मेरठ में भाकियू (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ठाकुर राजेश सिंह चौहान और राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि हमारा काम किसी को हराना-जिताना नहीं है। राकेश टिकैत विपक्ष के नेता की तरह काम करते हैं। तेलंगाना, दिल्ली व पंजाब के मुख्यमंत्रियों की पंजाब में हुई बैठक में किसान नेता के नाम पर सिर्फ उन्हें ही बुलाया, जबकि किसान आंदोलन में पंजाब के ही 35 किसान संगठनों ने भाग लिया था। ये रिश्ता क्या कहलाता है?…।
राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश सिंह चौहान ने कहा भाकियू (अराजनैतिक) गंगा की तरह पवित्र है और किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं करता है। ये किसानों का है और वे ही चलाएंगे। कुछ लोग विपक्षी पार्टियों के लिए काम करते हैं। चौधरी चरण सिंह और बाबा टिकैत ने जाटों की गरिमा व मान-सम्मान बढ़ाया, मगर वह गर्त में मिलाने का काम कर रहे हैं। हम किसानों के मसीहा बाबा टिकैत के आदर्शों पर चलने वाले हैं।
राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र ने कहा कि हमारा काम किसानों की समस्याओं का निदान कराना और मांगों को हरसंभव तरीके से पूरा कराना है। किसी पार्टी के लिए काम करना हमारा उद्देश्य नहीं। राकेश टिकैत हमारे ऊपर सरकारी होने का आरोप लगाते हैं, जो पूरी तरह से निराधार है। हमारा संगठन सरकार के अच्छे फैसले की तारीफ और गलत की निंदा करता है। मेरा सवाल है कि क्या किसान नेता सिर्फ एक ही है।
सही फैसले पर भी भड़काने का किया प्रयास
प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानों को बिजली में काफी राहत दी है। यह किसानों के लिए राहत का कदम था फिर भी राकेश टिकैत ने विपक्षी पार्टी की तरह किसानों को भड़काने का प्रयास करते हुए कह दिया कि अभी राहत मिली है मगर पांच साल बाद वसूली होगी।
जाट समाज का गिरा रहे सम्मान
राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश चौहान ने कहा राहुल गांधी की अगुवाई करके जाट समाज का मान-सम्मान गिराने का काम कुछ लोग कर रहे हैं। चौधरी चरण सिंह और बाबा टिकैत ने जाटों की गरिमा व मान-सम्मान बढ़ाया और वह गर्त में मिलाने का काम कर रहे हैं। भाकियू (अराजनैतिक) जाट, ठाकुर, यादव और मुस्लिमों का नहीं बल्कि किसानों का संगठन है।
खेती की लागत बढ़ी, कीमत घटी
फसल की लागत काफी बढ़ी और कीमत कम है। महापंचायत में किसान नेताओं ने कहा कि खेती में इस्तेमाल होने वाले उपकरण, खाद, बीज आदि की कीमत बहुत बढ़ गई है, मगर कीमत कम हो गई है। इस असंतुलन की वजह से किसान की आर्थिक हालत दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है।