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आलू
– फोटो : संवाद
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आलू की बंपर पैदावार जरूर हुई, लेकिन अच्छा भाव न मिलने से किसानों में निराशा है। इस बार 1.80 लाख मीट्रिक टन आलू की अधिक पैदावार हुई है। आठ साल में आलू सबसे सस्ता बिक रहा है। इस बार लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसानों का मानना है कि विदेशों में आलू निर्यात करने से जरूर राहत मिलेगी।
उप निदेशक उद्यान कौशल कुमार नीरज ने बताया कि जिले में इस साल 74 हजार हेक्टेयर जमीन पर आलू की खेती हुई है। इस बार 24 लाख मीट्रिक टन आलू की पैदावार हुई है। बीते साल भी 74 हजार हेक्टेयर जमीन पर आलू की बुवाई हुई थी, जिसमें 22.19 लाख मीट्रिक टन आलू पैदा हुआ था। इस तरह से 1.80 लाख मीट्रिक टन आलू की अधिक पैदावार है। आलू के गिरते दामों को देखते हुए सरकार ने 650 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य घोषित किया है। नेपाल, मलयेशिया, कतर, दुबई में इसका निर्यात भी किया जा रहा है। खाड़ी देशों के व्यापारी भी यहां आकर आलू खरीदेंगे।
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यही रही पैदावार की स्थिति:
साल खेती (हेक्टेयर में ) पैदावार(मीट्रिक टन में)
2020 70200 1860300
2021 73000 1870000
2022 74000 2219800
2023 74000 2400000
ये रहे भाव (प्रति पैकेट 50 किलो)
साल: खुदाई के वक्त शीतगृह से बेचने में
2015: 200-250 रुपये 350-400 रुपये
2016: 1000-1200 रुपये …..नोटबंदी
2017 450-500 रुपये 650-750 रुपये
2018 650-700 रुपये 850-900 रुपये
2019 700-725 रुपये 850-900 रुपये
2020 600-800 रुपये 950-1050 रुपये
2021 650-700 रुपये 950-1150 रुपये
2022 600-700 रुपये 1000-1100 रुपये
2023 250-350 रुपये ……….
(जैसा कि भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष राजवीर लवानियां ने बताया)
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