यूपी: सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर अवैध खनन का आरोप, शुरू हुई जांच, कमेटी का हुआ गठन

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कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर अवैध खनन कराने की शिकायत का राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने संज्ञान लेते हुए जांच समिति गठित करने का आदेश दिया है। एनजीटी ने शिकायत में लगाए गए आरोपों और तथ्यों की पड़ताल के लिए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं मौसम परिवर्तन, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गोंडा के जिलाधिकारी की संयुक्त जांच समिति बनाने के निर्देश दिये हैं।

एनजीटी ने संयुक्त समिति को निर्देश दिया है कि वह एक सप्ताह के भीतर तत्काल बैठक करे। साथ ही, जिन इलाकों में अवैध खनन की शिकायत की गई है, उनका स्थलीय निरीक्षण करे। साथ ही शिकायतकर्ता, स्थानीय प्रतिनिधियों आदि से संपर्क साधकर गहनता से पूरे मामले की पड़ताल करके रिपोर्ट सौंपे। इस दौरान अवैध खनन और ओवरलोडेड ट्रकों के माध्यम से अवैध परिवहन के कारण होने वाली पर्यावरणीय क्षति की जांच भी की जाएगी। जांच समिति को सात नवंबर तक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है।

आपको बताते चलें कि एनजीटी से शिकायत की गई है कि गोंडा के तरबगंज तहसील के मजाहरत, जैतपुर, नवाबगंज गांव में अवैध रेत खनन, ओवरलोडेड ट्रकों के चलने से पुलों, सड़कों और पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। इलाके में करीब 20 लाख क्यूबिक मीटर अवैध खनन होने की शिकायत के बाद एनजीटी ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है। शिकायत में 700 ट्रकों से खनिज का अवैध परिवहन करने का आरोप भी लगाया गया है। इससे पटपड़गंज पुल को क्षतिग्रस्त होने की बात भी कही गई है। एनजीटी ने अवैध खनन से सरयू नदी को हुई क्षति के बारे में भी जानकारी मांगने के साथ उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पुनर्वास के कार्यों के लिए नोडल एजेंसी बनाने का निर्देश भी दिया है।

मेरा अवैध खनन से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। अवैध खनन और ओवरलोड ट्रकों के संचालन की बात असत्य, अपुष्ट और गुमराह करने वाली है। इस संबंध में गोंडा जिला प्रशासन, स्थानीय पुलिस, खनन और पर्यावरण विभाग से सच्चाई पता करनी चाहिए। – बृजभूषण शरण सिंह, सांसद

अवैध बालू खनन का कारोबार कई सालों से जिले में फलफूल रहा है। साल 2017 में अवैध बालू खनन में 212 करोड़ रुपये का जुर्माना खनन माफिया व उनके 32 साथियों पर लगा था। यह कार्रवाई भाजपा सांसद कीर्तिवर्धन सिंह की शिकायत पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने की थी। इसके बाद से खनन का मामला बड़े पैमाने पर चर्चा में आया।

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उस समय एनजीटी के जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने 36 सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किया था। आदेश में यूपी सरकार सरकार को यह जुर्माना वसूलकर इसका इस्तेमाल पर्यावरण की बेहतरी में करने के निर्देश दिए गए। मामला तरबगंज तहसील के कल्याणपुर गांव से जुड़ा हुआ है। एनजीटी के आदेश पर गठित कमेटी ने एक रिपोर्ट दी थी, जिसमें कहा गया था कि गांव में 2011 से 2017 के बीच 23,88,229 घन मीटर अवैध बालू खनन किया गया। इसकी वजह से 93 करोड़ चार लाख 54 हजार रुपये का राजस्व का नुकसान हुआ।

उस समय के तत्कालीन जिलाधिकारी जेबी सिंह व लखनऊ से कई वरिष्ठ अधिकारियों वाली कमेटी ने 500 रुपये प्रति घन मीटर के हिसाब से अवैध खनन करने वालों से कुल 1,19,41,50000 रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना वसूले जाने की सिफारिश की थी, जिसके आधार पर एनजीटी ने आदेश जारी किया। जिसमें 212 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा और वसूली की कार्रवाई प्रशासन ने शुरू की। इसके बाद जुर्माना में शामिल लोगों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली और वहां वसूली पर स्टे हासिल कर लिया।

साल 2017 में अवैध बालू खनन के मामले में कार्रवाई भले ही विधिक प्रक्रिया में है, लेकिन अब नई शिकायत होने पर प्रशासन हरकत में आ गया है। प्रकरण किस स्थिति में है और जांच में क्या-क्या तथ्य सामने आए थे, इसकी पूरी पड़ताल होगी। जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने संकेत दिया है कि पुराने मामले की भी छानबीन करके प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। इससे हाफिज अली व उसके साथियों की मुश्किलें बढ़ने की उम्मीद बढ़ गई है। बीते कई सालों से मामले पर सभी चुप्पी साधे थे।

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