उन्नाव। महिला को खेत में सिंचाई करने को लेकर 22 साल पहले हुई मारपीट की घटना में अदालत ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाया है। तीन नामजद दोषी पाए गए हैं। न्यायाधीश ने तीन को तीन-तीन साल कारावास की सजा सुनाई है।
मौरावां थाना के पारा गांव निवासी रामनाथ की पत्नी संगीता चार दिसंबर 2000 को शाम पांच बजे अपने खेत में बोई गई फसल की सिंचाई करने गई थी। इसी दौरान पड़ोसी गांव घीनाखेड़ा निवासी राधेलाल, भगवती और राजेंद्र खेत पहुंचे और संगीता को सिंचाई करने से मना करने लगे। संगीता ने इसका विरोध किया और अपनी फसल को खराब होने से बचाने के लिए सिंचाई करने की बात कही तो तीनों ने जातिसूचक गालियां देते हुए मारपीट की । पीड़िता ने छह दिसंबर 2000 को थाना मौरावां में तहरीर दी तो पुलिस ने एससीएसटी एक्ट सहित अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की। विवेचना तत्कालीन सीओ पुरवा रामविलास ने की और घटना के सभी दोषियों के खिलाफ 25 अगस्त 2001 को न्यायालय में आरोप पत्र प्रेषित किया। मंगलवार को अभियोजन पक्ष से मनोज कुमार पांडेय की दलीलों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर-दो एससीएसटी एक्ट अल्पना सक्सेना ने दोषी पाते हुए तीनों को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई।
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गैंगस्टर को तीन साल छह माह की कैद
उन्नाव। गैंगस्टर एक्ट के एक मुकदमे में न्यायालय ने दोषी को तीन साल छह माह कैद की सजा सुनाई है। दोषी पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। सदर कोतवाली के पीतांबर नगर निवासी संजय पर वर्ष 2019 में तत्कालीन कोतवाली प्रभारी दिनेश चंद्र मिश्रा ने गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की थी। संजय पर सदर कोतवाली में छह से अधिक मुकदमे दर्ज थे। विवेचक कृष्ण नंदन ने न्यायालय में 22 जनवरी 2021 को आरोप पत्र दाखिल किया था। बुधवार को मुकदमे की अंतिम सुनवाई पूरी हुई। विशेष लोक अभियोजक हरीश अवस्थी, विश्वास त्रिपाठी और अलंकार द्विवेदी की दलीलों को सुन न्यायालय ने दोषी संजय को तीन साल छह माह की कैद की सजा सुनाते हुए पांच हजार अर्थदंड की भी सजा सुनाई है।
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वृद्ध के आत्मदाह की घटना में आरोपी महिला की जमानत अर्जी खारिज
उन्नाव। लगभग एक माह पूर्व जमीन के विवाद में वृद्ध के आत्मदाह करने की घटना में आरोपी महिला की जमानत अर्जी न्यायाधीश ने बुधवार को खारिज कर दी।
सदर कोतवाली के सिविल लाइंस निवासी विजय शंकर अग्निहोत्री ने 12 अप्रैल को पवई गांव में अपने पुश्तैनी मकान की की जमीन पर कब्जा करने से आहत होकर आग लगा ली थी। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। मृतक के भाई की तहरीर पर पुलिस ने राजन, माया, महेश तिवारी और रामबाबू पर हत्या का प्रयास, धमकी व जान बूझकर अपमानित करने की धारा में रिपोर्ट दर्ज की थी। बुधवार को आरोपी माया की ओर से न्यायालय में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया था। आरोपी महिला ने तर्क दिया कि उसे मुकदमे में जान बूझकर फंसाया गया। हालांकि अभियोजन की ओर से शासकीय अधिवक्ता की दलीलों को सुन के बाद न्यायालय ने जमानत के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।