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हसनगंज। एसडीएम न्यायालय से खतौनी पर क्रय-विक्रय से रोक दर्ज होने के बाद भी रजिस्ट्री कार्यालय में एक बीघा जमीन का बैनामा हो गया। पीड़ित ने एसडीएम व मुख्यमंत्री को शिकायतीपत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है।
हसनगंज तहसील क्षेत्र के सोहरामऊ गांव में स्थित बेशकीमती भूमि है। जिसके बंटवारे को लेकर एसडीएम न्यायालय में पुरुषोत्तम, समर्थ बनाम हरिहर किशोर पांडेय का मुकदमा विचाराधीन है। मामले में एसडीएम कोर्ट ने 21 जून को जमीन की क्रय-विक्रय से लेकर कोई भी कार्य न करने का स्टे आदेश जारी किया। इसके बाद पुरुषोत्तम व समर्थ ने रजिस्ट्री विभाग में जानकारी देकर शासन से अनुमन्य रसीद भी कटा दी। साथ ही खतौनी में स्टे आदेश भी चढ़
वा दिया। आरोप लगाया कि विपक्षी ने रजिस्ट्री विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों से मिलकर सेटिंग की और लखनऊ के एक युवक के हाथों 19 दिसंबर को एक बीघा जमीन का बैनामा करा दिया। इस संबंध में रजिस्ट्रार सचिन सिंह ने यह कहते हुए कि ‘सिविल न्यायालय के द्वारा यदि खतौनी पर क्रय विक्रय की रोक का आदेश होता तो रजिस्ट्री न होती’ फोन काट दिया।
तहसीलदार जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि तहसील न्यायालय से रोक के बाद भी यदि रजिस्ट्री हो गई तो ये न्यायालय की अवहेलना है।
मामले की जांच करके आगे की कार्रवाई के लिए रिपोर्ट डीएम को भेजी जाएगी।
हसनगंज। एसडीएम न्यायालय से खतौनी पर क्रय-विक्रय से रोक दर्ज होने के बाद भी रजिस्ट्री कार्यालय में एक बीघा जमीन का बैनामा हो गया। पीड़ित ने एसडीएम व मुख्यमंत्री को शिकायतीपत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है।
हसनगंज तहसील क्षेत्र के सोहरामऊ गांव में स्थित बेशकीमती भूमि है। जिसके बंटवारे को लेकर एसडीएम न्यायालय में पुरुषोत्तम, समर्थ बनाम हरिहर किशोर पांडेय का मुकदमा विचाराधीन है। मामले में एसडीएम कोर्ट ने 21 जून को जमीन की क्रय-विक्रय से लेकर कोई भी कार्य न करने का स्टे आदेश जारी किया। इसके बाद पुरुषोत्तम व समर्थ ने रजिस्ट्री विभाग में जानकारी देकर शासन से अनुमन्य रसीद भी कटा दी। साथ ही खतौनी में स्टे आदेश भी चढ़
वा दिया। आरोप लगाया कि विपक्षी ने रजिस्ट्री विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों से मिलकर सेटिंग की और लखनऊ के एक युवक के हाथों 19 दिसंबर को एक बीघा जमीन का बैनामा करा दिया। इस संबंध में रजिस्ट्रार सचिन सिंह ने यह कहते हुए कि ‘सिविल न्यायालय के द्वारा यदि खतौनी पर क्रय विक्रय की रोक का आदेश होता तो रजिस्ट्री न होती’ फोन काट दिया।
तहसीलदार जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि तहसील न्यायालय से रोक के बाद भी यदि रजिस्ट्री हो गई तो ये न्यायालय की अवहेलना है।
मामले की जांच करके आगे की कार्रवाई के लिए रिपोर्ट डीएम को भेजी जाएगी।
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