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सार
भाजपा ने बाह सीट से रानी पक्षालिका सिंह को प्रत्याशी बनाया है। सपा-रालोद गठबंधन से मधूसूदन शर्मा उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी मनोज दीक्षित और बसपा ने निषाद समाज के नए चेहरे नितिन वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है।
भाजपा, सपा, बसपा और कांग्रेस प्रत्याशी
– फोटो : अमर उजाला
सूबे की सियासत में कोई भी आए या जाए आगरा के बाह विधानसभा क्षेत्र में राजघराने का वर्चस्व रहा है। पिछले 17 चुनावों में यहां 11 बार भदावर घराने का ही सदस्य विधायक चुना गया। एक बार फिर भाजपा ने इस सीट से रानी पक्षालिका सिंह को प्रत्याशी बनाया है। सपा-रालोद गठबंधन से मधूसूदन शर्मा उम्मीदवार हैं। जबकि कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी मनोज दीक्षित और बसपा ने निषाद समाज के नए चेहरे नितिन वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है।
क्षत्रिय, ब्राह्मण और निषाद (मल्लाह) बहुल इस क्षेत्र में फिर विपक्षी दल राजघराने की घेराबंदी में जुटे हैं। 1962 में पहली बार इस सीट पर भदावर घराने का परचम लहराया। तब महेंद्र रिपुदमन सिंह यहां से निर्दलीय उड़े और जीते। इसके बाद से 11 बार चुनावों में राजघराने का ही कोई सदस्य यहां झंडा बुलंद करता रहा। बता दें कि बाह का ज्यादातर क्षेत्र चंबल के बीहड़ में आता है।
2007 में जीते थे मधुसूदन शर्मा
2007 में बसपा से उतरे मधुसूदन शर्मा ने राजघराने के वर्चस्व को तोड़ा था। महेंद्र अरिदमन सिंह को हराकर मधुसूदन ने बड़ा उलटफेर किया था। लेकिन पांच साल बाद ही फिर यह सीट राजघराने के कब्जे में चली गई। 2012 में अरिदमन ने सपा के टिकट पर यहां वापसी की। राज्य में कैबिनेट मंत्री बने। 2017 के चुनाव में राजा की जगह रानी पक्षालिका सिंह भाजपा से विधायक बनीं। इस बार सपा-रालोद गठबंधन से मधुसूदन शर्मा के उतरने से यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया।
मुद्दों पर मुखर हैं मतदाता
जरार रोड निवासी परचून दुकान अनूप सिंह कहते हैं कि क्षेत्र में सड़कें खराब पड़ी हैं। कोई काम-धंधा नहीं है। जरार निवासी खजान सिंह कहते हैं कि विधायक की छवि अच्छी है। कोरोना में बहुत मदद की। कैंजरा रोड निवासी मालती देवी इस बात से इत्तेफाक नहीं रखती। वह कहती हैं यहां कोई काम नहीं हुए हैं।
गांव पुडआपुरा निवासी मनोहर चतुर्वेदी कहते हैं कि राजघराना सिर्फ चुनाव के वक्त ही जनता के बीच आता है। पिनाहट निवासी मुरलीदास का कहना है कि बाह में चिकित्सा सुविधाए नहीं है। अगर कोई आकस्मिक स्थिति बन जाए तो मरीज को 80 किमी दूर आगरा लेकर भागना पड़ता है या फिर सैफई।
वोटों का गणित
क्षत्रिय- 80000
ब्राह्मण- 80000
निषाद- 40000
जाटव- 40000
(मुस्लिमों के साथ ही अन्य जातियों में नाई, कुम्हार, धोबी, लोधी और कुर्मी, यादव और वैश्य हैं)
2017 विधानसभा चुनाव के नतीजे
भाजपा प्रत्याशी पक्षालिका सिंह- 80567
बसपा प्रत्याशी मधुसूदन शर्मा- 57427
सपा प्रत्याशी हंसकली निषाद- 46885
