UP Election 2022: नौ में आठ विधायक भाजपा के, इनमें चार मंत्री और एक डिप्टी सीएम, क्या तभी लग रहा लखनऊ के टिकट फाइनल होने में समय? 

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सार

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नौ विधानसभा सीटें हैं। इसमें आठ सीटें भाजपा के खाते में हैं। 2017 में जब विधानसभा का परिणाम आया था तब लखनऊ की जीती हुई आठ सीटों के चार विधायकों को मंत्री बनाया गया था और लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा को प्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनाया गया था।

सांकेतिक तस्वीर।
– फोटो : अमर उजाला

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उत्तर प्रदेश में चौथे चरण में लखनऊ में मतदान होना है। नामांकन शुरू हो चुका है, लेकिन अब तक भारतीय जनता पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपने उम्मीदवार नहीं घोषित किया गया है। इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कहीं चर्चा किसी मंत्री का टिकट कटने की हो रही है तो कहीं सांसद की अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगे होने की बात हो रही है। कोई पार्टी के बड़े कद्दावर नेता की सरपरस्ती में टिकट पाने की चर्चा में है तो कोई बड़ा पार्टी का पदाधिकारी चुनाव में ताल ठोंकने को तैयार है। राजनैतिक विशेषज्ञों की माने तो इन सब ताकतवर नेताओं का कद देखते हुए और तमाम उठापटक के बीच आलाकमान अभी तक यहां की सीटों पर फैसला नहीं ले पा रहा है। 

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नौ विधानसभा सीटें हैं। इसमें आठ सीटें भाजपा के खाते में हैं। 2017 में जब विधानसभा का परिणाम आया था तब लखनऊ की जीती हुई आठ सीटों के चार विधायकों को मंत्री बनाया गया था। जिसमें लखनऊ कैंट से रीता बहुगुणा जोशी, लखनऊ मध्य से बृजेश पाठक, लखनऊ पूर्व से आशुतोष टंडन गोपाल जी और सरोजनी नगर से स्वाति सिंह को योगी कैबिनेट में जगह दी गई थी। लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा को प्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। इसके अलावा लखनऊ के ही निवासी और विधान परिषद के सदस्य डॉ. महेंद्र सिंह को भी मंत्री बनाया गया था। यानी कि सूबे की राजधानी को पांच मंत्री और एक उपमुख्यमंत्री जैसा हाई फाई पोर्टफोलियो दिया गया था। अब यही हाई फाई पोर्टफोलियो टिकट वितरण में मुसीबत बन रहा है। 

सूत्रों के मुताबिक, यूपी की राजधानी में टिकट फाइनल न होने की कई वजहें हैं। इसमें प्रमुख चर्चा है कि सरोजनी नगर की विधायक और मंत्री स्वाति सिंह की इस सीट पर उनके पति और भाजपा के उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की आपस मे ही टिकट को लेकर बराबर की दावेदारी है। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व इस सीट को लेकर कुछ फैसला ले सकता है। जिस पर लगातार चर्चाएं हो रहीं है। 

इसी तरह से एक चर्चा यह भी है कि लखनऊ के दो मंत्री आशुतोष टंडन और ब्रजेश पाठक की सीटों को बदला जाए। चूंकि यह भी बड़ा फैसला है और दोनों कद्दावर मंत्री हैं। इसलिए समीकरण साधने में आलाकमान लगा हुआ है। इसी तरह लखनऊ की एक अहम सीट लखनऊ कैंट पर टिकट फंसा हुआ है। इस सीट पर 2017 में (प्रयागराज की वर्तमान सांसद) रीता बहुगुणा जोशी चुनाव लड़ कर विधायक बनी और फिर मंत्री बनाई गई थी। 

रीता बहुगुणा जोशी ने लखनऊ कैंट सीट पर अपने बेटे मयंक जोशी की दावेदारी पेश की है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि रीता बहुगुणा जोशी इस बात पर अड़ी है अगर उनके बेटे को टिकट लखनऊ कैंट से मिल जाता है तो वह आगे कोई भी चुनाव नहीं लड़ेंगी। इस बात की पुष्टि रीता बहुगुणा जोशी ने खुद की और केंद्रीय आलाकमान को इस बात से अवगत भी कराया है।

इसके अलावा लखनऊ की ही एक विधानसभा सीट बख्शी का तालाब पर टिकट को लेकर लगातार असमंजस बना हुआ है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के खाते में यह सीट है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा लखनऊ में कुछ सीटें बदलना चाहती है उसमें बख्शी का तालाब सीट भी आती है। हालांकि भाजपा के कुछ नेताओं का यह भी कहना है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सभी नौ सीटों पर कोई व्यापक फेरबदल नहीं होने वाले हैं लेकिन कुछ कारणों से सीटों का आवंटन अभी नहीं हो पाया है। 

राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि अमूमन बड़ी सीटों पर टिकट देर से फाइनल किया जाता है, लेकिन लखनऊ की जिन नौ विधानसभा सीटों पर इस बार टिकट फाइनल नहीं हो पाया है उसकी प्रमुख वजह राजनैतिक पेंच फंसना ही है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं इस बात की भी हो रही हैं कि लखनऊ की एक विधानसभा सीट पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे नीरज सिंह की भी दावेदारी है। जबकि योगी सरकार में मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह की भी चर्चा लखनऊ की एक विधानसभा सीट से लड़ने की होती रही है। 

भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के वरिष्ठ पदाधिकारी रहे अभिजात मिश्रा का भी नाम लखनऊ की एक विधानसभा सीट चुनाव लड़ने के लिए चर्चा में है। मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव जो हाल में समाजवादी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई है उनका नाम भी लखनऊ की एक विधानसभा सीट से बतौर प्रत्याशी चर्चा में है। 

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विस्तार

उत्तर प्रदेश में चौथे चरण में लखनऊ में मतदान होना है। नामांकन शुरू हो चुका है, लेकिन अब तक भारतीय जनता पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अपने उम्मीदवार नहीं घोषित किया गया है। इसको लेकर राजनीतिक गलियारों में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कहीं चर्चा किसी मंत्री का टिकट कटने की हो रही है तो कहीं सांसद की अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगे होने की बात हो रही है। कोई पार्टी के बड़े कद्दावर नेता की सरपरस्ती में टिकट पाने की चर्चा में है तो कोई बड़ा पार्टी का पदाधिकारी चुनाव में ताल ठोंकने को तैयार है। राजनैतिक विशेषज्ञों की माने तो इन सब ताकतवर नेताओं का कद देखते हुए और तमाम उठापटक के बीच आलाकमान अभी तक यहां की सीटों पर फैसला नहीं ले पा रहा है। 

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नौ विधानसभा सीटें हैं। इसमें आठ सीटें भाजपा के खाते में हैं। 2017 में जब विधानसभा का परिणाम आया था तब लखनऊ की जीती हुई आठ सीटों के चार विधायकों को मंत्री बनाया गया था। जिसमें लखनऊ कैंट से रीता बहुगुणा जोशी, लखनऊ मध्य से बृजेश पाठक, लखनऊ पूर्व से आशुतोष टंडन गोपाल जी और सरोजनी नगर से स्वाति सिंह को योगी कैबिनेट में जगह दी गई थी। लखनऊ के मेयर दिनेश शर्मा को प्रदेश का उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। इसके अलावा लखनऊ के ही निवासी और विधान परिषद के सदस्य डॉ. महेंद्र सिंह को भी मंत्री बनाया गया था। यानी कि सूबे की राजधानी को पांच मंत्री और एक उपमुख्यमंत्री जैसा हाई फाई पोर्टफोलियो दिया गया था। अब यही हाई फाई पोर्टफोलियो टिकट वितरण में मुसीबत बन रहा है। 

सूत्रों के मुताबिक, यूपी की राजधानी में टिकट फाइनल न होने की कई वजहें हैं। इसमें प्रमुख चर्चा है कि सरोजनी नगर की विधायक और मंत्री स्वाति सिंह की इस सीट पर उनके पति और भाजपा के उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की आपस मे ही टिकट को लेकर बराबर की दावेदारी है। सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व इस सीट को लेकर कुछ फैसला ले सकता है। जिस पर लगातार चर्चाएं हो रहीं है। 

इसी तरह से एक चर्चा यह भी है कि लखनऊ के दो मंत्री आशुतोष टंडन और ब्रजेश पाठक की सीटों को बदला जाए। चूंकि यह भी बड़ा फैसला है और दोनों कद्दावर मंत्री हैं। इसलिए समीकरण साधने में आलाकमान लगा हुआ है। इसी तरह लखनऊ की एक अहम सीट लखनऊ कैंट पर टिकट फंसा हुआ है। इस सीट पर 2017 में (प्रयागराज की वर्तमान सांसद) रीता बहुगुणा जोशी चुनाव लड़ कर विधायक बनी और फिर मंत्री बनाई गई थी। 

रीता बहुगुणा जोशी ने लखनऊ कैंट सीट पर अपने बेटे मयंक जोशी की दावेदारी पेश की है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात की भी है कि रीता बहुगुणा जोशी इस बात पर अड़ी है अगर उनके बेटे को टिकट लखनऊ कैंट से मिल जाता है तो वह आगे कोई भी चुनाव नहीं लड़ेंगी। इस बात की पुष्टि रीता बहुगुणा जोशी ने खुद की और केंद्रीय आलाकमान को इस बात से अवगत भी कराया है।

इसके अलावा लखनऊ की ही एक विधानसभा सीट बख्शी का तालाब पर टिकट को लेकर लगातार असमंजस बना हुआ है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के खाते में यह सीट है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा लखनऊ में कुछ सीटें बदलना चाहती है उसमें बख्शी का तालाब सीट भी आती है। हालांकि भाजपा के कुछ नेताओं का यह भी कहना है कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की सभी नौ सीटों पर कोई व्यापक फेरबदल नहीं होने वाले हैं लेकिन कुछ कारणों से सीटों का आवंटन अभी नहीं हो पाया है। 

राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि अमूमन बड़ी सीटों पर टिकट देर से फाइनल किया जाता है, लेकिन लखनऊ की जिन नौ विधानसभा सीटों पर इस बार टिकट फाइनल नहीं हो पाया है उसकी प्रमुख वजह राजनैतिक पेंच फंसना ही है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं इस बात की भी हो रही हैं कि लखनऊ की एक विधानसभा सीट पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे नीरज सिंह की भी दावेदारी है। जबकि योगी सरकार में मंत्री डॉ. महेंद्र सिंह की भी चर्चा लखनऊ की एक विधानसभा सीट से लड़ने की होती रही है। 

भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के वरिष्ठ पदाधिकारी रहे अभिजात मिश्रा का भी नाम लखनऊ की एक विधानसभा सीट चुनाव लड़ने के लिए चर्चा में है। मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव जो हाल में समाजवादी पार्टी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुई है उनका नाम भी लखनऊ की एक विधानसभा सीट से बतौर प्रत्याशी चर्चा में है। 

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