UP Election Phase 2: कम या ज्यादा मतदान से किसे होगा फायदा और किसे नुकसान? जानिए 55 सीटों का समीकरण

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सार

उत्तर प्रदेश के नौ जिलों की 55 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान खत्म हो चुका है। इन सीटों पर इस बार लड़ाई काफी कड़ी होने वाली है। अमरोहा, बरेली, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, सहारनपुर, बिजनौर, संभल, रामपुर और बदायूं जिले में पड़ने वाली इन 55 सीटों पर कुल 586 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 

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उत्तर प्रदेश के नौ जिलों की 55 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान खत्म हो चुका है। पिछली बार के मुकाबले वोटिंग में एक प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। इस बार 64.71% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि 2017 में 65.71% लोगों ने वोट डाला था।  अमरोहा, बरेली, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, सहारनपुर, बिजनौर, संभल, रामपुर और बदायूं जिले में पड़ने वाली इन 55 सीटों पर कुल 586 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन सीटों पर इस बार लड़ाई काफी कड़ी होने वाली है। 

मतदान को लेकर सियासी गलियारे में चर्चा
इस बीच मतदान प्रतिशत को लेकर सियासी गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है। ये चर्चा इसलिए भी हो रही क्योंकि दो दिन पहले ही योगी सरकार में गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर मुजफ्फरनगर की अपनी विधानसभा सीट थानाभवन के 40 बूथों पर फिर से मतदान कराने की मांग की थी। हालांकि, जिलाधिकारी ने उनकी ये मांग ठुकरा दी है। 

राणा जिन 40 बूथों पर वह दोबारा मतदान चाहते हैं, वो मुस्लिम बहुल्य इलाकों में हैं। इन बूथों पर इस बार 70 से 90 फीसदी वोट पड़े हैं। वहीं, दूसरी ओर हिंदू बहुल्य बूथों पर पिछली बार के मुकाबले इस बार मतदान में गिरावट हुई है। ये तो पहले चरण की बात हुई। अब दूसरे चरण की बात कर लेते हैं। इस चरण में नौ जिलों की करीब 40 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर्स निर्णायक हैं। इसलिए हर कोई ये जानना चाहता है कि इन इलाकों में मतदान घटने या बढ़ने से किसे फायदा होगा? 
इस बार पहले चरण में 62.54% मतदान हुआ है। पिछली बार 63.10% लोगों ने वोट डाला था। इस बार कई मुस्लिम बहुल्य सीटों पर मतदान में बढ़ोतरी दर्ज हुई है। इनमें शामली जिले की कैराना सीट, अलीगढ़ की सदर सीट, बुलंदशहर की स्याना और सिकंदराबाद सीट, मेरठ जैसी सीटें शामिल हैं। कुछ सीटों पर ओवरऑल मतदान की संख्या तो घट गई है, लेकिन मुस्लिम वोटर्स के बूथ पर मतदान काफी अधिक हुए हैं। मुजफ्फरनगर की थानाभवन सीट इसका उदाहरण है। यहीं से योगी सरकार के मंत्री सुरेश राणा प्रत्याशी हैं और उन्होंने मुस्लिम बहुल्य वाले 40 बूथों पर फिर से मतदान कराने की मांग की थी। 

                                   

सीट   2017     2022
स्याना (बुलंदशहर) 62.5% 65.44%
सिकंदराबाद (बुलंदशहर) 67.1% 68.90%
कैराना (शामली) 69.6% 75.12%
मेरठ 64.7% 64.74%

पहले चरण में किस जिले में कितनी वोटिंग हुई? 

जिले    2017 2022
शामली 67.48% 69.42%
मुजफ्फरनगर 66.81% 66.75%
बागपत  64.04% 65.42%
मेरठ 66.31% 64.96%
गाजियाबाद 55.53% 55.10%
गाौतमबुद्ध नगर 56.40% 57.07%
हापुड़ 65.99% 67.68%
बुलंदशहर 64.00% 65.17%
अलीगढ़ 63.37% 61.37%
मथुरा 64.50% 63.56%
आगरा 63.17% 60.94%

 
दूसरे चरण में जिन नौ जिलों में मतदान हुआ, इन जिलों की 40 सीटों पर 30 से 55% मुस्लिम वोटर्स हैं। मतलब इन सीटों पर मुस्लिम वोटर्स काफी निर्णायक होने वाले हैं। 2017 में इन 55 में से 38 सीटों पर भाजपा की जीत हुई थी। 15 सीटों पर सपा और दो पर कांग्रेस उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। समाजवादी पार्टी ने जिन 15 सीटों पर जीत दर्ज की थी, उसमें से 10 मुस्लिम उम्मीदवार जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचे थे। 

