शाम होते ही उत्तर प्रदेश के बड़ौत डिपो की रोडवेज बसों के पहिए थम जाते हैं। बड़ौत से दिल्ली, सहारनपुर व मुजफ्फरनगर जैसे मुख्य मार्गों पर भी बसें नहीं मिलतीं। इस कारण मजबूरी में यात्रियों को या तो अपने निजी वाहनों से अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है या फिर डग्गामार वाहन का सहारा लेना पड़ता है। कई बार यात्री दूसरे राहगीरों से लिफ्ट लेने के लिए भी मजबूर नजर आते हैं। यात्रियों की समस्या पर रोडवेज अधिकारी चुप है।
विभागीय रिकाॅर्ड के अनुसार बड़ौत डिपो के पास 57 निगम और 40 बसें अनुबंधित है। मगर, अधिकांश बसों की सेवा आपको केवल दिन के समय ही मिल सकती है, क्योंकि शाम होते ही बसों के पहिये थम जाते हैं। इस कारण यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सबसे ज्यादा दिक्कतें दिल्ली की ओर जाने वाले यात्रियों को होती है। बागपत से दिल्ली मात्र 55 किलोमीटर दूर है। बहुत से लोग दिल्ली में नौकरियां करते हैं, लेकिन शाम के समय उन्हें परिवहन सेवाओं से वंचित रहना पड़ता है।
डग्गामार वाहनों की चांदी
शाम के समय बड़ौत के मुख्य मार्गों से रोडवेज बसों के गायब होने से लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए डग्गामार वाहनों का सहारा लेना पड़ता है। डग्गामार वाहन चालक दोगुना किराया यात्रियों से वसूलते हैं।
ये बोले यात्री
बड़ौत नगर निवासी संजय का कहना है कि किसी न किसी काम से 10 या 15 दिन में एक बार दिल्ली जाना पड़ता है। दो साल से दिल्ली की ओर जाने वाली रोडवेज बसें शाम को नहीं मिली हैं। रोडवेज बस स्टैंड से या तो वह लिफ्ट लेकर पहुंचे हैं या फिर अपने निजी वाहन से।
यात्री सावन का कहना है कि मैं दिल्ली में एक प्राईवेट कंपनी में काम करता है, शाम को ट्रेन से निकल जाता हूं, कई बार ट्रेन छूट जाती है तो बसें भी नहीं मिलीं। दिल्ली की ओर जाने वाली बड़ौत डिपो की सेवाएं बिल्कुल सुचारु नहीं हैं।
यात्री दीपक का कहना है कि दिल्ली में एक एटीएम पर नौकरी करता हूं, रात्रि डयूटी रहती है, लेकिन कभी-कभार ही बड़ौत डिपों की बसें शाम सात बजे के बाद मिलती हैं, ऐसे में सहारनपुर से आने वाली सहारनपुर डिपो की बसों या फिर डग्गामार वाहनों का सहारा लेना पड़ता है।