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उन्नाव। नाबालिग दो बहनों से दुष्कर्म करने वाले युवक को अदालत ने 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। दोषी पर 70 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है।
10 सितंबर 2019 को नाबालिग किशोरियों के पिता ने पुलिस को तहरीर में बताया था कि उसी दिन सुबह पास के गांव अमिलिहा निवासी घनश्याम उसकी दो नाबालिग बेटियों को स्कूल छोड़ने के बहाने घर से ले गया था। रास्ते में मझरिया गांव के पास जंगल में ले जाकर दोनों से दुष्कर्म किया था। बेटियों ने घर पहुंचकर घटना की जानकारी दी थी। शिकायत करने जब वह आरोपी के घर पहुंचा था तो आरोपी युवक के पिता रजनू व भाई राधेश्याम ने उसे पीटकर भगा दिया था। पुलिस ने आरोपी युवक सहित तीन के खिलाफ छेड़छाड़, दुष्कर्म, मारपीट व पॉक्सो एक्ट में रिपोर्ट दर्ज की थी।
21 अगस्त 2021 को पुलिस ने आरोपी, उसके पिता व भाई के खिलाफ आरोपपत्र न्यायालय में दाखिल किया था। सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विवेकानंद विश्वकर्मा के न्यायालय में चल रही थी। सरकार की ओर से पैरवी कर रहे विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो कोर्ट प्रदीप कुमार श्रीवास्तव व चंद्रिका प्रसाद बाजपेई ने की दलीलों और गवाही व सुबूतों के आधार पर न्यायाधीश ने घनश्याम को छेड़छाड़ व दुष्कर्म करने का दोषी पाया। मारपीट व धमकी देने के आरोप में अभियुक्त के पिता रजनू व भाई राधेश्याम को न्यायाधीश ने दोषमुक्त करार दिया।
वहीं, दोष सिद्ध होने के बाद गुरुवार को फैसला सुनाते हुए धनश्याम को बीस वर्ष के कठोर कारावास की सजा और 70 हजार रुपये अर्थदंड दिया। अर्थदंड अदा न करने पर एक माह अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। विशेष लोक अभियोजक ने बताया कि सभी सजाएं साथ साथ चलेंगी। अभियुक्त न्यायिक अभिरक्षा में है। वहीं अभियुक्त पर लगे अर्थदंड में से 80 प्रतिशत धनराशि नाबालिग बच्चियों के माता-पिता को दी जाएगी।
इंसेट
आरोप पत्र दाखिल होने के डेढ़ साल बाद सजा
किशोरियों से दुष्कर्म मामले में अदालत ने मात्र डेढ़ साल में आरोपी को सजा सुना दी। इस मामले में आरोपपत्र अगस्त 2021 में दाखिल हुआ था। अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट की अदालत ने एक साल सात महीने में ही सुनवाई पूरी करते हुए आरोपी को दोषी माना और यह अहम फैसला सुनाया।
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