकृति पर ई-टेंडर प्रक्रिया अपनाई जाए। कई विद्यालयों के कायाकल्प पर पच्चीस से तीस लाख रुपये के काम के लिए नियमानुसार प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। अफसरों ने एक ही स्कूल में होने वाले कामों को कई भागों में विभाजित कर दिया।
जिलाधिकारी के निर्देश पर जिले के 13 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों के सुंदरीकरण और कायाकल्प शुरू कराया गया है। इसके लिए क्षेत्र पंचायतें अपने-अपने क्षेत्र के विद्यालय में बजट खर्च कर रही हैं। जिले के अधिकारियों के निर्देश पर बीडीओ (खंड विकास अधिकारियों) ने आरईएस के माध्यम से इस्टीमेट तैयार कराए तो एक-एक विद्यालय के कायाकल्प पर 25 से 30 लाख रुपये खर्च का इस्टीमेट तैयार हुआ।
कई बीडीओ ने अपनी कलम फंसते देख डीएम को पत्र भेजकर नियमावली का हवाला देते हुए कार्य की लागत दस लाख से अधिक होने के कारण जिला पंचायतराज अधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी की संस्तुति आवश्यक बताई।
इसके बाद भी नियमित प्रक्रिया पर अमल के बजाए एक ही काम को कागजों में अलग-अलग विभाजित कर ठेका दे दिया गया। उदाहरण के लिए पुरवा क्षेत्र पंचायत ने 26.51 लाख से होने वाले काम को तीन भागों में बांट दिया। जबकि स्कूल और बिल्डिंग एक ही है। यही हाल बांगरमऊ, हसनंगज, नवाबगंज, सिकंदरपुर कर्ण, सुमेरपुर, सफीपुर, बिछिया आदि ब्लाकों का है।
इस्टीमेट में ऐसे किया खेल
पुरवा ब्लाक के कस्तूरबा विद्यालय के कायाकल्प पर कुल 26.51 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। एक ही काम के लिए तीन अलग-अलग भागों में इस्टीमेट बनाए गए हैं। इनमें से एक इस्टीमेट तो 10 लाख से महज 1000 रुपये कम, यानी 9.99 लाख का है, जबकि दो इस्टीमेट 6.80 लाख और 9.72 लाख के हैं।
पुरवा विधायक ने की मुख्यमंत्री से शिकायत
पुरवा विधायक अनिल सिंह ने बताया कि क्षेत्र पंचायत में विकास कार्यों में वित्तीय अनियमितता की लिखित शिकायत उन्होंने अधिकारियों से की थी पर कुछ नहीं हुआ। विधायक के अनुसार, हमारा काम है भ्रष्टाचार को रोकना और जानकारी होने पर अधिकारियों तक उसे पहुंचाना है। सुनवाई न होने पर मुख्यमंत्री से भी विकास के नाम पर हो रहे घालमेल की शिकायत की है। मोहान विधायक बृजेश रावत ने बताया कि उन्होंने भी अधिकारियों से इस प्रक्रिया पर सवाल किए थे पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला। बताया कि वह सोमवार पांच दिसंबर से विधानसभा सत्र शुरू हो रहा है। उसमें भी मुद्दे को रखेंगे।
सीडीओ ने बीएसए से मांगी सूचना
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) के तहत सीडीओ से कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में कराए जा रहे कार्यों के इस्टीमेट और टेंडर प्रक्रिया की प्रमाणित फोटो कॉपी मांगी है। सीडीओ ऋषिराज ने बेसिक शिक्षाधिकारी को सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
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