Unnao News: कागज में बढ़ी हरियाली, धरातल, ऊसर-बंजर

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विश्व पर्यावरण पर विशेष

फोटो-29, 30

कागज में बढ़ी हरियाली, धरातल, ऊसर-बंजर

दस साल में लगे तीन करोड़ पौधे, 234 हेक्टेअर बढ़ा वन

2012 में 16409 हेक्टेअर था जिले का वन क्षेत्रफल

वन विभाग का दावा वर्तमान में 16643 हेक्टेअर में वन

दस साल में अकेले वन विभाग ने पौधे रोपण पर खर्च किए आठ करोड़ रुपये

संवाद न्यूज एजेंसी

उन्नाव। जिले में हर साल लाखों पौधों को रोपे जाते हैं, लेकिन रोपने के बाद देखरेख के अभाव में आधे से ज्यादा सूख जाते हैं। यही वजह है कि कागज पर तो हरियाली बढ़ रही है,लेकिन धरातल पर जमीन ऊसर-बंजर पड़ी है। पिछले दस साल में वन विभाग ने अन्य विभागों के सहयोग से जिले में तीन करोड़ से अधिक पौधे रोपे। इस काम पर करोड़ों रुपये खर्च भी हुए लेकिन जिले के वन क्षेत्रफल में अपेक्षा के अनुरूप इजाफा नहीं हुआ। आंकड़ों के अनुसार 2012 में जिले में वन क्षेत्र 16409 हेक्टेअर था और दस साल के बाद 16643 हेक्टेअर हो पाया है। यानी दस साल में मात्र 234 हेक्टेयर वन क्षेत्र बढ़ पाया।

जिले में वन क्षेत्रफल उस गति से नहीं बढ़ रहा है जितना हर साल पौधरोपण का दावा किया जा रहा है। वन विभाग के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। वर्ष 2012 से शुरू हुए पौधरोपण में 2014 तक अकेले वन विभाग ने जिले में 1706239 पौधे रोपित किए जाने का दावा किया। उस समय जिले का वन क्षेत्रफल 16409 हेक्टेअर था। 2015 से वन के साथ अन्य विभागों ने संयुक्त रूप से पौधरोपण शुरू किया।

2021 तक वन और अन्य विभागों से कुल मिलाकर 2.21 करोड़ से अधिक पौधे लगाए। इसमें वन विभाग ने 1.41 करोड़ और अन्य विभागों ने 79.25 लाख (2015 से) पौधे रोपने का रिकार्ड बनाया। आजादी के 75वें वर्ष 2022 में वृहद पौधरोपण अभियान चलाया गया। वन विभाग ने 5751081 और अन्य विभागों ने 5754714 पौधे लगाने का दावा किया। इतने बड़े स्तर पर पौधरोपण के बावजूद दस साल में वन क्षेत्रफल केवल 234 हेक्टेअर ही बढ़ पाया।

पौधे लगाए पर सहेज नहीं पाए

पौधरोपण के समय तो नेताओं से लेकर अधिकारियों तक ने पौधे लगाने के बाद उनकी देखभाल करने के दावे किए लेकिन इसके बाद भूल गए। यही वजह रही कि रोपे गए पौधे पेड़ नहीं बन सके। कुछ सूख गए तो मवेशियों का चारा बन गए।

3.7 प्रतिशत है जिले का वन क्षेत्र

राष्ट्रीय वन नीति के तहत 33 फीसद भूभाग वन क्षेत्र के आदर्श माना गया है। जिले का कुल क्षेत्रफल 455800 हेक्टेअर है। जबकि जनपद का वन क्षेत्रफल 16643.84 हेक्टेअर है। यह कुल क्षेत्रफल का मात्र 3.7 फीसदी ही है।

22.45 लाख पौधे रोपेगा वन विभाग

वन विभाग ने इस साल 2023 में 2245300 पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया है। इसके साथ ही अन्य विभाग भी इतने ही पौधे लगाएंगे। हालांकि अन्य विभागों का लक्ष्य अभी तय नहीं है।

चार साल में हुए पौधरोपण पर एक नजर

वर्ष वन विभाग अन्य विभाग

2019 2769732 2738970

2000 2868400 2886539

2021 487300 4891964

2022 5751081 5754741

वर्ष 2022 में पेड़ों पर खूब चला आरा

जिले में एक्सप्रेसवे, हाईवे और एलीवेटेड हाईवे बनाने के लिए हजारों पेड़ों पर आरा चला। इनमें सबसे ज्यादा पेड़ उन्नाव-रायबरेली (लालगंज) हाईवे बनाने के लिए काटे गए। निर्माण एजेंसी ने वन विभाग से 12426 पेड़ काटने की अनुमति ली। वहीं गंगा एक्सप्रेसवे बनाने मेंं बाधक बन रहे 1966 पेड़ काटने की अनुमति अबतक ली जा चुकी है। कानपुर-लखनऊ के बीच बनने वाला एलीवेटेड हाईवे के लिए 291 पेड़ काटने की अनुमति ली गई।

