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उन्नाव। जिले सांसद, सभी छह विधानसभा में विधायक, दो एमएलसी और जिला पंचायत अध्यक्ष भाजपा का होने के बाद भी मुख्यमंत्री की जिले में ट्रिपल इंजन बनाने की मंशा पूरी नहीं हो पाई। राजनीति के जानकारों का मानना है कि सभी निकायों जीत का दावा करने वाला सत्तादल के लिए अगर उसके मनमुताबिक नतीजे नहीं आए तो इसके पीछे वजह भी वही है। टिकट बंटवारे को लेकर उपजा असंतोष, कई बगावत और सभी जगह अंदरखाने असहयोग बड़ी वजह बना।
पिछले 2017 के निकाय चुनाव के आकड़ों के अनुसार देखा जाए तो भाजपा इस बात पर संतोष कर सकती है कि इसबार भी में निकायों में उसकी जीत की संख्या वही है, सिर्फ स्थान बदले हैं। पिछले चुनाव में भी वह एक नगर पालिका और तीन नगर पंचायतों में जीती थी और इसबार भी इतनी ही सीटों पर जीत मिली है। जिले की बांगरमऊ नगर पालिका में भाजपा अपने ही मोहरे से मात खा गई। भाजपा के जिला मंत्री रहे रामजी गुप्ता पिछले चुनाव में 140 वोट से निर्दलीय प्रत्याशी से हार गए थे। इसी को मुद्दा बनाकर पार्टी के जिम्मेदारों ने इसबार ऐन वक्त उनका टिकट काट दिया और पुनीत गुप्ता को चुनाव मैदान में उतार दिया। पार्टी से बगावत कर रामजी निर्दलयी ही चुनाव मैदान में उतर गए। इसपर भाजपा ने उन्हें छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया। लेकिन वह डटे रहे। शनिवार को मतपेटी खुली तो मतदाताओं ने उनके पक्ष में मतों की भरमार कर दी। भाजपा प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहा और सपा दूसरे स्थान पर। गंगाघाट नगर पालिका में भी बागी ने भाजपा का खेल बिगाड़ दिया। यहां से भाजापा के आईटीसेल से जुड़े संदीप पांडेय ने टिकट की दावेदारी की थी। लेकिन पार्टी ने उन्हें तवज्जो नहीं दी। उन्होंने पत्नी कौमुदी पांडेय को निर्दलीय चुनाव मैदान में उतार दिया तो भाजपा ने उन्हें भी छह साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। चुनाव नतीजे आए तो उनकी जीत जिले में इसबार की सबसे बड़ी जीत बन गई। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को 21402
वोट से हरा दिया। कुछ ऐसा ही जिले की सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली नवाबगंज नगर पंचायत का रहा। भाजपा ने यहां से निवर्तमान अध्यक्ष दिलीप लश्करी का टिकट काट दिया। इसपर उन्होंने निर्दलीय नामाकंन करा लिया। पार्टी के टिकट से वंचित रहे दूसरे दावेदारों का भी अंदरखाने उन्हें साथ मिला, तो भाजपा प्रत्याशी टिक नहीं पाया। हालांकि निर्दलीय प्रत्याशी आनंद बाजपेयी ने उन्हे कड़ी टक्कर दी और महज चार वोट के अंतर से चुनाव जीतने में सफल रहे।
पहली बार अस्तित्व में आई अचलगंज नगर पंचायत के गठन का श्रेय इस क्षेत्र के पूर्व विधायक और विधानसभा अध्यक्ष ह्रदयनारायण दीक्षित को जाता है। इस नवगठित नगर पंचायत में भाजपा को पूरा भरोसा था कि वह चुटकी बजाकर चुनाव जीत लेगी। लेकिन असंतुष्टों की फौज ने अंदर खाने खेल दिखाया और भाजपा प्रत्याशी निर्दलीय प्रत्याशी से चुनाव हार गईं, भाजपा यहां चौथे स्थान पर रही। अन्य कई नगर पंचायतों में भी भाजपा प्रत्याशियों को अपनों के अंदर खाने विद्रोह का खामियाजा भुगतना पड़ा है। (संवाद)
भाजपा जिलाध्यक्ष ने माना बागियों ने किया नुकसान
भाजपा जिलाध्यक्ष अवधेष कटियार ने माना कि कई सीटों पर बागी ही पार्टी की हार का कारण बने। बांगरमऊ और गंगाघाट व अन्य नगर पंचायत इसमें शामिल हैं। उन्होंने बताया कि मतदाता प्रत्याशियों से नाराज थे लेकिन भाजपा से नाराज नहीं थे, यही वजह रही कि उन्नाव के सभी निकाय सपा, बसपा और कांग्रेस से मुक्त हो गया। अगर भाजपा से लोगों की नाराजगी होती तो इन विपक्षी दलों को चुनते, लेकिन उन्होंने निर्दलीय को चुना। बताया कि संगठन के लोग बैठक करेंगे और हार के कारणों पर चिंतन-मनन करेंगे। बताया कि शहर में भाजपा की जीत से उत्साहित हैं।
सपा जिलाध्यक्ष बोले पार्टी को हराया गया
सपा जिलाथ्यक्ष राजेश यादव ने बताया कि उन्होंने इसबार 10 नगर निकायों में प्रत्याशी उतारे थे। सभी पर हार हुई। इसकी सबसे बड़ी वजह मतदाता सूची में पार्टी के वोटरों के नाम काट दिए गए। इसके बाद जब मतदान हुआ तो आईडी साफ न होने, नाम में चिंदी-बिंदी का अंतर होने पर भी मतदाताओं को वोट देने से रोक दिया गया। बताया कि शहर में पार्टी का वोट कम नहीं हुआ है। बताया कि हार के पीछे कई फैक्टर रहे पिछले चुनाव में 18000 पाकर चुनाव जीते थे। इसबार लगभग इतने ही वोट पाने के बाद भी हार गए। आरोप लगाया कि अचलगंज में हमारी प्रत्याशी जीत गई थी, लेकिन बाद में 107 वोटों से हरा दिया गया।
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