[ad_1]
सार
पूर्वांचल के आजमगढ़ जिले के फूलपुर पवई सीट से रमाकांत यादव को समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। जबकि उनके पुत्र अरुणकांत यादव इसी सीट से भाजपा के विधायक हैं।
अरूणकांत यादव और रमाकांत यादव
– फोटो : फाइल
अक्सर ऐसा कम ही होता है कि किसी चुनाव में पिता-पुत्र के बीच जंह लेकिन वर्ष 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में ऐसा होता दिख रहा है। पूर्वांचल के आजमगढ़ जिले के फूलपुर पवई विधानसभा सीट पर पिता-पुत्र के बीच जंग की संभावना बन रही है। पुत्र अरुणकांत यहां से भाजपा के विधायक है जबकि सपा ने उनके पिता पूर्व सांसद रमाकांत यादव को टिकट देकर यहां के समीकरण को बिगाड़ दिया है।
फूलपुर पवई विधानसभा से पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव विधानसभा में पहुंचे थे। इस बार इस सीट पर बहुत ही दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है क्योंकि इस सीट से राजनीतिक सफर की शुरूआत करने वाले पूर्व सांसद रमाकांत यादव सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में होंगे।
रमांकात यादव ने 1985 में इंडियन कांग्रेस (जे) के टिकट पर पहला चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1989 में बसपा के टिकट चुनाव जीता।1991 में रमाकांत यादव एक बार फिर पार्टी बदली और जनता के पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते। 1993 में सपा के टिकट पर जीत हासिल की। एक बार फिर रमाकांत यादव इस सीट पर ताल ठोंकते नजर आए।
सपा ने बृहस्पतिवार को घोषित प्रत्याशियों की सूची में रमाकांत यादव को फूलपुर पवई विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि इस सीट से उनके पुत्र अरुणकांत यादव भाजपा के विधायक हैं। अरुणकांत यादव भी दो बार इस सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं।
2007 में वह पहली बार सपा के टिकट पर विधायक बने। फिर 2017 में वह भाजपा के टिकट पर इस सीट से विधायक बने हैं। अभी वे भाजपा में ही हैं और मौजूदा विधायक है। अगर भाजपा उन्हें फिर से इस सीट पर उम्मीदवार बनाती है तो पिता और पुत्र के बीच रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा।
पढ़ेंः पूर्व पर्यटन मंत्री पर भाजपा कार्यकर्ता को धमकाने का आरोप, विधायक बोलीं- हम किसी से डरने वाले नहीं
समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ की 10 में से सात सीटों पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। पार्टी ने भाजपा की 2017 की लहर में भी पार्टी का परचम बुलंद रखने वाले चार विधायकों का टिकट बरकरार रखा गया है। फूलपुर पवई सीट से श्याम बहादुर यादव पिछला चुनाव पूर्व सांसद रमाकांत यादव के पुत्र अरुणकांत यादव से हार गए थे। अबकी बार पार्टी ने इस सीट से रमाकांत यादव को ही प्रत्याशी बना दिया है।
दीदारगंज से आदिल शेख के स्थान पर सुखदेव राजभर के पुत्र कमलाकांत राजभर को प्रत्याशी बनाया है। पिछले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को आजमगढ़ की दस में पांच सीटों पर अपना परचम लहराया था। पार्टी को अतरौलिया, मेंहनगर, गोपालपुर, निजामाबाद, आजमगढ़ सदर सीट पर जीत हासिल हुई थी।
अतरौलिया सीट से पार्टी ने वर्तमान विधायक डा. संग्राम यादव, गोपालपुर से विधायक नफीस अहमद, निजामाबाद से विधायक आलमबदी आजमी, आजमगढ़ सदर सीट से विधायक दुर्गा प्रसाद यादव को फिर प्रत्याशी बनाया है। मेंहनगर सीट पर पार्टी के कल्पनाथ पासवान ने पिछले चुनाव में जीत हासिल की थी लेकिन इस बार उनकी सीट पर टिकट की घोषणा नही की गई है।
इसके अलावा दो सीटों पर अपने प्रत्याशियों में बदलाव किया है। लालगंज सुरक्षित सीट से पार्टी ने पूर्व विधायक बेचई सरोज को प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 2017 के चुनाव में यहां से बसपा के आजाद अरिमर्दन चुनाव जीते थे जबकि भाजपा के दरोगा प्रसाद सरोज दूसरे स्थान पर थे और बेचई सरोज तीसरे पर।
दीदारगंज विधानसभा से पूर्व विधायक आदिल शेख पिछली बार हार गए थे, उनकी जगह कमलाकांत राजभर को प्रत्याशी बनाया गया है। कमलाकांत राजभर पूर्व विधान परिषद अध्यक्ष और बसपा के दिग्गज नेता सुखदेव राजभर के पुत्र हैं। उन्होंने पिता के निधन से पहले सपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। अभी मेंहनगर, मुबारकपुर और सगड़ी विधानसभा सीटों से प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की गई है।
विस्तार
अक्सर ऐसा कम ही होता है कि किसी चुनाव में पिता-पुत्र के बीच जंह लेकिन वर्ष 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में ऐसा होता दिख रहा है। पूर्वांचल के आजमगढ़ जिले के फूलपुर पवई विधानसभा सीट पर पिता-पुत्र के बीच जंग की संभावना बन रही है। पुत्र अरुणकांत यहां से भाजपा के विधायक है जबकि सपा ने उनके पिता पूर्व सांसद रमाकांत यादव को टिकट देकर यहां के समीकरण को बिगाड़ दिया है।
फूलपुर पवई विधानसभा से पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव विधानसभा में पहुंचे थे। इस बार इस सीट पर बहुत ही दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है क्योंकि इस सीट से राजनीतिक सफर की शुरूआत करने वाले पूर्व सांसद रमाकांत यादव सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में होंगे।
रमांकात यादव ने 1985 में इंडियन कांग्रेस (जे) के टिकट पर पहला चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद उन्होंने 1989 में बसपा के टिकट चुनाव जीता।1991 में रमाकांत यादव एक बार फिर पार्टी बदली और जनता के पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते। 1993 में सपा के टिकट पर जीत हासिल की। एक बार फिर रमाकांत यादव इस सीट पर ताल ठोंकते नजर आए।
[ad_2]
Source link