[ad_1]
फाइल फोटो
विस्तार
दो हजार रुपये के नोट इस साल अक्तूबर में चलन से बाहर हो जाएंगे। पांच सौ रुपये का नोट ही करेंसी का ”बादशाह” होगा। दरअसल छोटी करेंसी की नींव वर्ष 2016 में ”नोटबंदी सीजन-1” में ही पड़ गई थी। हकीकत यह है कि पिछले छह साल में छोटे नोट की जगह सिक्कों ने ले ली है।
आरबीआई के मुताबिक एक तरफ सिक्के धड़ाधड़ टकसाल से निकल रहे हैं तो दूसरी तरफ 5, 10 और 100 रुपये के नोटों की छपाई लगातार घट रही है। रिजर्व बैंक का सर्वाधिक फोकस दस रुपये के सिक्कों पर है। सात साल पहले बाजार में 3,700 करोड़ रुपये के दस के सिक्के थे, वहीं वर्ष 2022 में 5,400 करोड़ रुपये के सिक्के निकले।
यहां तक कि 600 करोड़ के एक रुपये के सिक्के भी टकसाल से ज्यादा निकले। वास्तविक स्थिति ये है कि बैंक शाखाओं में सिक्कों की बोरियों के ढेर लगे हैं। ग्राहक लेने से कतराते हैं। फुटकर व्यापारी पांच से दस फीसदी डिस्काउंट पर सिक्के निकालने को मजबूर हैं। साफ है कि बाजार में छोटी करेंसी का राज होगा।
सौ के नोट की छपाई में भारी कमी, पचासा बढ़ा
आरबीआई की हैंडबुक ऑफ स्टेटिस्टिक्स रिपोर्ट के मुताबिक सौ रुपये के नोट भी लगातार कम हो रहे हैं। इसकी जगह 50 के नोट ले रहे हैं। वर्ष 2016 के बाद से अभी तक करीब 70 हजार करोड़ रुपये के सौ के नोट बाजार में कम हो गए। वहीं 8 हजार करोड़ रुपये के पचास के नोट लोगों के हाथ में ज्यादा आ गए हैं। दस के सिक्के ज्यादा होने के कारण दस के नोट तेजी से कम हुए हैं।
[ad_2]
Source link