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फीपुर के भगवती चरण वर्मा पार्क में सनातन धर्म सत्संग प्रवचन देते स्वामी पुरुषोत्तम त्रिवेदी। सं
– फोटो : UNNAO
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सफीपुर। बाबू भगवती चरण वर्मा पार्क में तीन दिवसीय 70वें सनातन धर्म सत्संग समारोह का शुभारंभ हुआ। इसमें विभिन्न जिलों से आए विद्वानों ने राम नाम की महत्ता बताई।
कानपुर से आए आचार्य पुरुषोत्तम त्रिवेदी ने नाम की महिमा पर प्रकाश डाला और कहा कि राम का नाम सामान्य नहीं है। इस नाम को राम ने चरितार्थ करते हुए समाज के सामने अनुकरणीय कार्य किए। वह त्यागवीर, दयावीर, विद्यावीर, पराक्रमवीर व धर्मवीर बने। उन्होंने जयंत की करनी का उल्लेख किया और कहा कि राम ने कई स्थानों पर अपने आदर्श चरित्र को रखा है। उन्हें विग्रहवान धर्म की संज्ञा दी गई। उनका कहना था कि भागवत विमुख को कोई आश्रय नहीं देता। संसार को पाने के लिए चलना होता है और परमात्मा को पाने के लिए ठहराना अर्थात तपस्या करनी पड़ती है। राम के पराक्रम की परीक्षा लेने वाला जयंत कहीं शरण नहीं पाता।
गोंडा से आए प्रहलाद मिश्र ने कहा कि राम को पाने के लिए मनु व सतरूपा को कठोर तपस्या करनी पड़ी। इसी प्रसंग में राम व भरत आदि के स्वभाव की चर्चा करते हुए उन्होंने भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की विवेचना की और जीवन को धन्य बनाने का संदेश दिया। अध्यक्षता कर रहे स्वामी रामस्वरूप ब्रम्हचारी ने कहा कि सत्संग समारोह में आए विद्वान सामाजिक विसंगतियों से छुटकारा दिलाने व एक स्वस्थ समाज की रचना के लिए ज्ञान देरहे हैं।
सीतापुर के राजन त्रिवेदी, प्रवेश अवस्थी, अभिषेक मिश्र ने भी प्रवचन किए। महावीर शुक्ल, दिवाकर द्विवेदी, परशुराम शुक्ल, राजू स्वर्णकार, लालता प्रसाद, शिवमूर्ति द्विवेदी मौजूद रहे।
सफीपुर। बाबू भगवती चरण वर्मा पार्क में तीन दिवसीय 70वें सनातन धर्म सत्संग समारोह का शुभारंभ हुआ। इसमें विभिन्न जिलों से आए विद्वानों ने राम नाम की महत्ता बताई।
कानपुर से आए आचार्य पुरुषोत्तम त्रिवेदी ने नाम की महिमा पर प्रकाश डाला और कहा कि राम का नाम सामान्य नहीं है। इस नाम को राम ने चरितार्थ करते हुए समाज के सामने अनुकरणीय कार्य किए। वह त्यागवीर, दयावीर, विद्यावीर, पराक्रमवीर व धर्मवीर बने। उन्होंने जयंत की करनी का उल्लेख किया और कहा कि राम ने कई स्थानों पर अपने आदर्श चरित्र को रखा है। उन्हें विग्रहवान धर्म की संज्ञा दी गई। उनका कहना था कि भागवत विमुख को कोई आश्रय नहीं देता। संसार को पाने के लिए चलना होता है और परमात्मा को पाने के लिए ठहराना अर्थात तपस्या करनी पड़ती है। राम के पराक्रम की परीक्षा लेने वाला जयंत कहीं शरण नहीं पाता।
गोंडा से आए प्रहलाद मिश्र ने कहा कि राम को पाने के लिए मनु व सतरूपा को कठोर तपस्या करनी पड़ी। इसी प्रसंग में राम व भरत आदि के स्वभाव की चर्चा करते हुए उन्होंने भक्ति, ज्ञान और वैराग्य की विवेचना की और जीवन को धन्य बनाने का संदेश दिया। अध्यक्षता कर रहे स्वामी रामस्वरूप ब्रम्हचारी ने कहा कि सत्संग समारोह में आए विद्वान सामाजिक विसंगतियों से छुटकारा दिलाने व एक स्वस्थ समाज की रचना के लिए ज्ञान देरहे हैं।
सीतापुर के राजन त्रिवेदी, प्रवेश अवस्थी, अभिषेक मिश्र ने भी प्रवचन किए। महावीर शुक्ल, दिवाकर द्विवेदी, परशुराम शुक्ल, राजू स्वर्णकार, लालता प्रसाद, शिवमूर्ति द्विवेदी मौजूद रहे।
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