रालोद प्रत्याशी सुधीर दुबे- 1665
भाजपा विधायक ने गिनाए काम
भाजपा विधायक पक्षालिका सिंह का कहना है कि चंबल डाल योजना से सिंचाई के लिए 30 करोड़ रुपये से नए पंप लगवाए हैं। पिनाहट से तासौड़, जैतपुर से लेकर ऊदी मोड़ बार्डर तक 25 किमी सड़क मंजूर हो गई है। बटेश्वर अटल बिहारी वाजपेयी के पैतृक गांव में स्मारक बनाया गया है। मंदिर और घाटों का जीर्णोद्धार कराया है। दो कन्या इंटर कॉलेज स्वीकृत कराए गए हैं।
क्षेत्र में नहीं हुआ कोई विकास- सपा प्रत्याशी
सपा प्रत्याशी मधुसूदन शर्मा ने कहा कि बाह से बटेश्वर तक कोई विकास नहीं है। सिंचाई के लिए पानी नहीं है। खेती बर्बाद हो रही है। कोई उद्योग धंधा नहीं लगा। सड़कें टूटी पड़ी हैं। इलाज की सुविधाएं नहीं हैं। सपा सरकार बनने पर बाह को नया जिला बनाएंगे। क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराएंगे ताकि बाह के लोगों को गैर राज्यों में नहीं जाना पड़े।
फतेहाबाद और खेरागढ़ का भी बाह जैसा मिजाज
बाह से सटी दो सीटें फतेहाबाद और खेरागढ़ हैं। बाह की तरह ही ये सीटें भी क्षत्रिय, ब्राह्मण और निषाद बहुल हैं। तीनों सीटों के मतदाताओं का मिजाज एक जैसा है। बाह में क्षत्रिय और ब्राह्मणों की भूमिका निर्णायक होती है। इसी तरह फतेहाबाद में ब्राह्मण व क्षत्रिय का जोर है। खेरागढ़ सीट पर भी 50 हजार से ज्यादा क्षत्रिय मतदाता हैं। तीनों सीटों पर जातिगत समीकरण हावी रहते हैं।
विस्तार
सूबे की सियासत में कोई भी आए या जाए आगरा के बाह विधानसभा क्षेत्र में राजघराने का वर्चस्व रहा है। पिछले 17 चुनावों में यहां 11 बार भदावर घराने का ही सदस्य विधायक चुना गया। एक बार फिर भाजपा ने इस सीट से रानी पक्षालिका सिंह को प्रत्याशी बनाया है। सपा-रालोद गठबंधन से मधूसूदन शर्मा उम्मीदवार हैं। जबकि कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी मनोज दीक्षित और बसपा ने निषाद समाज के नए चेहरे नितिन वर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है।
क्षत्रिय, ब्राह्मण और निषाद (मल्लाह) बहुल इस क्षेत्र में फिर विपक्षी दल राजघराने की घेराबंदी में जुटे हैं। 1962 में पहली बार इस सीट पर भदावर घराने का परचम लहराया। तब महेंद्र रिपुदमन सिंह यहां से निर्दलीय उड़े और जीते। इसके बाद से 11 बार चुनावों में राजघराने का ही कोई सदस्य यहां झंडा बुलंद करता रहा। बता दें कि बाह का ज्यादातर क्षेत्र चंबल के बीहड़ में आता है।
2007 में जीते थे मधुसूदन शर्मा
2007 में बसपा से उतरे मधुसूदन शर्मा ने राजघराने के वर्चस्व को तोड़ा था। महेंद्र अरिदमन सिंह को हराकर मधुसूदन ने बड़ा उलटफेर किया था। लेकिन पांच साल बाद ही फिर यह सीट राजघराने के कब्जे में चली गई। 2012 में अरिदमन ने सपा के टिकट पर यहां वापसी की। राज्य में कैबिनेट मंत्री बने। 2017 के चुनाव में राजा की जगह रानी पक्षालिका सिंह भाजपा से विधायक बनीं। इस बार सपा-रालोद गठबंधन से मधुसूदन शर्मा के उतरने से यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया।
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