Unnao News: डिजिटल फिल्म के बजाए कागज में छाप कर दे रहे एक्सरे

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उन्नाव। जिला अस्पताल में डिजिटल एक्सरे की अत्याधुनिक व्यवस्था तो कर दी गई लेकिन, डिजिटल एक्सरे फिल्म न होने से मरीजों को कागज में एक्सरे रिपोर्ट प्रिंट कर दी जा रही है। कागज पर प्रिंट साफ न आने से डॉक्टर और मरीज दोनों परेशान हैं। रिपोर्ट स्पष्ट न होने से फ्रैक्चर व अन्य रोग की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाती। कई बार डॉक्टर व्हाट्सएप पर रिपोर्ट मंगाकर इलाज कर रहे हैं।
जिला अस्पताल में रोजाना औसतन 800 मरीज वाह्य रोग विभाग (ओपीडी) में आते हैं। इनमें मार्ग दुर्घटना में घायलों के अलावा पेट व फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित औसतन 150 मरीजों का डॉक्टर रोजाना डिजिटल एक्सरे लिखते हैं। कक्ष के सामने मरीजों की भीड़ सुबह से लग जाती है।
जिला अस्पताल में डिजिटल एक्सरे की सुविधा दो साल पहले शुरू हुई थी। मशीन लगने के बाद व्यवस्थाएं दुरुस्त रहीं। इधर कई महीने से डिजिटल एक्सरे फिल्म का संकट रहने लगा। जिम्मेदार बजट की कमी बता रहे हैं।
डॉक्टरों की सुविधा के लिए टेक्नीशियन जिस डॉक्टर ने एक्सरे की सलाह दी होती है उसके व्हाट्सएप पर रिपोर्ट भेज देते हैं। अगर
मरीज किसी दूसरे डॉक्टर को दिखाना चाहता है तो वह ऐसा नहीं कर पाता। मरीजों की ओर से लगातार शिकायतों के बाद स्वास्थ्य विभाग चुप्पी साधे है।
उधर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल एक्सरे की 125 फिल्म शीट का पैकेट 10 हजार रुपये में आता है। शुरुआत में तो पर्याप्त उपलब्धता थी लेकिन, बाद में कमी होने पर एक शीट को बीच से काटकर दो मरीजों की एक्सरे रिपोर्ट दी जाने लगी। जिला अस्पताल में रोजाना कम से कम एक पैकेट शीट की आवश्यकता है।
प्रभारी सीएमएस डॉ. संजीव कुमार का कहना है कि फिल्म न होने से कागज पर रिपोर्ट का प्रिंट दिया जा रहा है। इसमें जिन मरीजों को अधिक दिक्कत होती है वह उसी कागज पर लिख दिया जाता है। सामान्य मरीजों को सिर्फ प्रिंटआउट दिया जाता है। मरीजों के रिपोर्ट मांगने पर इसे लागू किया गया है।

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उन्नाव। जिला अस्पताल में डिजिटल एक्सरे की अत्याधुनिक व्यवस्था तो कर दी गई लेकिन, डिजिटल एक्सरे फिल्म न होने से मरीजों को कागज में एक्सरे रिपोर्ट प्रिंट कर दी जा रही है। कागज पर प्रिंट साफ न आने से डॉक्टर और मरीज दोनों परेशान हैं। रिपोर्ट स्पष्ट न होने से फ्रैक्चर व अन्य रोग की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाती। कई बार डॉक्टर व्हाट्सएप पर रिपोर्ट मंगाकर इलाज कर रहे हैं।

जिला अस्पताल में रोजाना औसतन 800 मरीज वाह्य रोग विभाग (ओपीडी) में आते हैं। इनमें मार्ग दुर्घटना में घायलों के अलावा पेट व फेफड़ों की बीमारी से पीड़ित औसतन 150 मरीजों का डॉक्टर रोजाना डिजिटल एक्सरे लिखते हैं। कक्ष के सामने मरीजों की भीड़ सुबह से लग जाती है।

जिला अस्पताल में डिजिटल एक्सरे की सुविधा दो साल पहले शुरू हुई थी। मशीन लगने के बाद व्यवस्थाएं दुरुस्त रहीं। इधर कई महीने से डिजिटल एक्सरे फिल्म का संकट रहने लगा। जिम्मेदार बजट की कमी बता रहे हैं।

डॉक्टरों की सुविधा के लिए टेक्नीशियन जिस डॉक्टर ने एक्सरे की सलाह दी होती है उसके व्हाट्सएप पर रिपोर्ट भेज देते हैं। अगर

मरीज किसी दूसरे डॉक्टर को दिखाना चाहता है तो वह ऐसा नहीं कर पाता। मरीजों की ओर से लगातार शिकायतों के बाद स्वास्थ्य विभाग चुप्पी साधे है।

उधर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल एक्सरे की 125 फिल्म शीट का पैकेट 10 हजार रुपये में आता है। शुरुआत में तो पर्याप्त उपलब्धता थी लेकिन, बाद में कमी होने पर एक शीट को बीच से काटकर दो मरीजों की एक्सरे रिपोर्ट दी जाने लगी। जिला अस्पताल में रोजाना कम से कम एक पैकेट शीट की आवश्यकता है।

प्रभारी सीएमएस डॉ. संजीव कुमार का कहना है कि फिल्म न होने से कागज पर रिपोर्ट का प्रिंट दिया जा रहा है। इसमें जिन मरीजों को अधिक दिक्कत होती है वह उसी कागज पर लिख दिया जाता है। सामान्य मरीजों को सिर्फ प्रिंटआउट दिया जाता है। मरीजों के रिपोर्ट मांगने पर इसे लागू किया गया है।



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