मथुरा के वृंदावन के प्रसिद्ध रंगनाथ मंदिर में वामन द्वादशी पर मंगलवार को नौका विहार उत्सव का आयोजन किया गया। तीन दिवसीय उत्सव में भगवान रंगनाथ और माता गोदा को फूलों से सुसज्जित नौका में विराजमान कराया गया। इसके बाद पुष्करणी सरोवर में नौका विहार कराया गया। इन दिव्य क्षणों के साक्षी बनने के लिए बड़ी संख्या में भक्त रंगनाथ मंदिर पहुंचे। नौका विहार के दौरान मंदिर परिसर भगवान रंगनाथ के जयकारों से गुंजमान हो गया।
रंगनाथ मंदिर के सेवायतों के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने राधारानी के साथ नौका विहार किया था। तभी से ब्रज के मंदिरों में भगवान को एक बार नौका विहार कराने का भाव भक्त रखते हैं। इसी आस्था भाव से मंगलवार को दक्षिण भारतीय शैली के प्रसिद्ध रंगनाथ मंदिर में भगवान गोदारंगमन्नार ने पुष्करणी सरोवर में नौका विहार कराया गया। नौका विहार सवारी ने पुष्करणी के पांच चक्कर लगाए।
नौका विहार से पूर्व भगवान रंगनाथ और माता गोदा स्वर्ण पालकी में विराजमान होकर गर्भगृह से मंदिर की परिक्रमा करते हुए बारहद्वारी के समक्ष पहुंची। यहां मंदिर के महंत स्वामी गोवर्द्धन रंगाचार्य महाराज और सेवायतों ने भगवान की आरती की।
परंपरागत वाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के बीच भगवान रंगनाथ की सवारी पुष्करणी सरोवर में पहुंची। यहां भगवान को विधि-विधान से नौका पर बनाए गए झूले में विराजमान किया गया।
रंगनाथ मंदिर के कर्मचारियों ने नौका को आकर्षक रूप से सजाया। शाम को करीब सात बजे भगवान रंगनाथ नौका में विराजमान कराया गया। इस दौरान भगवान रंगनाथ के जयघोष से संपूर्ण वातावरण गुंजायमान हो उठा।
पुष्करणी सरोवर ध्वज और लाइट की रोशनी से जगमग हो उठा। भगवान गोदारंगमन्नार के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। इस अवसर पर सेवायत रघुनाथ स्वामी, रंगास्वामी, चौवी स्वामी, तिरुपति, शरद शर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।