UP: युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ाने वाले राजसिंह का निधन, दौड़ी शोक की लहर, हैरान कर देगा 1965 का ये सच

0
21

[ad_1]

राजसिंह ढाका

राजसिंह ढाका
– फोटो : amar ujala

ख़बर सुनें

देश के लिए युद्ध लड़ते हुए पाकिस्तान के दो बार छक्के छुड़ाने वाले ढिकौली गांव के कैप्टन राजसिंह ढाका का 96 साल की उम्र में शनिवार को निधन हो गया। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन पर आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। 

बागपत जनपद में ढिकौली गांव के रहने वाले रालोद के मंडल महासचिव ओमवीर ढाका ने बताया कि उनके पिता कैप्टन राजसिंह ने फौज में रहते हुए वर्ष 1965 में पाकिस्तान से युद्ध लड़ा था। युद्ध के दौरान एक गोला उनके पास आकर गिर गया था, जिससे उन्हें मरा हुआ समझकर मोर्चरी में रखा गया। जहां कई दिन बाद उनको होश आया और उसके बाद उपचार कराकर बचा लिया गया। 

इसके बाद वर्ष 1971 में बांग्लादेश को आजाद कराने के लिए हुई जंग में वह शामिल रहे। वह सेवानिवृत्त होने के बाद गांव में आए तो उन्होंने शिक्षा की अलख जगाई और बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया। 

यह भी पढ़ें: बागपत: सनसनीखेज वारदात से कांपे लोग, पति-जेठ ने महिला को उतारा मौत के घाट, सामने आई ये बड़ी वजह

बताया गया कि वह पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। शनिवार को उनका निधन हो गया। उनका गांव में गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया। उनके निधन पर नेताओं व अन्य गण्मान्य लोगों ने शोक जताया।

यह भी पढ़ें: UP: 60 किलो के अजगर को देख चौंक गए अफसर, पकड़ने में जुटी बड़ी टीम, ये तस्वीरें देख हिल जाएंगे आप

यह भी पढ़ें -  Atiq Sabarmati To Prayagraj Live: अतीक को लेकर रवाना हुए यूपी पुलिस के 40 जवान, अहमदाबाद से बाहर निकला काफिला

विस्तार

देश के लिए युद्ध लड़ते हुए पाकिस्तान के दो बार छक्के छुड़ाने वाले ढिकौली गांव के कैप्टन राजसिंह ढाका का 96 साल की उम्र में शनिवार को निधन हो गया। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके निधन पर आसपास के गांवों में रहने वाले लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। 

बागपत जनपद में ढिकौली गांव के रहने वाले रालोद के मंडल महासचिव ओमवीर ढाका ने बताया कि उनके पिता कैप्टन राजसिंह ने फौज में रहते हुए वर्ष 1965 में पाकिस्तान से युद्ध लड़ा था। युद्ध के दौरान एक गोला उनके पास आकर गिर गया था, जिससे उन्हें मरा हुआ समझकर मोर्चरी में रखा गया। जहां कई दिन बाद उनको होश आया और उसके बाद उपचार कराकर बचा लिया गया। 

इसके बाद वर्ष 1971 में बांग्लादेश को आजाद कराने के लिए हुई जंग में वह शामिल रहे। वह सेवानिवृत्त होने के बाद गांव में आए तो उन्होंने शिक्षा की अलख जगाई और बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया। 

यह भी पढ़ें: बागपत: सनसनीखेज वारदात से कांपे लोग, पति-जेठ ने महिला को उतारा मौत के घाट, सामने आई ये बड़ी वजह

बताया गया कि वह पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। शनिवार को उनका निधन हो गया। उनका गांव में गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया। उनके निधन पर नेताओं व अन्य गण्मान्य लोगों ने शोक जताया।

यह भी पढ़ें: UP: 60 किलो के अजगर को देख चौंक गए अफसर, पकड़ने में जुटी बड़ी टीम, ये तस्वीरें देख हिल जाएंगे आप



[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here