पर्यावरण प्रहरी

भावी पीढ़ी के लिए सहेज रहे ‘सांसे’ बिना दिखावा कर रहे पौध रोपण, सैकड़ों बने पेड़

संवाद न्यूज एजेंसी

उन्नाव। एक तरफ लोग अपने फायदे के लिए हरे-भरे पेड़ों पर आरा चला रहे हैं वहीं तमाम ऐसे भी लोग हैं जो आने वाली पीढ़ी के लिए सांसें सहेज रहेज रहे हैं। इन लोगें में पौध रोपण और उनकी परवरिश का जुनून है। जब जहां मौका मिलता पौधे लगाते हैं और नियमित निराई, गुड़ाई और पानी देकर उनका संरक्षण भी करते हैं। जिले में अलग, अलग क्षेत्रों में कई युवा पर्यावरण संरक्षण के प्रति संजीदा हैं। इन युवाओं में पौधरोपण का जुनून है। इनकी मेहनत और लगन से सैकड़ों पौधे पेड़ बन चुके हैं।

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फोटो-26-ब्रजेश शुक्ला।

ब्रजेश के संकल्प को मिल रहा लोगों का साथ

शहर के मोहल्ला मोती नगर निवासी ब्रजेश शुक्ला को शहर में हरियाली लाने का जुनून है। शहर में लगाए गए 125 पौधों की परवरिश कर रहे हैं। नियमित रूप से पानी देते हैं। ब्रजेश ने बताया कि कोरोना काल में जब ऑक्सीन को लेकर मारा-मारी मची, कई परिचितों की मौत ने झकझोर दिया और उन्होंने अपने प्रयासों से सार्वजनिक स्थानों पर अधिक से अधिक पौधे लगाने का फैसला लिया। बताया कि शुरुआत में कई पौधे लगाए लेकिन मवेशियों ने नष्ट कर दिए। इसपर उन्होंने संपन्न लोगों से मदद मांगी। राम तनेजा, डॉक्टर वीके सिंह,अंकित शुक्ला, अखिलेश कुमार सहित अन्य लोगों की मदद से पेड़ों के लिए ट्री गार्ड लगवाए। बताया कि वह रोजाना दूध लेने जाते समय दो बाल्टी पानी लेकर निकलते हैं। पानी भरकर पौधों को सींचते हैं। वह कहते हैं कि हम सभी को आने वाली पीढ़ी के लिए पौधे लगाने ही होंगे। बताया कि जिस पेड़ को काटने में लोगों को बीस मिनट लगते हैं उसे बढ़ा करने में बीस से पच्चीस साल लगते हैं।

फोटो-27-अभिषेक अवस्थी।

अभिषेक को है पर्यावरण संरक्षण का जुनून

सोनिक। सदर तहसील के गांव पवई निवासी 23 वर्षीय अभिषेक अवस्थी को पौधरोपण के प्रति काफी लगाव है। 17 साल की उम्र से ही पौधरोपित करना शुरू किया था। अब तक वह एक हजार से अधिक पौधे लगा चुके हैं। जिसमें से छह सौ पौधे अब पेड़ बन चुके हैं। अभिषेक का कहना है कि कोरोना ने लोगों को पौधरोपण का महत्व समझा दिया था। इसके पहले वह खुद ही अपने गांव के अलावा नजदीक की ग्राम पंचायतों या खाली पड़ी भूमि पर जाकर पौधे रोपित करते थे। कोरोना के बाद उनके साथ युवाओं की टीम जुडऩे लगी। अब उनकी टीम में शामिल केशव, अभय कुमार, राघव, पुनीत, आकाश, भरत, प्रदीप, नवीन, अमन, कुलदीप, अंकित आदि भी जुड़ गए हैं। यह सभी गांवों में जाकर खाली स्थान ढूंढने में मदद करते हैं। फिर टीम के साथ जाकर वहां पर पौधे रोपित करते हैं। इन पौधों की सतत निगरानी भी की जाती है। बताया कि वह अपने गांव में एक उद्यान भी तैयार कर रहे हैं। इसमें आम के विभिन्न प्रकार की वैराइटी वाले पौधे मिलेंगे। जिसे वह नि:शुल्क वितरित करेंगे।

फोटो-28-विनय कुमार गुप्ता।

पौधे लगाओ धरा को सुरक्षित करो थीम पर काम कर रहे विनय

शुक्लागंज। नेहरू नगर निवासी विनय कुमार गुप्ता पर्यावरण संरक्षण को लेकर बेहद संजीदा हैं। बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने के बाद जो समय मिलता है उसमें वह पौधरोपण करते हैं। पिछले आठ सालों से वह पौधरोपण कर रहे हैं। अब तक दो हजार से अधिक पौधे रोपित कर चुके हैं। 25 वर्षीय विनय, वर्ष 2015 से पौधरोपण कर रहे है। उन्होंने साकेतपुरी, नेहरू नगर, राजधानी मार्ग, गोपीनाथ पुरम सहित अन्य कई जगहों पर पौधरोपण करने के साथ ही उनके संरक्षण आदि का ख्याल भी रखा है। इसी कारण कई पौधे आज पेड़ बन चुके हैं। इसी बीच वह शुक्लागंज वेलफेयर सोसाइटी में शामिल हुए और सोसाइटी में आने वाले नए सदस्यों के लिए शर्त रखी कि उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा लेकिन वह पौधरोपण करेंगे। सोसाइटी में अब तक 358 लोग शामिल हो चुके हैं। सोसाइटी पांच जून से पांच जुलाई तक पर्यावरण उत्सव मनाती है और घर घर जाकर लोगों को पौधरोपण कराने को प्रेरित करती है।

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