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राजनीतिक विश्लेषक प्रमोद श्रीवास्तव बताते हैं कि पिछली बार कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड़े थे। जबकि आरएलडी, बसपा ने अकेले ताल ठोकी थी। ऐसी स्थिति में बसपा को मुस्लिम वोट वहीं मिले जहां उसने मुस्लिम कैंडिडेट उतारे थे। जबकि जाट, गुर्जर वोट एकतरफा भाजपा के खाते में गया था। इस बार सपा और आरएलडी साथ लड़ रहे हैं। कांग्रेस के कई उम्मीदवार टिकट लेने के बाद सपा में शामिल हो गए। ऐसे में मुस्लिम वोट सपा-आरएलडी के खाते में एकतरफा जाने की आशंका है। वहीं, इस बार भाजपा से नाराज जाट और गुर्जर वोटर भी सपा गठबंधन का साथ दे सकता है। इसका सीधा नुकसान भाजपा को होगा। 

जिला 2017 2022 
सहारनपुर 72.94% 67.05%
बिजनौर 66.32% 61.44%
मुरादाबाद 66.61% 64.52%
रामपुर  63.71% 60.10%
अमरोहा 72.04% 66.15%
संभल 65.10% 56.66%
बदायूं 59.20% 55.98%
बरेली 62.47% 57.68%
शाहजहांपुर 61.18% 55.20%
कुल 65.22% 60.44%

(नोट : 2022 के आंकड़े अभी पूरे नहीं आए हैं। ये शाम पांच बजे तक वोटिंग प्रतिशत है।)
उत्तर प्रदेश की सियासत पर पैनी नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक डॉ. नीलम गुप्ता कहती हैं, ‘अंदाजा लगाया जा सकता है कि मतदान घटने या बढ़ने से किसका फायदा हुआ और कौन नुकसान में गया? अगर हम दूसरे चरण वाली 55 सीटों की बात करें तो इनमें 80% सीटों पर मुस्लिम वोटर्स का काफी प्रभाव है। अगर इन सीटों पर खासतौर पर मुस्लिम बहुल्य बूथों पर मतदान बढ़ता है तो इसका सीधा नुकसान भाजपा को होगा। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा फायदा समाजवादी पार्टी को मिल सकता है। हालांकि, इन चुनावी जिलों से कई ध्रुवीकरण वाली राजनीति के वीडियो सामने आ चुके हैं। ऐसे में अगर यहां ध्रुवीकरण की राजनीति हावी होती है तो फिर मुकाबला कांटे का हो सकता है।’
 

विस्तार

उत्तर प्रदेश के नौ जिलों की 55 सीटों पर दूसरे चरण का मतदान खत्म हो चुका है। पिछली बार के मुकाबले वोटिंग में एक प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। इस बार 64.71% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जबकि 2017 में 65.71% लोगों ने वोट डाला था।  अमरोहा, बरेली, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, सहारनपुर, बिजनौर, संभल, रामपुर और बदायूं जिले में पड़ने वाली इन 55 सीटों पर कुल 586 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इन सीटों पर इस बार लड़ाई काफी कड़ी होने वाली है। 

मतदान को लेकर सियासी गलियारे में चर्चा

इस बीच मतदान प्रतिशत को लेकर सियासी गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है। ये चर्चा इसलिए भी हो रही क्योंकि दो दिन पहले ही योगी सरकार में गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने जिला निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर मुजफ्फरनगर की अपनी विधानसभा सीट थानाभवन के 40 बूथों पर फिर से मतदान कराने की मांग की थी। हालांकि, जिलाधिकारी ने उनकी ये मांग ठुकरा दी है। 

राणा जिन 40 बूथों पर वह दोबारा मतदान चाहते हैं, वो मुस्लिम बहुल्य इलाकों में हैं। इन बूथों पर इस बार 70 से 90 फीसदी वोट पड़े हैं। वहीं, दूसरी ओर हिंदू बहुल्य बूथों पर पिछली बार के मुकाबले इस बार मतदान में गिरावट हुई है। ये तो पहले चरण की बात हुई। अब दूसरे चरण की बात कर लेते हैं। इस चरण में नौ जिलों की करीब 40 सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर्स निर्णायक हैं। इसलिए हर कोई ये जानना चाहता है कि इन इलाकों में मतदान घटने या बढ़ने से किसे फायदा होगा? 

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